धारणी- दि. 11 आदिवासी मेलघाट क्षेत्र मेें आदिवासी बंधुओं का मुख्य व्यवसाय कृषि है. उनकी खेती पालतू पशुओं पर आधारित है. जिसमें वे बैल और गाय का पालन पोषण करते है. समीपस्थ कलमखार गांव के नारायण मावस्कर की एक बैल की लंपी बीमारी े से मौत हुई जिसमें मावस्कर परिवार ने अपने प्रिय बैल की दशक्रिया की. बायकायदा निमंत्रण पत्रिका छापकर ग्रामवासियों को निमंत्रण दिया गया. ग्रामवासियों ने भी मावस्कर के शिव नामक बैल को आदरांजलि अर्पित की.
किसान नारायण मावस्कर द्बारा अपने प्रिय बैल शिवा की दशक्रिया किए जाने पर बैलों का महत्व व हिन्दु संस्कृति में जीवदया परंपरा के दर्शन हुए. मेलघाट समेत मध्यप्रदेश के खंडवा व बर्हाणपुर जिले के अनेक शंकर पट में मावस्कर के शिवा नामक बैल ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर जीत हासिल की थी. 26 सितंबर को उसकी लंपी बीमारी से मौत हुई.
शंकर पट स्पर्धा के विजेता शिवा को पर प्रांतों से 6 लाख रूपये में खरीदने के लिए लोग आए थे. किंतु नारायण मावस्कर ने अपनी बैल को बेचने से मना किया. 10 दिन पहले उसकी मौत हुई. जिसमें 6 अक्तूबर को शिवा की समाधि को सजाया गया और बाकायदा निमंत्रण पत्रिका बांटकर लोगों को आमंत्रित किया गया. सैकडों ग्रामवासियों ने शिवा की समाधि पर पहुंचकर उसे आदरांजलि अर्पित की और भोजन किया. शिवा की पहचान दूर दूर तक शंकर पट विजेता के रूप में थी.