अमरावतीमहाराष्ट्र

मेरा पद्मश्री पुरस्कार धोबी समाज को समर्पित

अनाथो के नाथ शंकरबाबा पापलकर का कथन

* संत गाडगेबाबा संस्था ने किया सत्कार
अमरावती/दि.27– अनाथो के नाथ शंकरबाबा पापलकर ने कहा कि, धोबी समाज द्वारा उन्हें पद्मश्री पुरस्कार मिलने पर किया गया सत्कार काफी प्रशंसनीय है. वे अब तक धोबी समाज से दूरी रखते आए है. लेकिन आज जिस तरह समाज एकजूट दिखाई दे रहा है और उन्होंने मेरा जाहीर सत्कार किया है वह सराहनीय है. उन्होंने अपना पद्मश्री पुरस्कार समाज को समर्पित करने का प्रतिपादन किया.
शहर के कठोरा रोड स्थित संत गाडगेबाबा सभागृह में संत गाडगेबाबा संस्था द्वारा पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त शंकरबाबा पापलकर के सत्कार समारोह का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर उन्होंने उक्त प्रतिपादन किया. कार्यक्रम में संत गाडगेबाबा संस्थान के अध्यक्ष दिलीप वडूरकर, पूर्वाध्यक्ष नितिन शेदे, राजा उंबरकर, मृदुला भिवलकर, मोझरी गुरुदेव सेवा मंडल के तायडे गुरुजी, वझ्झर संस्थान की गांधारी पापलकर आदि प्रमुख रुप से उपस्थित थे. शंकरबाबा ने कहा कि, दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों प्रदान किए पद्मश्री पुरस्कार के लिए सभी लोग अपने परिवार के साथ वहां पहुंचे थे. लेकिन वे अपनी बच्ची गांधी और योगेश के साथ वहां उपस्थित हुए थे. क्योंकि अनाथ और दिव्यांग बच्चे ही उनकी पुंजी है. शंकरबाबा का कहना था कि, उनके पिता ने सेवा के कार्य में हमेशा ही योगदान दिया है. 1898 में उन्होंने पहले धर्मशाला मुंबई में स्थापित की थी. हमेल सर्व धर्म समभाव की भावना को जागृत करते हुए हर समाज की बहू-बेटी को अपने परिवार का हिस्सा बनाया. इसी कारण को समझने के लिए हमें दूरी बनाने मजबूर किया होगा. यही कारण है कि, सामाजिक कार्य करते हुए उन्होंने धोबी समाज से कुछ दूरी बनाई. लेकिन पुरस्कार के माध्यम से जो सामाजिक एकता दिखाई दे रही है, वह उनके लिए प्रेरणादायी है. शंकरबाबा ने कहा कि, संत गाडगेबाबा का उनके परिवार पर विशेष आशीर्वाद रहा है. इस कारण उनके माता-पिता की शादी भी गाडगेबाबा के हाथों हुआ है. उन्हें जो सम्मान मिला है वह केवल उनका नहीं बल्कि पूरे समाज का है. इस कारण अब रुकना नहीं है बल्कि चलते रहने का आवाहन उन्होंने किया.

समारोह में अन्य मान्यवरो ने भी अपने समयोचित विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम में गांधारी पापलकर ने देशभक्ति पर गीत गाकर उपस्थितों की तालियां बटौरी. शंकरबाबा ने इस अवसर पर विशेष तौर पर कहा कि, गांधारी को आगामी माह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात के लिए दिल्ली बुलाया है. कार्यक्रम में पद्मश्री शंकरबाबा पापलकर का शाल, श्रीफल व स्मृतिचिन्ह देकर सत्कार किया गया. कार्यक्रम का प्रास्ताविक राजेंद्र गवली ने, संचालन पूर्व सचिव सुनील उमक ने तथा आभार प्रदर्शन रविंद्र गवली ने किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्थान के सदस्य दिलीप वडूरकर, रविंद्र गवली, अशोक मोहोड, दिनेश मोकलकर, किशोर पेढेकर, अनिल खिरसकर, सतीश सेवाने, श्रीकृष्णा उंबरकर, अक्षय गवली, दिवाकर तायवाडे, लता लेवटकर, सुलभ बोरकर आदि ने अथक परिश्रम किया.

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