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राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी अवश्य दें भेंट

दो दिनों में 54 हजार से अधिक लोग पहुंचे

* कृषि क्षेत्र के नये उपयोगी संशोधन की देखें झलक
* विशेषज्ञों के संवाद भी प्रभावी
अमरावती/ दि.29– श्री शिवाजी शिक्षा संस्था द्बारा संचालित कृषि महाविद्यालय के प्रांगण में शुरू राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी न केवल अत्यंत आकर्षक और खेतीबाडी में रूचि रखनेवालों के लिए बहुत ही उपयोगी बल्कि अमरावती जैसे शहर के निवासियों हेतु ‘एक पर्वणी’ की तरह हैं. जिसका अवलोकन प्रत्येक को करना चाहिए. वैसे भी गत दो दिनों में प्रदर्शनी को 54 हजार से अधिक लोग भेंट दे चुके हैं. इसमें कृषि के नये तकनीकी उपकरण से लेकर पैदावार बढाने, कम जगह में अधिक उत्पादन करने और मौसम आदि की जानकारी का अपडेट व उस हिसाब से अपनी खेती में फसल लेने की उपयोगी जानकारी दी जा रही है. खेती किसानी की काया पलट की क्षमता यह प्रदर्शनी रखती है, इस तरह के विचार जानकार भी व्यक्त कर रहे हैं.
* मौसम आधारित खेती
शिवाजी कृषि महाविद्यालय ने मौसम का स्वयंचलित केंद्र विकसित किया है. जो लोग चाहे तो अपने खेतों में लगा सकते हैं. केवल 40 हजार रूपए में यह केंद्र लगाया जा सकता है. जो तापमान और सॉइल मॉइस्चर के साथ ही सूर्य प्रकाश की तीव्रता, हवा की गति और दिशा लीफवेटनेस आदि की जानकारी बाकायदा आंकडों में देता है. यह आंकडे खेतीबाडी के लिए बडे उपयोगी सिध्द होते हैं. शिवाजी कृषि ने इस प्रदर्शनी में मौसम के स्वयंचलित केंद्र का स्टॉल लगाया है. इससे अपनी खेती में कौनसी फसल लेना उचित रहेगा और उसकी सिंचाई आदि के बारे में भी जानकारी हैं. नेट और मोबाइल से मशीन कनेक्ट की जा सकती है. घर बैठे मौसम की जानकारी खेत में न जाते हुए भी मिल जाती है. सिंचाई, दवा छिडकाव का प्रबंधन परफेक्ट होता है. तुषार सिंचाई की एक बूंद भी जाया नहीं होने का दावा प्रा. अनिल बंड ने किया हैं.
फोटो- क्यारी नाम से
* क्यारियों से बढाए उत्पादन
प्रदर्शनी में फल और सब्जियों का उत्पादन व्यवस्थित क्यारियां बनाकर बढाए जाने का प्रात्यक्षिक कर दिखाया गया है. जिसमें कम जगह में अधिक उत्पादन लेने के साथ पानी का भी दुबारा उपयोग किए जाने के बारे में बताया गया है.
* दो दिनों में विजीटर्स
शिवाजी की कृषि प्रदर्शनी में 28 दिसंबर को 30240 किसानों ने भेंट दी. वही पहले दिन 24678 लोगों ने अवलोकन किया. तीसरे दिन कुल आंकडा लाख में पहुंचने की पूरी संभावना हैं.
पशु प्रदर्शनी भी
नये नये औजार और उपकरणों, बीजों, खाद, कीटनाशक कंपनियों के स्टॉल के साथ पशु प्रदर्शनी भी उपयोगी है. खेतीबाडी के साथ दूधारू पशु गाय, भैस, बकरी की देशज नस्ले यहां दिखाई गई है. इन्हें देखने और उसके बारे में जानकारी लेने के लिए भी लोग उमड रहे हैं.


* काठोले की प्रतिक्रिया
पंजाबराव देशमुख आयएएस अकादमी के संचालक नरेशचंद्र काठोलेे ने बताया कि 71 वर्ष के जीवन में उन्होंने पहलीबार खेतीबाडी पर इतनी भव्य दिव्य प्रदर्शनी देखी है. यह अपने आप में बहुत ही उपयोगी प्रदर्शनी है. 30 तारीख तक चलेगी. उन्होंने बताया कि शिवाजी संस्था के पूर्व उपाध्यक्ष महादेवराव भुईभार का कीर्तन और खेतीबाडी के बारे में जानकारी का उपक्रम सतत शुरू है. उसी प्रकार एक से बढकर एक स्टॉल वहां लगे हैं. खेती के सबसे अच्छे फूल, फल, पौधे व वस्तुएं देखने मिल रही है. जगह-जगह सहायता केंद्र भी है जो जानकारी दे रहे हैं. गांव में गंगा आयी है, जैसा अनुभव है. इसे सभी को अवश्य देखने की अनुशंसा डॉ. काठोले कर रहे हैं. संयोजक की कल्पनाशीलता की भी उन्होंने बढाई की.

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