अमरावती

शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में आज कत्ल की रात, कल शाम ही थमा प्रचार

कल होगा मतदान, सभी प्रत्याशियों द्वारा व्यक्तिगत संपर्क व सोशल मीडिया मैसेज का लिया जा रहा सहारा

  • इस बार राजनीतिक दलों से शिक्षक संगठनों की भिडंत का नजारा

अमरावती/दि.30 – राज्य विधान परिषद की सीट हेतु अमरावती संभागीय शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में कल मंगलवार 1 दिसंबर को मतदान होना है. जिसके लिए जहां एक ओर प्रशासनिक व्यवस्था चाकचौबंद हो गयी है. वहीं दूसरी ओर रविवार 29 नवंबर की शाम चुनाव प्रचार की अवधि खत्म हो गयी है. जिसके बाद सभी प्रत्याशी व उनके समर्थक अब संभाग के पांचों जिले में फैले करीब 36 हजार शिक्षक मतदाताओं से व्यक्तिगत संपर्क करने के साथ ही उन्हें लगातार सोशल मीडिया के जरिये संदेश भेज रहे है, ताकि अपने पक्ष में माहौल बनाया जा सके. इस चुनाव हेतु मतदान कल सुबह से शुरू हो जायेगा. ऐसे में अब सोमवार 30 नवंबर की रात को इस चुनाव के लिहाज से कत्ल की रात कहा जा सकता है.
बता दें कि, अमूमन शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव विभिन्न शिक्षक संगठनों द्वारा लडा जाता है. जिन्हेें अलग-अलग राजनीतिक दलों का समर्थन व प्रश्रय प्राप्त रहता है. लेकिन इस बार राज्य के सत्ता पक्ष व विपक्ष द्वारा इस चुनाव में सीधे अपने प्रत्याशी खडे किये गये है. ऐसे में अब यह मामला शिक्षक संगठनों एवं राजनीतिक दलों के बीच टकराववाला हो गया है. साथ ही अब इस बात को लेकर भी जबर्दस्त दिलचस्पी देखी जा रही है कि, संभाग के शिक्षक राजनीतिक दलों को प्राथमिकता देते है, या फिर शिक्षक संगठनों को. हालांकि यह 3 दिसंबर को होनेवाली मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा.

सभी 27 प्रत्याशियों ने जमकर बहाया है पसीना

ज्ञात रहें कि इस चुनाव में महाविकास आघाडी की ओर से शिवसेना के प्रा. श्रीकांत देशपांडे, भाजपा के डॉ. नितीन धांडे, विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रकाश कालबांडे, महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद के राजकुमार बोनकिले, शिक्षक महासंघ के शेखर भोयर, शिक्षण संघर्ष संगठन की संगीता शिंदे, पश्चिम विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ के विकास सावरकर, शिक्षक भारती के दिलीप निंभोरकर, विज्युक्टा के अविनाश बोरडे, अमरावती विभागीय शिक्षक संघ के किरण सरनाईक, महाराष्ट्र शिक्षक आघाडी निलेश गावंडे तथा अन्य कई निर्दलीय प्रत्याशियों सहित कुल 27 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है और नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सभी ने शिक्षक मतदाताओं से पहली पसंद के वोट प्राप्त करने हेतु जबर्दस्त पसीना बहाया है. जिसके लिए निर्वाचन क्षेत्र में शामिल पांचों जिलों का दौरा करते हुए एडीचोटी का जोर लगाया गया है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, चुनाव की घोषणा होने से पहले ही सभी शिक्षक संगठनों ने अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करते हुए शिक्षक मतदाताओं से संपर्क करना शुरू कर दिया था, लेकिन बीच में कोरोना का संक्रमण बढने की वजह से यह संपर्क अभियान खंडित हो गया. पश्चात चुनाव की तारीखें घोषित होने पर सभी उम्मीदवार एक बार फिर काम पर लग गये और अपने वचननामों के साथ अपनी दावेदारी लेकर शिक्षकों के बीच पहुंचने लगे.

राजनीतिक रंग में रंग गया है चुनाव

इस चुनाव में पहली बार राजनीतिक दलों द्वारा हिस्सा लिया जा रहा है. जिसके तहत महाविकास आघाडी द्वारा शिवसेना के कोटे से प्रा. श्रीकांत देशपांडे और भाजपा द्वारा डॉ. नितीन धांडे को अपना प्रत्याशी बनाया गया है और अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत के लिए संबंधित दलों द्वारा पूरी ताकत झोंकी जा रही है. ऐसे में शिक्षक संगठनों के प्रत्याशी कहां तक दम मार पायेंगे, इसे लेकर जबर्दस्त उत्सूकता देखी जा रही है. बता दें कि, आज तक अमरावती शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ व महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद के बीच परंपरागत द्वंद होता दिखाई देता था, लेकिन पिछली बार मूलत: शिवसैनिक रहनेवाले शिक्षक आघाडी के प्रा. श्रीकांत देशपांडे ने बाजी मारते हुए प्रस्थापित राजनीतिक समीकरण को बदल दिया था. वहीं इस बार भाजपा और शिवसेना सीधे तौर पर इस चुनाव में उतरे है. जिससे यह चुनाव राजनीतिक रंग में रंगता नजर आ रहा है.

इस बार बदल चुका है हार-जीत का समीकरण

इस चुनाव के प्रचार के दौरान अन्य आमचुनाव की तरह कई राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी हुए. ऐसे में अब यह देखनेवाली बात हो गयी कि, अमरावती संभाग में शिक्षक संगठनों का अस्तित्व खत्म होता है, या फिर उनकी ताकत और भी अधिक बढती है. चुनाव प्रचार के दौरान सभी प्रत्याशियों द्वारा शिक्षक मतदाताओं को पहली पसंद के मतदान के साथ ही दूसरे व तीसरे पसंदक्रम के मतदान का महत्व भी समझाया जा रहा है. पहली पसंदवाले मतदान में 51 फीसदी वोटों का कोटा पूर्ण न होने पर दूसरी एवं तीसरी पसंदक्रम के वोटों को महत्व प्राप्त होता है. विगत चुनाव में कुल 27 हजार 764 वोट पडे थे. जिसमें 12 हजार 109 वोट हासिल कर प्रा. श्रीकांत देशपांडे विजयी हुए थे. वहीं दूसरे स्थान पर रहनेवाले एड. अरूण शेलके के 7 हजार 167, तीसरे स्थान पर रहनेवाले वसंतराव खोटरे को 4 हजार 768 तथा चौथे स्थान पर रहनेवाले शेखर भोयर को 1 हजार 460 वोट प्राप्त हुए थे. लेकिन विगत चुनाव की तुलना में इस बार स्थिति बदल गयी है. पिछली बार के चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 46 हजार के आसपास थी, जो इस बार घटकर 35 से 36 हजार के बीच है. ऐसे में पहली पसंद के 7 से 9 हजार वोट मिलने के बाद ही जीत का गणित तय हो सकेगा, ऐसी संभावना राजनीतिक जानकारों द्वारा जतायी जा रही है.

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