अमरावतीमहाराष्ट्र

देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं न टरुं……

गुरुद्वारा श्री गुरुसिंग सभा में मनाया खालसा पंथ साजना दिवस

* बैसाखी पर्व की दी गई शुभकामनाएं
* विशेष कीर्तन दिवान सजा
* भाई भूपिंदर सिंघ, भाई संतोख सिंघ की संगत ने किया निहाल
अमरावती/दि.15-बुटी प्लॉट, राजापेठ स्थित गुरुद्वारा श्री गुरुसिंग सभा द्वारा आज खालसा पंथ साजना दिवस-बैसाखी का पर्व बडे ही उत्साह से मनाया गया. खालसा पंथ साजना दिवस को 325 साल पूरे होने पर बैसाखी की सभी साध संगत को बधाईयां दी गई. इस उपलक्ष्य में गुरुद्वारा श्री गुरुसिंग सभा में 11 से 14 अप्रैल तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया है. गुरुद्वारा श्री गुरुसिंग सभा में आज पुलिस आयुक्त नवीनचंद्र रेड्डी, डीसीपी गणेश शिंदे, एसीपी शिवाजी बचाटे, राजापेठ पुलिस थाना के थानेदार महेंद्र अंभोरे, क्राईम ब्रांच के पीआई आठवले, दिनेश बूब की पत्नी शीला बूब, शिवसेना जिला प्रमुख अरूण पडोले, सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रतावा, ने भेंट देकर बैसाखी की शुभकामनाएं दी. इस अवसर पर गुरुद्वारा श्री गुरुसिंग प्रबंधक कमेटी की ओर से सभी का स्वागत व सत्कार किया गया. इस समय उपस्थित शिवसेना नेता, सिंधी समाज महाराष्ट्र राज्य मुख्य समन्वयक नानकराम नेभनानी को सरोपा देकर सत्कार किया गया.
बैसाखा के उपलक्ष्य में 11 अप्रैल को श्री अखंड पाठ साहब जी की आरंभता हुई. आज संगरांध, सुबह 8.30 बजे श्री सुखमनी साहेब जी का पाठ, सुबह 9.45 बजे श्री अखंड पाठ साहेब जी की समाप्ति हुई. इसके उपरांत श्री सहज पाठ साहेब जी की समाप्ति हुई. सुबह 10.30 बजे भाई भूपिंदर सिंघ जी हजुरी जत्था, सुबह 11 बजे भाई संतोख सिंघ जी जलंधर वाले का कीर्तन दिवान सजा. इसके उपरांत अरदास समाप्ती हुई. पश्चात गुरु का लंगर आदि कार्यक्रम संपन्न हुए.

* कल सम्पूर्ण कीर्तन दिवान
कल 14 अप्रैल को सुबह 8.30 बजे आसा दी वार जी का संपूर्ण कीर्तन दिवान, अरदास समाप्ति, गुरु का लंगर, तथा रात 7 से 10 बजे तक कीर्तन दिवान के उपरांत अरदास समाप्ति होगी. पश्चात गुरु का लंगर आयोजित किया है.

* गौरवशाली समाज का आधार
देशभर में बैसाखी का त्योहार मनाया जा रहा है, लेकिन सिख समुदाय के लोगों के लिए बैसाखी खास है. दरअसल, आज का दिन सिख इतिहास जुडा है. सिखों के 10 वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने आज के दिन ही खालसा पंथ की शुरुआत की थी. इसलिए यह त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. बैसाखी का पर्व उल्लास के साथ ही गुरु गोबिंद सिंघ द्वारा स्थापित उन आदर्शों के स्मरण का भी है, जो समानता, सद्भाव संयम और प्रेमपरिपूर्ण गौरवशाली समाज का आधार है.

 

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