अमरावतीमहाराष्ट्र

कांग्रेस के हिस्से में अमरावती सहित नागपुर, भंडारा, चंद्रपुर व गडचिरोली

ठाकरे गुट अडा हुआ है यवतमाल-वाशिम, बुलढाणा व रामटेक के लिए

अमरावती/दि.08– आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर महाविकास आघाडी में विदर्भ की 10 सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच काफी हद तक फंसा हुआ है. क्योंकि यवतमाल-वाशिम सहित बुलढाणा व रामटेक की संसदीय सीट को अपने हिस्से में रखने के लिए शिवसेना उबाठा पार्टी अड गई है. जिसमें से किसी एक सीट पर ‘एडजेस्टमेंट’ करने का आग्रह कांग्रेस द्वारा किया जा रहा है. वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) के लिए वर्धा संसदीय सीट छोडने पर कांग्रेस ने अपनी सहमति दर्शायी है. इसके अलावा महाविकास आघाडी के नेताओं के बीच हुए समझौते के तहत अमरावती सहित नागपुर, भंडारा-गोंदिया, चंद्रपुर व गडचिरोली यह पांच संसदीय सीटे कांग्रेस के हिस्से में रहने की बात लगभग तय हो गई है. वहीं वंचित बहुजन आघाडी के नेता एड. प्रकाश आंबेडकर के साथ चर्चा जारी रहने के चलते फिलहाल मविआ में अकोला संसदीय सीट को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है.

 * अमरावती सीट पर किसका दावा और किसके बीच टक्कर
बता दें कि, किसी समय कांगे्रस का मजबूत गढ रहने वाली अमरावती संसदीय सीट को आगे चलकर कांग्रेस-राकांपा की आघाडी रहते समय राकांपा के कोटे में छोडा जाता था. हालांकि राकांपा को अमरावती संसदीय सीट पर कभी भी जीत हासिल नहीं हुई. ऐसे में स्थानीय कांग्रेसियों द्वारा विगत लंबे समय से अमरावती संसदीय सीट को कांग्रेस के हिस्से में देने और यहां पर पंजा चुनाव चिन्ह पर प्रत्याशी मैदान में उतारने की मांग की जा रही थी. जिसे लेकर इस बार मविआ के तीनों घटक दलों ने अपनी सहमति दर्शायी है. जिसके चलते इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र में लंबे समय बात पंजा चुनावी चिन्ह दिखाई दे सकता है. ध्यान दिला दें कि, वर्ष 2014 में कांग्रेस-राकांपा आघाडी के तहत राकांपा ने नवनीत राणा को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था, जिन्हें उस समय हार का सामना करना पडा था. पश्चात नवनीत राणा ने कांग्रेस-राकांपा आघाडी का समर्थन लेते हुए वर्ष 2019 का चुनाव निर्दलिय प्रत्याशी के तौर पर लडा था और जीत हासिल की थी. दोनों ही बार नवनीत राणा का मुकाबला तब भाजपा सेना युति के प्रत्याशी व तत्कालीन सांसद आनंदराव अडसूल के साथ हुआ था. वहीं अब अमरावती के लिए राजनीतिक हालात काफी बदल गये है. क्योंकि कांग्रेस-राकांपा के समर्थन से जीत हासिल करने के बाद संसद पहुंची सांसद नवनीत राणा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली भाजपा गठबंधन सरकार का समर्थन करना शुरु कर दिया था और वे इस समय भी भाजपा के ही पाले में है. साथ ही कभी उनके प्रतिस्पर्धी रहे पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल भी इस समय शिंदे गुट वाली शिवसेना के साथ है, जो भाजपा के साथ राज्य की महायुति में शामिल है. ऐसे में सांसद नवनीत राणा व पूर्व सांसद अडसूल इस समय एक ही गठबंधन में शामिल है, जिनमें से सांसद नवनीत राणा का प्रत्याशी बनना लगभग तय माना जा रहा है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि, महायुति प्रत्याशी के सामने महाविकास आघाडी द्वारा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान मेें किसे उतारा जाता है. हालांकि विगत लंबे समय से कांग्रेस द्वारा दर्यापुर के विधायक बलवंत वानखडे का नाम लोकसभा प्रत्याशी के लिए चलाया जा रहा है. साथ ही यह भी खबर है कि, कांग्रेस की प्रदेश चयन समिति ने भी वानखडे के नाम पर सहमति दर्शायी है.

* यवतमाल-वाशिम में दिखाई दे रही जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा
यवतमाल-वाशिम संसदीय क्षेत्र का शिवसेना सांसद भावना गवली द्वारा विगत 5 कार्यकाल से प्रतिनिधित्व किया जा रहा है और शिवसेना में हुई दोफाड के बाद सांसद भावना गवली ने सीएम शिंदे के नेतृत्ववाली शिवसेना का समर्थन किया था, जो इस सीट पर महायुति के तहत शिंदे गुट वाली शिवसेना की ओर से दावा ठोक रही है. वहीं दूसरी ओर मविआ के तहत शिवसेना उबाठा ने इसे अपनी मौजूदा सीट बताते हुए इस सीट पर अपना दावा ठोका है और ठाकरे गुट इस सीट से दावा छोडने हेतु एक कदम भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है. इस सीट पर शिवसेना उबाठा की ओर से पूर्व मंत्री संजय देशमुख का नाम उम्मीदवार के तौर पर सामने किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में भी इस सीट पर चुनाव लडने के इच्छूकों की अच्छी खासी संख्या है. पिछली बार यहां से कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने चुनाव लडा था और उससे पहले वर्ष 2014 में पूर्व मंत्री शिवाजीराव मोघे ने यहां से अपना नशीब आजमाया था. वहीं अब मोघे व ठाकरे सहित पूर्व सांसद उत्तमराव पाटिल के बेटे जीवन पाटिल तथा महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष संध्या सव्वालाखे भी यवतमाल-वाशिम संसदीय सीट से चुनाव लडने के इच्छूक है.

* बुलढाणा संसदीय सीट पर भी दोनों ओर कडी टक्कर
पिछली बार की चुनाव मेें शिवसेना के प्रताप जाधव व राकांपा के पूर्व मंत्री राजेंद्र शिंगणे के बीच मुकाबला हुआ था. लेकिन इस बार यह दोनों ही नेता महायुति में शामिल है और महायुति में अपनी-अपनी ओर से दावा कर रहे है. वहीं दूसरी ओर यह अपनी मौजूदा ‘सीटिंग’ सीट रहने की वजह आगे करते हुए मविआ में उद्धव ठाकरे गुट इस सीट की मांग को लेकर अड गया है तथा जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष एवं पार्टी के जिला संपर्क प्रमुख प्रा. नरेंद्र खेडेकर का नाम भी आगे कर दिया गया है. उधर कांग्रेस द्वारा भी इस सीट को लेकर आग्रह किया जा रहा है और कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक हर्षवर्धन सपकाल व प्रदेश महासचिव श्याम उमालकर चुनाव लडने के इच्छूक बताये जाते है. वहीं राकांपा ने इस सीट पर अपना दावा लगभग छोड दिया है. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक बुलढाणा की सीट ठाकरे गुट के हिस्से में छूटने के पूरे आसार है. लेकिन उम्मीदवार ठाकरे गुट का ही होगा. या किसी मित्रदल का यह अभी तय नहीं है.

 

* वर्धा की सीट जा सकती है शरद पवार गुट को
वर्धा संसदीय सीट पर अब तक हमेशा ही कांग्रेस द्वारा अपने प्रत्याशी खडे किये जाते रहे है. लेकिन इस बार महाविकास आघाडी के तहत इस सीट पर शरद पवार गुट ने दावा किया है और शरद पवार गुट वाली राकांपा द्वारा पूर्व मंत्री हर्षवर्धन देशमुख का नाम आगे किया गया है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक अमर काले व रमेशचंद्र ठाकरे तथा पूर्व मंत्री रणजीत कांबले इच्छूक बताये जा रहे है. परंतु मविआ के तहत सीटों के बंटवारे को लेकर हुए समझौते में यह सीट शरद पवार गुट वाली राकांपा के हिस्से में छोडे जाने हेतु लगभग आम सहमति बन गई.

* रामटेक के गढ हेतु जबर्दस्त संघर्ष
रामटेक निर्वाचन क्षेत्र में हमेशा ही कांग्रेस व शिवसेना के बीच भिडंत होती आयी है. शिवसेना में हुई बगावत के बाद रामटेक संसदीय क्षेत्र के सांसद कृपाल तुमाने ने सीएम शिंदे के नेतृत्ववाली शिवसेना का दामन थाम लिया है. लेकिन इसके बावजूद ‘सीटिंग-गेटींग’ फार्मूले के अनुसार रामटेक संसदीय सीट को अपने हिस्से में रखने हेतु उद्धव ठाकरे गुट अडा हुआ है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस द्वारा युक्तिवाद किया जा रहा है कि, पार्टी में बगावत के बाद शिवसेना की ताकत कम हो गई है. ऐसे में यदि यह सीट कांग्रेस के हिस्से में दी जाती है, तो यहां पर कांग्रेस जीत सकती है. ऐसे में मविआ में शामिल शिवसेना उबाठा व कांग्रेस ने रामटेक की सीट को अपने लिए प्रतिष्ठापूर्ण बना लिया है. यहां पर ठाकरे गुट की ओर से जिला प्रमुख उत्तम कापसे व सुरेश साखरे तथा कांग्रेस की ओर से विधायक राजू पारवे, प्रदेश उपाध्यक्ष किशोर गजभिये, युवक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कुणाल राउत, जिप की पूर्व अध्यक्षा रश्मी बर्वे व पूर्व सभापति आरती पाटिल के नाम चर्चा में है. साथ ही सेटलमेंट के तौर पर कांगे्रस के उम्मीदवार द्वारा ठाकरे गुट के मशाल चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडा जा सकता है क्या, इस संभावना पर भी विचार मंथन किया जा रहा है.

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