पोद्दार स्कूल के सामने मैदान पर होगा नानीबाई का मायरा का आयोजन
भव्य-दिव्य पंडाल की साज सज्जा है जारी, तैयारियों को दिया जा रहा अंतिम रूप
* विख्यात कथा वाचक जयाकिशोरीजी का शहर में रहेगा मुकाम
* किसी को भी ‘वीआयपी पास’ नहीं, हर वर्ग के लिए निशुल्क है कार्यक्रम
परतवाड़ा/अचलपुर/ दि.14– स्थानीय चिखलदरा रोड पर पोद्दार स्कूल के सामने बनाये जा रहे विशाल डोम पंडाल में विश्वविख्यात आध्यात्मिक प्रवक्ता जयाकिशोरीजी का तीन दिवसीय कार्यक्रम होने जा रहा है. परतवाड़ा और अमरावती जिले के श्रद्धालु लोगों को भक्ति रस में डुबोने आ रही जयाकिशोरीजी 18 से 20 अप्रैल में रोजाना दोपहर 3 से 7 के बीच नानीबाई का मायरा की संगीतमय प्रस्तुति देंगी. अप्रैल माह की तेज धूप का आकलन करते हुए आयोजकों ने खुले प्रांगण में साकार किये जा रहे आयोजन स्थल को वातानुकूलित करने की बेहतरीन व्यवस्था कर रखी है. जहां पर रोजाना करीब दस हजार भक्तो के उपस्थित रहने का अनुमान है, जिनके लिए आयोजन स्थल पर हर तरह की समुचित व्यवस्था का प्रबंध किया जा रहा है.
इस आयोजन को लेकर जुड़वा शहर सहित जिले के श्यामप्रेमियों और कृष्णप्रेमियों को कुछ गलतफहमी हो रही है, जिसके संदर्भ में आज प्रस्तुत प्रतिनिधि ने सुनीता चैरिटेबल ट्रस्ट और राधेश्याम बहुउद्देश्यीय संस्था के मार्गदर्शक अनिलबाबू से चर्चा की, तब उन्होंने जवाब देते हुए स्पष्ट कहा कि उक्त आध्यात्मिक कार्यक्रम में प्रवेश के लिए कोई टिकट या प्रवेश शुल्क नहीं है, बल्कि यह कार्यक्रम हर वर्ग और हर धर्म के व्यक्ति के लिए पूर्णतः निशुल्क रखा गया है. इसके साथ ही इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कोई वीआईपी व्यवस्था भी नहीं की है. किसी भी व्यक्ति को विशिष्ट या अतिविशिष्ट समझकर उसे कोई अलग से कोई खास जगह नही दी जाएगी. बल्कि कृष्ण के इस दरबार में सुदामा और कृष्ण को एक साथ बैठकर ही कथा का श्रवण करना होंगा, तभी जाकर हमारा उद्देश्य भी सार्थक होगा. जयाकिशोरीजी के इस गरिमामय कार्यक्रम में किसी भी तरह के भेदभाव के बिना हर किसी के लिए बैठने की एक समान व्यवस्था की जा रही है.
आयोजन स्थल को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में अनिलबाबू ने बताया कि लोगों को आयोजन स्थल का सही-सही पता चले, इसके लिये ‘नंदनवन’ के नाम का उपयोग किया गया है. जबकि हकीकत में पूरा कार्यक्रम नंदनवन और पोद्दार स्कूल के बीच खाली पडे मैदान पर किया जायेगा, जहां पर स्वतंत्र पंडाल और पार्किंग की व्यवस्था की जा रही है. यह आयोजन किसी भी होटल, लॉन अथवा इमारत में नहीं होने जा रहा, बल्कि इसके लिए पोदार स्कुल के पास स्थित मैदान पर स्वतंत्र व्यवस्था की जा रही है.
सुनीता अग्रवाल चेरिटेबल ट्रस्ट और राधेश्याम बहुउद्देश्यीय संस्था के संयुक्त तत्वाधान में भक्ति रस के महाकुंभ का आनंद इन तीन दिनों में लोग उठा पाएंगे. जिसे लेकर आयोजको ने बताया है कि उक्त भक्तिरस का कार्यक्रम पूरे तीन दिन तक सभी समाज और तबके के लिए किया जा रहा है. कार्यक्रम पूर्णत निशुल्क है. साथ ही शहर अथवा जिले के किसी भी व्यक्ति के लिए कोई भी पास अथवा वीआईपी पास की व्यवस्था नही की गई. सभी श्रद्धालु समय पर कार्यक्रम स्थली पहुंचकर भक्तिरस का आस्वाद ले पाएंगे. वहीं इस समय अचलपुर-परतवाडा क्षेत्र में पड रही भीषण गर्मी को देखते हुए आयोजन हेतु बनाये जा रहे भव्य डोम पंडाल को बेहतर रूप से वातानुकूलित करने का प्रबंध कर रखा है.
* माँ शकुंतलादेवी के जन्मदिन पर आध्यात्मिक उपहार
अपनी माता के स्वर्णाब्दि स्वर्णिम 75 वे जन्मदिन के अवसर पर आध्यात्मिक, प्रेरक, धार्मिक आख्यान के शाब्दिक और संगीतमय आयोजन को लेकर सुनीता अग्रवाल चैरिटेबल ट्रस्ट और राधेश्याम बहुउद्देश्यीय संस्था द्वारा जोरदार तैयारियां की जा रही है. 18 से 20 अप्रैल के बीच जुड़वाशहर अचलपुर और परतवाड़ा के धर्मप्रेमी लोगो का सुख्यात भजन गायिका जया किशोरीजी से साक्षात्कार होगा. वे अपने कोकिल कंठ से कृष्ण यानी श्याम के प्रेरक प्रसंगों के साथ ही नानी बाई का मायरा की भावनात्मक प्रस्तुति करेंगी.
मिलनसार, हँसमुख, यारों के यार, उदारवादी अनिलबाबू अग्रवाल (शक्करवाले) ने अपनी माताजी श्रीमती शकुंतलादेवी अग्रवाल के जन्मदिन के अवसर पर उन्हें इस आयोजन के रूप में एक अध्यात्मिक भेंट देने का निर्णय लिया है. अनिलबाबू के मुताबिक कभी शिरपुर चोपड़ा में घनश्यामजी अग्रवाल ने उनकी माताजी के जन्मदिन अवसर पर इसी प्रकार का एक कार्यक्रम आयोजित किया था. वहीं विगत दिनों अनिलबाबु के पुत्र डॉ. संजय ने यवतमाल में जयाकिशोरीजी का कार्यक्रम देखा और सुना था. जयाजी का उदबोधन, प्रवचन,भजन-सत्संग यह डॉ. संजय के अंतर्मन को छू गया. इसके बाद उन्होंने अपने पिता अनिलबाबू से आग्रह किया कि दादी के जन्मदिन पर इसी कार्यक्रम को रखा जाये. बस तभी से अनिलबाबू के मन मे इस आयोजन की रूपरेखा बनती चली गई.
* जय माता दी ग्रुप व अग्रसेन युथ क्लब भी दे रहा सहयोग
इस आयोजन को सफल बनाने के लिए जय माता दी ग्रुप (वैष्णोदेवी यात्रा) और अग्रसेन युथ क्लब के कार्यकर्ताओं का योगदान लिया जा रहा है. राधेश्याम बहुउद्देश्यीय संस्था एवं जय माता दी ग्रुप व अग्रसेन युथ क्लब के रविबाबू अग्रवाल बताते है कि नंदनवन में इस हेतु एक विशालकाय डोम को खड़ा किया जा रहा है. 200 बाय 300 यानी 60 हजार स्क्वेर फिट का पूरा पंडाल होंगा, जिसमें करीब 3000 कुर्सियों की व्यवस्था होंगी. इसके अलावा भारतीय बैठक और आसन व्यवस्था का भी इंतजाम किया जा रहा है. अप्रैल माह में गर्मी के तापमान को देखते हुए 80 से ज्यादा इंड्रस्ट्रीयल कूलर का इंतजाम किया जायेगा. इसके अलावा बड़ी संख्या में पंखे भी हवा को आबाद करते रहेंगे. वहीं दुपहिया और चौपहिया वाहनों की पार्किंग करने के लिए स्वतन्त्र रूप से प्रबंध किया जा रहा है. करीब 5 हजार वाहन आसानी से पार्किंग क्षेत्र से आनाजाना कर सकेंगे. लोगो को जगह पर बैठे-बैठे ही शुद्ध और शीतल जल प्राप्त हो सके, इस हेतु भी खास इंतजाम किया जा रहा है. कार्यक्रम के दौरान हर दिन समापन के समय प्रसादी का वितरण किया जायेगा. इस मंगलमय कार्यक्रम में करीब 10 हजार श्रोताओं के आने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
कार्यक्रम की सफलता के लिए दुर्गासेठ अग्रवाल, रवि अग्रवाल, प्रेम अग्रवाल, भावेश अग्रवाल, गुड्डू अग्रवाल अचलपुर, मनोहर अग्रवाल (अभिनव कृषि), तांबी परिवार अचलपुर, अमित अग्रवाल, प्रवीण पाटिल, रूपेश लहाने, एड रविंद्र खोजरे, एड भोला चौहान, बाबू महाराज दीक्षित, प्रकाश वैद्य, अमोल गोविंद अग्रवाल, आनंद संतोष अग्रवाल, गौरव संतोषकुमार अग्रवाल, मनोज वर्मा, अनिल वर्मा, विनोद अग्रवाल, अश्विन अग्रवाल, घनश्याम फूलचंद अग्रवाल, संजय एम.जैस्वाल, मिलिंद झंवर, चेतन शर्मा, अमित अग्रवाल, दिवेश अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, गुड्डू गुप्ता, अमन सिरोया, राम तिवारी, विपुल अग्रवाल, सचिन जैस्वाल, नीरज नरेडी, विजय अग्रवाल, मनोज बंसीलाल अग्रवाल, विजय थावानी, बंटी ककराणीया, मनीज नंदवंशी, नीलेश अग्रवाल, मुरारी अग्रवाल, प्रफुल्ल अग्रवाल, अर्पित खंडेलवाल, रविंद्र कोंडे, समंग जालोरी, अनिकेत अनिल अग्रवाल, विशुल अग्रवाल, विशाल अग्रवाल, पंकज अग्रवाल, प्रहलाद अग्रवाल, गौरव बंसल, महावीर जैन, अतुल जाड़ा, गौरव जैन, लोकेश भंसाली, कैलाश खंडेलवाल, तुषार अग्रवाल, मुकुंद नरेडी, पप्पू सिरोया, सुनील अग्रवाल, हरिशंकर अग्रवाल, मुकुंद अग्रवाल, भूपेंद्र पुरबगोला, पंकज मोदी, भरत सिसांघिया, सुमित गोयल, डॉ अभिषेक नरेडी, ओमप्रकाश अग्रवाल, हरिकिशन अग्रवाल, निर्मल बाजपेयी, संतोष खंडेलवाल, पुरषोत्तम अग्रवाल, विश्वनाथ बंसल, राजेंद्र अग्रवाल, प्रफुल्ल भंसाली, डॉ विजय वर्मा, गणेश खंडेलवाल, नीलेश मांडले, छगनलाल वर्मा, सुनील बूब, राजेन्द्र चांडक, नितेश सातपुते, प्रमोद डेरे, सूर्यकांत जैस्वाल, शशिकान्त जैस्वाल, विजयकुमार अग्रवाल, प्रदीप धौंडे, संजय तिवारी, हीरालाल बंसल, विनोद अग्रवाल (अमरावती), अनिल रामबिलास (अमरावती), अजय हरिप्रसाद अग्रवाल, अजय अमरचंद अग्रवाल, महेंद्र अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, अजय जैस्वाल, गणेशकुमार अग्रवाल, अशोककुमार अग्रवाल, जयकुमार घीया, संतोष सिरोया, गोपीचंद सिरोया, गोपाल शर्मा, मुन्ना पांडे, रम्मी महाराज, भीकुलाल तिवारी, हरीश खंडेलवाल, सतीश व्यास, सागर व्यास, ओमप्रकाश अग्रवाल, रवि कालोया, श्रीकांत कडू, कमल केजड़ीवाल, कैलाश अग्रवाल, दीपेश अग्रवाल, दीपेश केजड़ीवाल, चंदन बंसल, राजू लोइया, आकाश शर्मा, दयाशंकर गुप्ता, सुनय बंसल, वरुण शर्मा, लखन शर्मा, कपिल मंडले, संजय केजड़ीवाल, प्रकाश बाविस्कर, अनिरुद्ध मिश्रा, रूपेश ढेपे, संजय आर. अग्रवाल (अमरावती मंडल), रवि एच. अग्रवाल, रवि एस. अग्रवाल, पंकज आर. अग्रवाल, रूपेश व्ही. तांबे, राजकुमार सिंघानिया आदि मान्यवर अथक प्रयास कर रहे है.
* नानीबाई का मायरा (कथासार)
लोककथाओ के अनुसार वर्तमान गुजरात के जूनागढ़ में नरसीजी मेहता नामक एक व्यापारी रहते थे. नरसी मेहता भगवान श्री कृष्ण के बड़े भगत थे, परन्तु साथ ही बहुत कंजूस स्वभाव के थे. नरसीजी दान कम ही किया करते थे. कहा जाता है कि, उस समय नरसी जी मेहता के पास 56 करोड़ की संपति थी. नरसी जी के घर में उनकी पत्नी माणिकबाई, एक पुत्री नानीबाई, और एक पुत्र ब्रह्मानंद था. नानीबाई का विवाह अंजार गांव में हुआ था. एक बार भगवान श्री कृष्ण देवी रुक्मणी के कहने पर नरसीजी की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक भिखारी का वेश बनाकर जूनागढ़ आते हैं. भगवान कृष्ण ने नरसीजी से भोजन मांगा, परन्तु उस समय नरसी जी माला फेर रहे थे. भिखारी को नरसीजी ने रुकने और इंतजार करने को बोला और अपने आपको भगवान कृष्ण का सबसे बड़ा भक्त बताया. भिखारी ने नरसी जी को ताना मारा कि जब पेट भरा हो, तो बोल नहीं सकने वाला जानवर भी भक्ति का दिखावा कर सकता है, वास्तविक भक्ति और भगवन पर विश्वास की परीक्षा तो जब खाने को कुछ ना मिले, उस समय ही होती है. आपको भगवान श्रीकृष्ण का सबसे बड़ा भक्त तब ही माना जा सकता है, जब आप ये हवेली छोड़ कर किसी कुटिया में रहकर उनकी भक्ति करें. ये बात सुनकर नरसीजी मेहता के मन में वैराग्य जाग गया. नरसी जी ने अपनी 56 करोड़ की संपति गरीब लोगो में दान कर दी और अपने परिवार के साथ एक सन्यासी की जिंदगी जीने लगे. नरसीजी जंगल में अंधे संन्यासियों की एक टोली के साथ रहते थे और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति किया करते थे. 56 करोड़ की संपति उन्हें ना देकर दान करने की बात पर नानीबाई के ससुराल वाले नानीबाई को दुख देने लगे और ताने मारने लगे. एक बार जूनागढ़ में भयंकर अकाल पड़ा और उस अकाल के दौर में नरसीजी की पत्नी और पुत्र की मृत्यु हो गई. राखी के अवसर पर नानीबाई जब जूनागढ़ आई, तो अपने भाई की याद में नानीबाई ने दुखी होकर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को राखी बांध दी. जब नानीबाई की पुत्री सुलोचनाबाई यानी नरसी जी की दोहती का विवाह तय हुआ, तो नानीबाई के ससुराल वालों ने नरसी को न्योता ना देने का सोचा. परन्तु लोक लाज के डर से नानीबाई के ससुराल वालों ने नरसीजी को न्योता तो भेजा, पर साथ में मायरे में बहुत मांगे रख दी, ताकी नरसीजी उन्हें पूरी ना कर पाए और शर्म के मारे न आएं. पर नरसीजी तो अपनी दोहती के विवाह की खुशी में अपने अंधे संन्यासियों की टोली के साथ एक टूटी बैलगाड़ी में अंजार के लिए निकल गए. कहा जाता है कि, रास्ते में उनकी बैलगाड़ी का पहिया निकल जाता है और उनकी मदद करने स्वयं श्रीकृष्ण बढ़ई का रूप लेकर आते हैं और उनकी बैलगाड़ी ठीक करते हैं. जैसे तैसे नरसीजी और उनकी टोली अंजार पहुंचती है. अंजार में बड़े स्वागत की आशा लिए नरसीजी और उनकी टोली को अपमान सहना पड़ता है. नानीबाई के ससुराल वाले नरसीजी और उनके संन्यासी साथियो को एक पुराने खंडहर में रखते हैं और खाने के लिए बासी भोजन देते हैं. साथ ही अपनी मांगों के अनुसार मायरा भरने के लिए कहते हैं. नानीबाई अपने बापूजी का ऐसा अपमान देख कर दुखी हो जाती है और नरसीजी को अंजार से जाने के लिए कहती है. नरसी जी नानीबाई को श्रीकृष्ण द्वारा नानीबाई का मायरा भरने की बात कहते हैं और श्रीकृष्ण के भजन करने बैठ जाते हैं. नानीबाई दुखी होकर पानी भरने के लिए कुएं पर जाती हैं और आत्महत्या करने की कोशिश करती है, लेकिन अचानक ढोल नगाड़ो के साथ बहुत से लोगों को हाथी-घोडो के साथ आते देखती है. उनमे सबसे आगे एक सेठ और उनकी 2 सेठानिया थी. वो सब लोग नानीबाई के पास आकर रुकते हैं उनसे पानी पिलाने के लिए कहते हैं और अंजार का रास्ता पुछते हैं. नानीबाई उनसे उनका परिचय और अंजार आने का प्रयोजन पुछती है. वे स्वयं को सांवलसा सेठ बताते हैं और कहते है कि, वे नरसी के न्योते पर अंजार गांव जा रहे है, जहां पर उन्हें अपनी धर्म बहन नानीबाई का मायरा भरना है. ये सुनकर नानीबाई भावुक हो जाती है और उनके पांव छूती है. नानीबाई अपने घर आती है और सारी बात अपने घरवालो को बताती है, पर कोई उनकी बात नहीं सुनता है और उनका मजाक बनाते है. जब मायरे का समय होता है, तो सब लोग नरसीजी को मायरा भरने के लिए कहते हैं. उस समय सांवलसा सेठ बन कर आए श्रीकृष्ण मायरा भरने आते हैं और सब लोग उनका मायरा देख कर दंग रह जाते हैं. इतना सामान किसी ने अपने संपूर्ण जीवन में नहीं देखा था. नानीबाई इस समय सांवलसा की आरती करती है और भगवान भी नानीबाई को चुनरी ओढाकर मायरा भरते है. कहा जाता है कि, उस दिन अंजार में सोने-चांदी की बारिश होती है और नरसीजी की 56 करोड़ की संपति के बराबर श्रीकृष्ण द्वारा नानीबाई का मायरा भरा जाता है. साथ ही सभी नेत्रहीन संन्यासियों की टोली को भगवान श्रीकृष्ण आंखों की रोशनी देते हैं. नानीबाई के ससुरालवाले अपने किए की माफी मांगते है. कहा जाता है कि इससे बड़ा मायरा ना कभी भरा गया ना भरा जाएगा.
* जयाकिशोरीजी ने जारी किया वीडियो संदेश
– सभी श्रध्दालुओं से आयोजन में शामिल होने का किया आवाहन
वहीं इस बीच अंतरराष्ट्रीय ख्यातीप्राप्त कथा वाचक व प्रवचनकार जयाकिशोरीजी ने सोशल मीडिया के जरिये अपना एक वीडियो संदेश जारी करते हुए आगामी 18 से 20 अप्रैल को परतवाडा में चिखलदरा रोड पर नंदनवन पैलेस के निकट आयोजीत होने जा रहे नानीबाई का मायरा के आयोजन की जानकारी साझा करते हुए परतवाडा व अचलपुर सहित क्षेत्र के सभी श्यामप्रेमियों व कृष्णभक्तोें से इस आयोजन में उपस्थित रहकर कथा का लाभ लेने का आवाहन किया है.