‘ग्रीन लिंक्स’ स्पायडर प्रजाति का दर्यापुर में नामकरण
सांगलूदकर महाविद्यालय में संशोधन
दर्यापुर/दि.8– राजस्थान के ताल छापर क्षेत्र के ग्रीन लिंक्स स्पायडर पिउसेटिया छापराजनिर्विन इस (मकडी) स्पायडर की नई प्रजाति का संशोधन के बाद नामकरण जे.डी.पाटिल सांगलूदकर महाविद्यालय के प्राचार्य तथा संशोधक अतुल बोडखे ने महाविद्यालय के ही स्पायडर रिसर्च लेबोरेटरी में किया है.
राजस्थान के चुरु जिले के ताल छापर वाइल्ड लाइफ अभयारण्य से निर्मला कुमारी ने मकडी की यह प्रजाति खोज निकाली थी. निर्मला कुमारी स्पायडर संशोधक होकर वे विनोद कुमारी के मार्गदर्शन में राजस्थान विद्यापीठ जयपुर में संशोधन कर रही है. फिल्ड सर्वे करते समय निर्मला कुमारी को यह प्रजाति ताल छापर अभयारण्य में पाई गई. इस प्रजाति की पहचान करने का काम प्रयोगशाला में किया गया.
* बबूल के पेड पर पाई जाती है लंबे पैर की मकडी
मकडी की यह प्रजाति बबूल के हरे पत्तों पर पाई जाती है. इसलिए उसकी घूमने की गति ज्यादा होती है. अतुल बोडखे के अनुसार यह प्रजाति विज्ञान के लिए नई है. यह मकडी घातक छोटे किट को अपना भक्ष्य बनाती है. इसके साथ ही मोथ जैसे बडे किट को भी खत्म करती है और जंगल का संवर्धन करती है. यह निशाचर होकर रात में किडों को संहार करती है. जंगल के हरे पेडों में छिपकर बैठती है और यहां आने वाले सभी किडों का भक्षण कर सूक्ष्म वातावरण का संवर्धन करती है.
* सर्केट में शोधप्रबंध
अफ्रिका के बहुप्रचलित सर्केट इस शोध पत्रिका में यह संशोधन प्रकाशित हुआ है. इस संशोधन के लिए श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख तथा संपूर्ण व्यवस्थापन परिषद के सदस्यों ने समाधान माना.