परतवाड़ा/अचलपुर-: भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ -साथ शहर के नागरिको और मीडिया ने जुड़वाशहर के गढ्ढो की ओर पालिका प्रशासन को ढोल बजाकर जगाने का काम किया । पालिका के कर्णधार और अधिकारी जागे भी और इस तरह जागे की पहले तो सड़को पर सिर्फ गड्ढे ही थे अब गढ्ढो के साथ काली -पीली मिट्टी की फिसलन का भी नागरिक आनंद उठाने को मजबूर हो गये ।
इस समाचार में ‘भृष्ट्राचार का कोरोना ‘ इस शब्द को प्रमुखता के साथ प्रयोग किया है । नगर पालिका के कर्णधारों पर , मुख्याधिकारी और उनके सभी सहयोगी अधिकारियो पर यह उपमा बिल्कुल सटीक बैठती है । भृष्ट्राचार को खत्म किया जा सकता है लेकिन जिस संस्था में कोरोना मिक्स भृष्ट्राचार की व्यवस्था का बोलबाला है वहाँ इसका इलाज असंभव कहा जा सकता है । क्योंकि कोरोना की अभी तक कोई वैक्सीन नही निकली है ।
परतवाड़ा -अचलपुर की सड़कों पर कुकुरमुत्तों की तरह सर्वत्र दिख रहे गढ्ढो को बुझाने में भी पालिका कर्णधार खुद की जेब भर रहे है । सड़क के गढ्ढो को मुरुम , गिट्टी अथवा डांबर का पैच लगाकर बंद किया जाना चाहिए था । पालिका के ज्ञानी -मानी और अंतर्यामी नगराध्यक्ष और उनकी टीम ने असंख्य गढ्ढो को शुद्ध भारतीय कृषि की मिट्टी से बंद करने का अनूठा , अविस्मरणीय कार्य कर दिखाया है । अभी भी यह कार्य बदस्तूर जारी है । नगराध्यक्ष के कार्यकाल को चार वर्ष पूर्ण हो चुके है और अब अंतिम चरण में पालिका की इस सरकार ने अपने फंड राइजिंग प्रोग्राम को गति देने का चित्र नजर आने लगा है । राज्य पीडब्ल्यूडी विभाग में गड्ढे बुझाने मे , मुरुम डालने में भृष्ट्राचार करने को सब से निम्न स्तरीय डी ग्रेड हरकत माना जाता है ।लूपलाइन और हांशिये पर पड़े नेता और अधिकारी ही ऐसी चिल्लर चोरी करते है ऐसा समर्थ भरष्ट्राचारियो का मानना है ।नगर पालिका में यही सब हो रहा । जल्द ही आम चुनाव भी होंगे । उस चुनाव में फिर खड़े होना है । उसके इंतजाम अभी किये जा रहे ।
मिट्टी से गड्ढे भर रहे । इससे सड़क पर वाहन फिसल कर दुर्घटनाये होने लगी है । नागरिको को लाख परेशानी हो लेकिन उससे पालिका प्रशासन का कोई लेनादेना नही है । अधिकांश मेंबर ही ठेकेदार का भी कर्तव्य निभा रहे है ।इससे दो फायदे होते है । एक तो बांधकाम विभाग के अभियंता को कमीशन नही देना पड़ता और दूसरा गड्ढे बुझाने की गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं करता है । अब ठेकेदार मेंबर केले के छिलके से गड्ढे बंद करे ….भाऊ का बिल तो मुरुम का ही निकाला जायेगा…!!!
नागरिको में काफी आक्रोश है । अख्खे शहर की सड़कें लापता हो चुकी । गड्ढे अपनी कर्मकहानी खुद बयां कर रहे । लाखो रुपये टेक्स लेने के बाद भी नागरिको के हाथ मे सिर्फ बाबाजी का ठुल्लू ही थमाया जा रहा । देवड़ी , चावलमण्डी, बुध्दे खां चौक , रायपुरा , बियाबानी , जीवनपुरा , हीरापुरा , विलायतपुरा , गांधी पुल , सरायपुरा , बेगमपुरा , सदर बाजार , दुरानी से टीवी टावर , वकील लाइन , मेन रोड , गुजरी बाजार , मुगलाईपुरा आदि वो मोहल्ले है जहाँ बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर कोई गढ्ढो से जूझ रहा । अब जिलाधीश महोदय का ही सहारा बचा है कि वो पालिका प्रशासन को कम से कम इतना ही समझाए की नपा अधिकारी कम से कम गड्ढे तो ईमानदारी से बुझाये । इस भृष्ट्राचार कोरोना की अर्जेन्ट में वैक्सीन खोजना जरूरी हो चुका है ।