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फर्जी जन्म प्रमाणपत्र की आड लेकर मुस्लिमो को बनाया जा रहा निशाना

एड. शोएब खान ने तहसील व जिला प्रशासन से मिलकर सौंपा ज्ञापन

* प्रशासन पर राजनीतिक दबाव में काम करने का लगाया आरोप
* समुदाय विशेष को जानबुझकर टारगेट करना बंद करने का किया निवेदन
अमरावती/दि. 24 – किसी व्यक्ति के नाम में स्पेलिंग को लेकर कोई छोटा-मोटा फर्क या बदलाव रहने के चलते सीधे उस व्यक्ति के अस्तित्व पर सवालियां निशान खडा करते हुए उसके जन्म प्रमाणपत्र को ही फर्जी करार दिया जा रहा है. जिससे संबंधित व्यक्ति की भारतीय नागरिकता की वैधता ही खतरे में पड रही है. साथ ही ऐसा करते हुए समुदाय विशेष के लोगों को जानबुझकर निशाना बनाया जा रहा है और उनके खिलाफ सीधे पुलिस थाने में फौजदारी मामले दर्ज किए जा रहे है. जिसे तत्काल रोका जाना चाहिए. क्योंकि यह पूरी तरह से अन्यायकारक व गैरसंवैधानिक कारवाई है. इस आशय की मांग का ज्ञापन जिला वकील संग के पूर्व अध्यक्ष एवं शहर के वरिष्ठ विधिज्ञ एड. शोएब खान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने तहसीलदार व जिलाधीश को सौंपा.
अमरावती के जिलाधीश व तहसीलदार को सौंपे गए निवेदन में विधिज्ञों के इस प्रतिनिधि मंडल का कहना रहा कि, अमरावती में बडे पैमाने पर बांग्लादेशीयों व रोहिंग्याओं के आकर बस जाने संदर्भ में भाजपा नेता किरीट सोमैया द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेतुका व तथ्यहीन है और सत्ता पक्ष से वास्ता रखनेवाले पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा लगाए गए आरोपों के दबाव में आकर अमरावती तहसील प्रशासन द्वारा आनन-फानन में समुदाय विशेष से वास्ता रखनेवाले कुछ लोगों के जन्म प्रमाणपत्र खारिज कर दिए गए. जिसे साफ तौर पर संबंधित प्रमाणपत्र धारकों को प्रताडित किए जाने का मामला कहा जा सकता है. क्योंकि प्रशासन द्वारा की गई प्राथमिक जांच में अब तक अमरावती में कोई भी बांग्लादेशी या रोहिंग्या नहीं मिला है और जिन लोगों के प्रमाणपत्रों को फर्जी बताकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनके परिवार विगत कई पीढीयों से अमरावती में ही रह रहे है. साथ ही उनके नामों में थोडा बदलाव पाया गया था. जिसे लेकर ज्ञापन में दलील दी गई है कि, मुस्लिमों में ज्यादातर लोगों के सरनेम खान, पठान, शेख व सैयद होते है. इसमें से शेख सरनेम वाले लोग अपने नाम के आगे या पीछे अहमद, मोहम्मद, अब्दुल या अली भी लिखते है. इसी तरह मुस्लिम महिलाओं के नाम के आगे विवाह से पहले परवीन व अंजूम तथा विवाह पश्चात बेगम, बानो, बी लिखा जाता है. जिन लोगों के जन्म प्रमाणपत्रों को प्रशासन द्वारा फर्जी करार दिया गया है, उन लोगों के आवेदन व दस्तावेज में नामों का यह क्रम थोडाबहुत आगे-पीछे दिखाई दिया, मसलन अहमद की जगह अब्दुल लिखा हुआ था और बानो या बी की जगह बेगम या परवीन लिखा हुआ था. जबकि दोनों शब्द आपस में पर्यायवाची है और मुस्लिमों में एक ही व्यक्ति के ऐसे दो नाम हो सकते है.
इसके साथ ही इस प्रतिनिधि मंडल का यह भी कहना रहा कि, कायदे के मुताबिक अगर किसी के नाम में कोई गलती है और यदि उसमें दुरुस्ती करने की जरुरत है, तो किसी गैझेटेड ऑफीसर या अदालत के समक्ष आवेदन करते हुए ऐसी दुरुस्ती करने का प्रावधान भी है. परंतु यह पर्याय उपलब्ध कराने की बजाए प्रशासन ने नाम में गलती और दुरुस्ती रहनेवाले लोगों के खिलाफ राजनीतिक दबाव में आकर सीधे फौजदारी मामला ही दर्ज करा दिया. जो पूरी तरह से गैरमुनासीब काम है. ऐसे में तहसील प्रशासन द्वारा केवल नाम में गलती रहने की वजह से आम नागरिकों के खिलाफ ऐसे झूठे मामले दर्ज कराने की कार्रवाई को पूरी तरह से गलत व असंवैधानिक कहा जा सकता है. जिसे तत्काल रोके जाने की जरुरत है. क्योंकि इस तरह की कार्रवाई से अल्पसंख्यंक रहनेवाले मुस्लिम समाज बंधुओं में भय एवं संभ्रम वाला माहौल है. साथ ही अन्य समाजों द्वारा मुस्लिम समाज बंधुओं को संदेह की द़ृष्टि से देखा जा रहा है.
तहसील एवं जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते समय एड. शोएब खान, एड. नासीर शाह, एड. शब्बीर हुसैन, एड. शमीम अतहर, एड. जावेद आलम, एड. शाहजेब खान, एड. फैज खान, एड. मो. हारुण, एड. फराज खान, एड. मो. फरीद, एड. शहजाद नैयर, एड. अकिल अहमद व एड. शहाबुद्दीन उपस्थित थे.

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