अमरावतीमहाराष्ट्र

देवी को आज दुग्धजन्य पदार्थ का देते है नैवेद्य

शहर में दूध-दही की मांग दोगुनी बढी

* चंद्रघंटा देवी को दूध का पदार्थ प्रिय
अमरावती/दि.5– नवरात्रोत्सव में 9 दिन श्रद्धालुओं का उपवास रहता है. कुछ श्रद्धालु एक टाइम तथा कुछ लोग पूरा समय उपवास करते है. साथ ही नवरात्र के आश्विन तृतीया को चंद्रघंटा देवी को दूध, खीर, मिठाई दुग्धजन्य पदार्थ का नैवेद्य किया जाता है. इस कारण शहर में दूध-दही सहित दुग्धजन्य पदार्थ की मांग दोगुनी बढ गई है. तृतीया को तो यह मांग अधिक रहती है. क्योंकि देवी को दूध से निर्मित पदार्थ तृतीया की दिन विशेष तौर पर अर्पण किये जाते है.
9 दिन देवी को उनके रुप के मुताबिक नैवेद्य अर्पण किया जाता है. सफेद रंग के फुल व हार भी अर्पित करने की पद्धत है. विशेष बात यह है कि, जिन्हें उपवास में मिठाई पसंद है, वे सफद खवे ने निर्मित सफेद मिठाई देवी को अर्पित करते है, लेकिन नवरात्रोत्सव के कारण शहर में फिलहाल दुग्ध जन्यपदार्थ की मांग दोगुनी बढने से दूध-दही की कमी महसूस होने लगी है. जिले में हर दिन हमेशा की तरह दूध आता है. भंडार कर रखा दूध दो दिन में खत्म हो जाता है, इस कारण दूध-दही, घी, खवा, पनीर, छांछ का भंडार समाप्त हुआ, तब डेयरी बंद करने का अलावा हमारे पास पर्याय नहीं रहेगा, क्योंकि उसी दिन दुग्धजन्य पदार्थ नहीं मिलता. इसके लिए दूसरे दिन का इंतजार करना पडता है. अनेक श्रद्धालुओं को डेयरी से खाली हाथ वापिस लौटना पडता है. इस कारण मजबूरन ऐसे श्रद्धालु पैकेट का दूध खरीदी करते शहर में दिखाई देते है.

* दूध, दही, खवा, पनीर आदि पदार्थ की मांग बढी
शहर में नवरात्री चौक का शुभारंभ हो गया है. देवी को विविध प्रकार के नैवेद्य अर्पित करने पडते है. नवरात्र के कारण शहर में दुग्धजन्य पदार्थ की मांग बढी है. इस कारण मां के मुताबिक आपूर्ति करना संभव नहीं होता. किल्लत महसूस होती है. दूध, दही, पनीर, खवा, घी, छांछ समाप्त हुआ, तो डेयरी बंद करनी पडती है. इस कारण नागरिक वापिस लौट रहे है.
– आशिश दुबे,
संचालक, शारदा दूध डेयरी.

* दूध, घी, सफेद मिठाई देवी को लोकप्रीय
नवरात्रोत्सव के तीसरे दिन आश्विन तृतीया को चंद्रघंटा देवी की पूजा की जाती है. नाम के मुताबिक सिर पर चंद और हाथ में घंटा रहे, इस देवी को दूध से निर्मित घी, सफेद मिठाई, सफेद फूलों का हार काफी प्रिय है. ऐसे पदार्थ का नैवेद्य दिखाना लाभदायक माना जाता है. इस कारण नागरिक यह नैवेद्य अर्पित करते है.
– पं. दिलीप महाराज

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