नागपुर हाईकोर्ट ने खारीज की एट्रासिटी की एफआईआर
भातकुली की तत्कालीन सीओ करिश्मा वैद्य के खिलाफ दर्ज हुुआ था मामला
* एड. जेमिनी कासट का युक्तिवाद रहा सफल
अमरावती/ दि.29 – भातकुली नगर पंचायत की तत्कालीन सीओ करिश्मा वैद्य के खिलाफ भातकुली पुलिस थाने में एट्रासिटी एक्ट की धाराओं के तहत दर्ज मामले को गलत व झूठा करार देते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने इसे लेकर दर्ज एफआईआर को खारीज करने के आदेश जारी किये है. जिसे सीओ करिश्मा वैद्य के लिए बडी राहत माना जा रहा है. इस मामले में करिश्मा वैद्य की ओर से हाईकोर्ट में एड. जेमिनी कासट ने सफल व प्रभावी युक्तिवाद किया.
विस्तृत जानकारी के मुताबिक विगत 29 जुलाई 2022 को भातकुली नगर पंचायत के नगर सेवक सतिश शंकरराव आठवले अपने साथ श्रीकांत राठी, संतोष शिंदे व शिवसेना के चार नगर सेवक सोनाली शिंदे, स्वाती बूब, वरखेडे व अंकुश पवार को लेकर सीओ करिश्मा वैद्य से मिलने गए थे और उसने यह जानने का प्रयास किया गया कि, गांव के विकासात्मक विषयों को नगर पंचायत की सर्वसाधारण सभा की विषय पत्रिका में शामिल क्यों नहीं किया गया. परंतु इन सवालों का जवाब देने की बजाय मुख्याधिकारी करिश्मा वैद्य अपने कक्ष से निकलकर सभा के लिए चली गई और वे सभी लोग उनके कक्ष में ही बैठे रहे. इस दौरान मुख्याधिकारी ने पुलिस बुलाकर उन सभी लोगों को अपने ऑफिस से बाहर निकालने हेतु कहा, लेकिन वे सभी उसी कक्ष में डटे रहे. पश्चात सभा खत्म होने के बाद दोपहर 1 बजे सीओ करिश्मा वैद्य अपने कक्ष में वापस लौटी और उन सभी से कक्ष से बाहर निकल जाने के लिए कहते हुए बोली कि वे चाहे तो उनकी शिकायत जिलाधीश से जाकर कर सकते है. इसके साथ ही मुख्याधिकारी ने अपने कक्ष के बाहर मौजूद नगराध्यक्ष योगिता कोलटेके सहित सत्ता पक्ष के नगर सेवक पुुरुषोत्तम खर्चान, शंकर डोंगरे, सुनील भोपसे, गिरीश कासट, संजय सोलंके, मयुर देहरे व संतोष केतकर को अपने कक्ष में चर्चा हेतु बुला लिया और इन सभी ने सुनियोजित तरीके से आपस में मिलीभगत करते हुए वहां पर पहले से मौजूद लोगों के साथ धक्कामुक्की करते हुए उन्हें जान से मारने की धमकी दी. साथ ही अनुसूचित जाति से वास्ता रखने वाले एक नगरसेवक के साथ जातिवाचक गालिगलौच की गई. पश्चात इस मामले को लेकर भातकुली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई. जहां पर सीओ करिश्मा वैद्य व नगराध्यक्ष योगिता कोलटेके सहित सत्ता पक्ष के 7 नगरसेवकों के खिलाफ भादंवि व एट्रासिटी एक्ट की धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया. जिसके खिलाफ सीओ करिश्मा वैद्य ने एड. जेमिनी कासट के जरिये मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की. जहां पर मामले की सुनवाई शुरु करने के साथ ही हाईकोर्ट में सतिश आठवले को सबसे पहले 50 हजार रुपए की अनामत रकम भरने हेतु कहा. पश्चात इस मामले की सुनवाई शुरु हुई. नेहा रोहित देव व उर्मीला जोशी (फालके) की खंडपीठ ने दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद फैसला सुनाया कि, सतिश आठवले व्दारा सीओ करिश्मा वैद्य के खिलाफ जानबुझकर झूठी शिकायत दी गई थी. अत: एट्रासिटी एक्ट की धाराओं के तहत दर्ज किये गए मामले को खारिज किया जाए, इस फैसले को तत्कालीन सीओ करिश्मा वैद्य के लिए काफी बडी राहत माना जा रहा है.