अमरावती

नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लालकी

राजस्थानी हितकारक महिला मंडल का पारंपरिक उपक्रम

अमरावती-दि.30  नविन्यपूर्ण कल्पना साकार करने की विशेषता के साथ राजस्थानी हितकारक महिला मंडल द्वारा नृत्य नाटिका द्वारा नंद उत्सव मनाया गया. नन्हे कान्हा बने अभिराज डागा यशोदा मैया भाग्यश्री डागा नंद बाबा नंदा डागा सखियां गोपियां अभिलाषा डागा, शीतल भट्टड, मनीषा भूतड़ा, अंकिता डागा, निकिता लड्डा इनका कान्हा के आगमन में सुंदर स्वागत नृत्य प्रस्तुतिकरण किया जैसे साक्षात गोकुल के दर्शन हो गए.
जैसे कान्हा अपनी बाल लीला दिखाते गोप गोपियों के साथ दही हांडी का नृत्य नाटिका प्रस्तुतिकरण किया. जिसमें गोविंदा बने हिमांशु दवे ने आकर्षक वेशभूषा के साथ अभिनय तथा नृत्य किया. रिद्धिमा राठी ने अपने आकर्षक अभिनय तथा नृत्य द्वारा राधा का पात्र किया साथ में गोप-गोपियां बने भाविका पुरोहित, जयश्री पुरोहित, आरव कलंत्री, वैष्णवी केला व्दारा तुलदान की नृत्य नाटिका विशेष साज सज्जा के साथ पेश की गई. जिसको दर्शकों ने अचंभित होकर साक्षात श्रीकृष्ण भगवान सत्यभामा, रुक्मिणी, तुलसी माता और नारदजी के दर्शन का लाभ उठाया. प्रीति नृपेशजी राठी दिग्दर्शित नाटिका में श्रीकृष्ण भगवान दिव्या कलंत्री सत्यभामा मानसी चांडक नारदजी यशीता चौबे, रुक्मिणी नेहा शर्मा, तुलसी माता पूजा शर्मा ने अपनी सुंदर नृत्य शैली द्वारा यह नाटिका प्रस्तुत की.

तुलादान का विशेष महत्व
तुलदान यह नाटिका भगवान कृष्ण और सत्यभामा से जुड़ी हुई है. एक बार सत्यभामा कृष्ण पर अधिकार हेतु नारद को दान कर दिया. इसके बाद सत्यभामा को अपने भूल का अहसास हुआ. जब नारद अपने साथ श्रीकृष्ण को लेकर जाने लगे सत्यभामा नारद से माफी मांगते हुए उनसे दान में और कुछ मांगने का विनय किया नारद ने उन्हे श्रीकृष्ण के भार के बराबर धन और अन्न मांगा. तराजू में श्रीकृष्ण के भर के बराबर धन संपत्ति अन्न रखा गया पर श्रीकृष्ण का पलड़ा बिलकुल भी ऊपर नहीं उठा. इसके बाद सत्यभामा के समझ में आया तो, उन्होंने दूसरे पलड़े में तुलसी की पत्ती रखी इससे श्रीकृष्ण का भार दूसरे तूले के बराबर हुआ पश्चात कृष्ण ने बताया कि, आज से तुलादान महादान के नाम से जाना जाएगा. तुलदान करने से व्यक्ति को यश सुख संपत्ति वैभव ऐश्वर्य का मालिक होगा. तभी से तुलादान का महत्व है और भगवान के भोग में तुलसी का महत्व है.

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