आ गये मनपा चुनाव, शुरू हुए शब्दों के तीर

राणा और खोडके की एक दूसरे को ललकार

* बावनकुले ने कहा – हो सकता है मिलकर लडे, हो सकता है अलग-अलग
* चर्चा में कांग्रेस नदारद
अमरावती/दि. 2- महापालिका चुनाव की आहट तेज हो गई है. इसी के साथ सियासत भी सक्रिय लग रही हैं. बीजेपी और युवा स्वाभिमान के दो सम्मेलन शनिवार को हुए. जिनमें कार्यकर्ताओं की उत्साहपूर्ण उपस्थिति चुनाव की आहट तेज कर गई. शहर के दोनों विधायक रवि राणा और संजय खोडके ने एक बार फिर तलवारें खींच ली है. दोनों ही ओर से जमकर दावे और शब्दबाण चलाए जा रहे हैं. विधायक राणा ने खोडके को अभिमानी बताया है तो विधायक खोडके भी राणा पर हर बार धमकाने की भाषा में बात करने का आरोप कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि, दोनों ही विधायक इस समय भाजपानीत महाराष्ट्र की महायुति सरकार में शामिल है. ऐसे में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष और अमरावती के पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने रक्षात्मक होते हुए कहा कि, जहां तक हो सके महायुति मिलकर चुनाव लडेगी. जहां संभव न हो सका वहां मैत्रिपूर्ण लडत होगी. बावनकुले शनिवार को बडनेरा रोड के परिणय बंध में बीजेपी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उपरांत मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने रार कम करने का प्रयत्न किया.
* राणा और खोडके में जमकर आरोप-प्रत्यारोप
बडनेरा विधायक रवि राणा ने कहा कि संजय खोडके ने लोकसभा चुनाव में खुलकर नवनीत राणा का विरोध किया जबकि विधानसभा चुनाव केसमय जब उनकी पत्नी सुलभा खोडके प्रत्याशी थी. तब अजीत पवार ने मुझे 50 बार फोन कर सहायता मांगी थी. प्रफुल्ल पटेल ने भी मुझे फोन किया था. उन्होंने कहा कि यदि मैंने वरिष्ठ नेताओं की बात न मानी होती और केवल एक जनसभा कर दी होती, तो सुलभा खोडके 2 हजार मतों से जीतती नहीं, बल्कि 10 हजार मतों से हार जाती. लेकिन मैंने संयम रखा. आज उसी समर्थन के बल पर संजय खोडके राजनीतिक रूप से सक्रिय है.
* खोडके अहंकारी – राणा
रवि राणा ने आगे कहा कि तीन बार जनता से पराजित होने के बाद भी संजय खोडके में कोई बदलाव नहीं आया है. वे आज भी दंभ और दादागिरी के साथ व्यवहार करते हैं. एक बडा नेता विनम्र, लचीला और सबको साथ लेकर चलनेवाला होना चाहिए. लेकिन जो नेता केवल अहंकार में जीते हैं, उन्हें जनता सबक सिखाती है.
* राणा हमेशा धमकाते – खोडके
संजय खोडके ने अपने जवाब में रवि राणा के आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया. उन्होंने कहा कि राणा हमेशा धमकी भरे लहजे में बात करते हैं. वे कहते है कि उन्होंने मुझे 3 बार हराया. लेेकिन चुनाव में जनता फैसला करती है. हार को हमने स्वीकार किया है. लेकिन मुझे उसका कोई पछतावा नहीं. अजीत पवार के फोन करने के दावे पर खोडके ने कहा कि अजीत दादा ने रवि राणा को एक भी फोन नहीं किया. इसके विपरीत जब अजीत दादा नवनीत राणा के प्रचार के लिए अमरावती आए तो रवि राणा ने अजीत दादा से खोडके को मंच पर बुलाने के लिए कहा.
* वोट खराब नहीं करते
एनसीपी नेता ने आगे कहा, इसलिए में विधानसभा चुनाव में रवि राणा को अपने साथ लेकर अपने वोट खराब नहीं करना चाहता था. रवि राणा जिसके साथ भी जाते हैं. उसके वोट खराब हो जाते हैं. इसलिए अगर रवि राणा की पार्टी भाजपा के साथ है, तो वह बीजेपी का नुकसान कर सकते हैं.

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