‘मन लोवडी दरादरे वीर, आज म चाली रं……….’
अमरावती महानगर टांडा, तीज विसर्जन का शानदार समापन
* दस दिवसीय उत्सव का शानदार समापन
अमरावती/दि.28- पिछले दस दिनों से अमरावती महानगर तांड्य के नायक प्रो.डॉ. सुभाष चव्हाण के नेतृत्व में बंजारा समुदाय की सांस्कृतिक पहचान ’तीज’ उत्सव पिछले 25 अगस्त रविवार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ. श्रावण मास में आने वाला ‘तीज‘ त्यौहार कुंवारी लड़कियों के जीवन का सबसे खुशी का त्यौहार है. इसके लिए बंजारा समाज के हर परिवार की विशेष महिलाएं और लड़कियाँ एक साथ आती हैं और दस दिनों तक खुशी-खुशी तीज का त्यौहार मनाती हैं. इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्षता उदय सिंह राठौड़ ने की. साथ ही तांडे के नायक सुभाष चव्हाण, कारभारी शंकर चव्हाण, डॉ. अमर सिंह राठोड, सेवानिवृत्त शिक्षा उपनिदेशक राम पवार, चंदन सिंह राठोड , सेवानिवृत्त जिला योजना अधिकारी शाम चव्हाण, डॉ. जयंत वडटे, जयसिंह राठोड, प्रवीण राठोड, मोतीलाल जाधव, अजबराव राठोड, हीरालाल जाधव, मनोहर चव्हाण, हसबी राम आडे, नसाबी, रमेश जाधव, विनोद पवार, सुहास चव्हाण आदि मंच पर उपस्थित थे.
‘मन लोवडी दरादरे वीर, आज म चाली रं……….‘ इस गाने की पंक्तियां सालों से याद आ रही हैं। अब हम एक साल तक दोबारा नहीं मिलेंगे, यह जुदाई का एहसास तो जाहिर करता है, लेकिन दोबारा मिलने की चाहत भी जाहिर करता है।’ नौकरी, व्यवसाय और शिक्षा के लिए अलग-अलग हिस्सों से अमरावती शहर में बसे बंजारा समुदाय आज भी अपनी सांस्कृतिक विशिष्टता को बरकरार रखे हुए है. परंपरा के अनुसार, ‘तीज’ त्योहार की शुरुआत 15 अगस्त 2024 को तांडे के नायक सुभाष चव्हाण के घर से हुई थी.
साथ ही शंकरनगर, अर्जुननगर, व्ही एम व्ही परिसर, रविनगर, मंगलधाम परिसर व एसआरपी कैंप में आनंदोत्सव का आयोजन किया गया. दस दिवसीय इस महोत्सव में शहर की सैकड़ों महिलाएं व युवतियां शामिल हुईं। एक बंजारा समुदाय होने के नाते जो गाय का अनुयायी है, भगवान कृष्ण की श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है। साथ ही 24 अगस्त 2024 को गणगौर/ढम्बोली कार्यक्रम मनाया गया. इस मौके पर पारंपरिक नृत्य-गीत प्रस्तुत कर श्रीकृष्ण और राधे की आराधना की गई. इसके बाद यह महोत्सव 25 अगस्त को संस्कार लॉन, अमरावती में समापन हुआ.
श्रम निवारण के लिए लोकगीतों की रचना
इस अवसर पर बोलते हुए उदय सिंह राठोड ने कहा कि बंजारा समाज मूलतः मेहनतकश समाज है. अथाह परिश्रम के फलस्वरूप इस समाज ने लदाणी काल में देश के व्यापार में वृद्धि की. इस समाज ने देश की तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था को जीवित रखने का कार्य किया. रबात में दिन-रात घूमते हुए उन्होंने श्रम निवारण के लिए लोकगीतों की रचना की. इस मौके पर उन्होंने कहा कि ”तीज” त्योहार के दौरान गाए जाने वाले गीत इस बात के गवाह हैं.
लोक जीवन एवं संस्कृति को प्रदर्शित करता
कार्यक्रम के परिचय में तांडे के नायक सुभाष चव्हाण ने महोत्सव की पृष्ठभूमि और इसकी शुरुआत कैसे हुई, इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी. साथ ही सुभाष चव्हाण ने कहा कि बंजारा महोत्सव एवं उत्सव बंजारा लोक जीवन एवं संस्कृति को प्रदर्शित करता है.
कार्यक्रम में अनिता चव्हाण, प्रबंधक योगिता चव्हाण, अनिता पवार, शशिकला जाधव, पार्वती राठोड , संजीवनी राठोड , संगीता वडे, सरिता राठोड, बेबी राठोड, शोभा चव्हाण, सुनीता राठोड, विमल राठोड, विमल आडे, सुरेखा जाधव, सविता आडे, नीरू जाधव, प्रेमा चव्हाण, बेबीताई पवार, मीरा चव्हाण, सावित्री जाधव, मालती राठोड, पुष्पा जाधव, वनिता चव्हाण, लता राठोड, शांता राठोड, जयश्री राठोड, ललिता राठोड, प्रीति राठोड, किरण राठोड, बबीता राठोड और बड़ी संख्या में लोग पारंपरिक वेशभूषा में बंजारा बहनें मौजूद थीं.कार्यक्रम संचालन प्रो. डॉ. विशाल जाधव ने किया. आभार शंकर चव्हाण का माना. सेवालाल महाराज की आरती के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.