महानगरपालिका चुनाव मई में होने की संभावना
अमरावती/दि.30 –स्थानीय स्वराज्य संस्था के ओबीसी आरक्षण को सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगिती कायम रखने के कारण राज्य के विधिमंडल अधिवेशन में महाविकास आघाड़ी व भाजपा ने एक साथ आकर इम्पेरिकल डाटा मिलने तक चुनाव आगे धकेलने का प्रस्ताव किया. इसलिए मार्च महीने में होने वाले महानगरपालिका चुनाव अब मई माह में होने की संभावना है.
अगस्त माह में राज्य चुनाव आयोग ने कच्ची प्रभाग रचना का कार्यक्रम घोषित किया. राज्य सरकार ने प्रथम तीन सदस्यीय प्रभाग रचना कर राज्यपाल की ओर से मंजूरी प्राप्त की. पश्चात बढ़ती लोकसंख्या का विचार कर अमरावती महानगरपालिका क्षेत्र में फिलहाल 22 प्रभागों में 11 लोगों की वृद्धि की. इस कारण 33 प्रभाग अस्तित्व में आये. इसके लिए 3 सदस्यीय पद्धति से 32 तो 1 दो सदस्यीय ऐसे 33 प्रभागों के लिए कच्ची प्रभाग रचना तैयार कर 30 नवंबर को आयोग को प्रस्तुत की गई. साधारणतः 20 दिसंबर को कच्ची प्रभाग रचना अंतिम कर प्रारुप प्रभाग रचना का कार्यक्रम घोषित होगा, ऐसी उम्मीद थी. मात्र सर्वोच्च न्यायालय में ओबीसी आरक्षण का निर्णय प्रलंबित होने से इस प्रवर्ग की जगह के अलावा चुनाव लेने के आदेश पर कायम रहने की भूमिका ली. इसलिए प्रारुप प्रभाग रचना का कार्यक्रम जनवरी महीने के पहले सप्ताह में घोषित होगा ऐसी चर्चा थी. मात्र ओबीसी आरक्षण के अलावा अन्य जगहों पर खुले, एससी व एसटी इन तीन प्रवर्ग में विभाजन ककर चुनाव लेने की भूमिका के कारण स्थानीय स्तर पर अस्वस्थता थी.
महापालिका के चालू पंचवार्षिक कार्यकाल की अवधि 15 मार्च 2022 होकर पालिका चुनाव आगे लिये जाने से 15 मार्च तक भाजपा को काम करने का अवसर मिलेगा. ऐसी स्थिति में पालिका आयुक्त के अंदाजपत्रक स्थायी समिति के सामने जाकर इसके पश्चात सर्वसाधारण सभा में मंजूरी ली जा सकेगी. वह मंजूर करने का अवसर भी भाजपा को मिलेगा.चुनाव की तारीख आगे बढ़ने से कुछ नगरसेवकों में आनंद तो कुछ में नाराजी का वातावरण है. चुनाव की तैयारी के लिए भरपूर समय मिलगा,ऐसे विचार कुछ नगरसेवकों ने व्यक्त किए.
फिलहाल महानगरपालिका में 22 प्रभागों में 87 नगरसेवक हैं. 2011 की जनगणनानुसार शहर की लोकसंख्या 6 लाख 47 हजार है. इस बात को ध्यान में रखते हुए 11 सदस्य बढ़ाने के साथ ही इसके अनुसार अब 33 प्रभागों में 98 नगरसेवक रहेंगे. अमरावती महानगरपालिका की स्थापना 1983 में हुई, फिर भी पहला चुनाव 1992 में हुआ.यह चुनाव एक सदस्यीय पद्धति से लिया गया था. उस समय कुल 78 सदस्य थे. दूसरे चुनाव में भी एक सदस्यीय पद्धति से लिया गया. 2002 में हुए चुनाव में त्रिसदस्यीय पद्धति को उपयोग किया गया. उस समय सदस्य संख्या बढ़ाकर 81 हुई थी. तब से इस बाबत विविध प्रयोग किए गए. अब आगामी चुनाव में इस नई पद्धति का लाभ किस पार्टी को मिलेगा, इस बारे में उत्सुकता है.