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शिक्षा के मंदिर के तौर पर काम कर रहा नारायणा विद्यालय

बेहतरीन गुणवत्तावाली शिक्षा के साथ ही विद्यार्थियों के कलागुण को प्रोत्साहित करने को पहली प्राथमिकता

* 8 वर्षों में शाला का रहा शानदार प्रदर्शन, साल दर साल बढ रहा सफलता का दायरा
अमरावती/दि.14 – वर्ष 2003 से नागपुर में स्थापित और कार्यरत नारायणा एज्युकेशन सोसायटी द्वारा वर्ष 2016 के दौरान अमरावती में नारायणा विद्यालयम की शुरुआत की गई थी. उस समय नर्सरी से कक्षा 5 वीं तक की कक्षाओं के साथ स्थापित हुए नारायणा विद्यालय ने साल दर साल अपनी एक-एक कक्षा को बढाना शुरु किया और इस वर्ष नारायणा विद्यालयम से विज्ञान व वाणिज्य संकाय की कक्षा 12 वीं की पहली बैच बाहर निकलने वाली है. यानि इन 8 वर्षों के दौरान सीढी दर सीढी आगे बढते हुए नारायणा विद्यालयम ने माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शाला के साथ ही कनिष्ठ महाविद्यालय तक पहुंचने का सफर पूरा कर लिया है. विशेष उल्लेखनीय यह है कि, 3 वर्ष पहले ही नारायणा विद्यालयम ने कक्षा 10 वीं की बैच प्रारंभ हुई थी और इन तीन वर्षों के दौरान नारायणा विद्यालयम में कक्षा 10 वीं का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा. साथ ही शाला के सभी विद्यार्थियों ने शानदार अंक व प्रतिशत भी हासिल किये. वहीं इस वर्ष पहली बार शुरु हुई कक्षा 12 वीं की दोनों यानि वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय की बैच का भी परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत ही आया है और दोनों बैच के सभी विद्यार्थी शानदार अंकों व प्रतिशत के साथ उत्तीर्ण हुए है.
नारायणा एज्युकेशन सोसायटी (नागपुर) एवं महाकाली ग्रुप ऑफ एज्युकेशन (वर्धा) के संस्थापक अध्यक्ष पं. शंकरलाल अग्निहोत्री, सचिव सचिन अग्निहोत्री व संचालक शशी नायर के मार्गदर्शन में संचालित होने वाले नारायणा विद्यालयम द्वारा खुद को ‘टेम्पल ऑफ लर्निंग’ यानि ‘ज्ञानार्जन’ का मंदिर के तौर पर निरुपित किया जाता है. साथ ही अपने इस घोषवाक्य को हकीकत में साकार, सत्यापित व स्थापित करने हेतु हरसंभव कदम भी उठाये जाते है. जिसके तहत नारायणा विद्यालयम द्वारा अपने विद्यार्थियों को सीबीएसई पाठ्यक्रम की नियमित पढाई-लिखाई का ज्ञान देने के साथ ही उनके व्यक्तित्व विकास की ओर भी विशेष ध्यान दिया जाता है. जिसके तहत उन्हें प्रत्येक कलागुण में पारंगत करने का प्रयास किया जाता है. इसके तहत विद्यार्थियों के शारीरिक विकास हेतु विभिन्न प्रकार के खेल-कूद तथा मानसिक व बौद्धिक विकास हेतु विभिन्न प्रकार की कलागुणों वाली गतिविधियों की व्यवस्था भी नारायणा विद्यालयम में की गई है.
स्थानीय पुराना बायपास रोड पर एमआईडीसी परिसर के पीछे विशाल क्षेत्रफल में स्थित नारायणा विद्यालयम में सबसे पहले विशालकाय जगह खेल-कूद के मैदान हेतु छोडी गई है. जहां पर हॉकी, फूटबॉल व क्रिकेट जैसे खेल खेले जा सकते है. इसके साथ ही नारायणा विद्यालयम के भीतर प्रवेश करते ही सबसे पहले शानदार बास्केट बॉल एरिना दिखाई देता है. जिसके एक ओर शानदार रंगमंच भी बना हुआ है. इसे देखकर ही अंदाजा आ जाता है कि, नारायणा विद्यालयम में खेल-कूद के साथ ही सांस्कृतिक गतिविधियों की ओर भी विशेष तौर पर ध्यान दिया जाता है. किसी मैदान व रंगमंच के तीन ओर अंग्रेजी के ‘यू’ आकार में नारायणा विद्यालयम की भव्य एवं प्रशस्त इमारत स्थित है. जिसके प्रत्येक क्लास रुम में भरपूर हवा व प्रकाश हो, इसकी ओर भी पूरा ध्यान दिया गया है. यानि इमारत का निर्माण करते समय ही इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखा गया था. इन्हीं क्लास रुम में नर्सरी से लेकर कक्षा 12 वीं तक के छात्र-छात्राएं पढते है और प्रत्येक क्लास रुम में डिजिटल बोर्ड व इंटर एक्टीव पैनल की व्यवस्था की गई है. ताकि बच्चों को मौजूदा दौर की तकनीक के साथ पढाया जा सके.

* 6,300 किताबों वाली विशालकाय लाइब्ररी
नारायणा विद्यालयम में लगभग 6 हजार 300 किताबों का समावेश रहने वाली विशालकाय लाइब्ररी है. जहां पर विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन करने वाली किताबों को उपलब्ध कराया गया है. साथ ही प्रत्येक विद्यार्थी के लिए वाचनालय यानि लाइब्ररी में जाना अनिवार्य किया गया है, ताकि विद्यार्थियों में वाचन संस्कृति को प्रोत्साहित किया जा सके.

* विज्ञान व गणित सहित अन्य विषयों की भी लैब
अमूमन प्रयोगशाला का नाम सुनाई देते ही आंखों के सामने वैज्ञानिक उपकरणों वाली प्रयोगशाला का चित्र ही घुमने लगता है. परंतु नारायणा विद्यालयम ने प्रयोगशाला के मामले में भी एक अनूठा प्रयोग किया है और यहांप र भौतिकशास्त्र, जीवशास्त्र एवं रसायनशास्त्र जैसे विज्ञान वाले विषयों के साथ-साथ कम्प्यूटर लैब, मैत्स लैब, लैंग्वेज लैब तथा आर्ट्स एण्ड क्राफ्ट लैब जैसी अलग-अलग विषयों की प्रयोगशालाएं है. जहां पर विद्यार्थियों को संबंधित विषयों का प्रात्याक्षिक ज्ञान दिया जाता है.
गीत-संगीत व नृत्य की विशेष कक्षाएं सुचना क्रांति वाले इस दौर में अंग्रेजी माध्यम के जरिए शिक्षा हासिल कर रहे हमारे नौनिहाल अपनी जडों व संस्कृति से भी जुडे रहने और वे भारतीय दर्शन व कलाशास्त्र से परिचित हो, इस बात को ध्यान में रखते हुए नारायणा विद्यालयम में गीत-संगीत व भारतीय शैली के नृत्यों की भी विशेष कक्षाएं चलती है. जिसके तहत विद्यार्थियों को गायन के साथ ही विभिन्न वाद्यवृंद को बजाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. साथ ही उनकी रुची के अनुसार उन्हें गीत संगीत व नृत्य के किसी एक प्रकार मेें आगे बढने हेतु प्रेरित किया जाता है.

* इन डोअर व आउट डोअर खेलों पर ध्यान
नारायणा विद्यालयम में बच्चों की नियमित पढाई-लिखाई एवं उनके बौद्धिक विकास की ओर ध्यान देने के साथ ही उनके शारीरिक विकास व सुदृढता की ओर भी खास तौर से ध्यान दिया जाता है. जिसके तहत नारायणा विद्यालयम में इन डोअर व आउट डोअर गेम्स की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. जिसके तहत इन डोअर गेम्स मेें कैरम, शतरंज, लुडो व टेबल टेनिस तथा आउट डोअर गेम्स में क्रिकेट, वॉलीबॉल, बॉस्केट, आर्चरी, खो-खो व कबड्डी जैसे खेलों का समावेश है.

* अब तक कई कला व क्रीडाओं को किया अपने नाम
नारायणा विद्यालयम के प्राचार्य सचिन भेलेकर के कक्ष में तमाम और कई तरह की छोटी बडी ट्रॉफिया रखी है. जिसमें से कई ट्रॉफिया नारायणा विद्यालयम के छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रीय एवं राज्यस्तर पर हुई विभिन्न कला व क्रीडा स्पर्धाओं में जीती है. इसके साथ ही नारायणा विद्यालयम ने अकादमिक्स स्तर पर भी कई पुरस्कारों को अपने नाम किया है और ऐसे पुरस्कार व प्रशस्ती पत्र भी प्राचार्य सचिन भेलेकर के कक्ष में मौजूद है, जो नारायणा विद्यालयम के शानदार सफर की दास्तान सुनाते है. इसके साथ ही यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, नारायणा विद्यालयम की क्रिकेट टीम ने राष्ट्रीय स्तर पर शालेय क्रिकेट स्पर्धा में विजेता रहने का बहुमान भी हासिल किया है. साथ ही खास बात यह भी रही कि, शैक्षणिक सत्र 2021-22 दौरान नारायणा विद्यालयम से निकली कक्षा 10 वीं की पहली बैच की छात्रा सांची सारडा ने अपने विद्यालय में अव्वल स्थान हासिल करने के साथ ही अमरावती में सेकंड टॉपर रहने का बहुमान भी हासिल किया था.

* शिक्षा के प्रति समर्पित व प्रशिक्षित शिक्षकों की टीम है कार्यरत
बता दें कि, इस समय नारायणा विद्यालयम में करीब 1900 छात्र-छात्राएं प्रवेशित है. नर्सरी से कक्षा 12 वीं का प्रवेशित इन छात्र-छात्राओं को पढाने के साथ ही उन्हें मौजूदा दौर की प्रतिस्पर्धा व चुनौतियों का सामना करने योग्य बनाने हेतु नारायणा विद्यालयम में 80 से अधिक प्रशिक्षित शिक्षकों की समर्पित टीम कार्यरत है, जो बच्चों के बौद्धिक व शारीरिक विकास की ओर ध्यान देने के साथ ही नारायणा विद्यालयम का नाम शिक्षा के क्षेत्र में उंचा रखने हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

* हर बच्चे का हर तरह की क्लासेस में सहभाग आवश्यक
नारायणा विद्यालयम के प्राचार्य सचिन भेलेकर ने बताया कि, नारायणा विद्यालयम में शारीरिक व बौद्धिक विकास हेतु जितनी भी विशेष कक्षाएं व गतिविधियां चलती है, उन सभी विशेष कक्षाओं व गतिविधियों में शाला की प्रत्येक कक्षा के हर एक छात्र-छात्रा द्वारा हिस्सा लेना अनिवार्य कर दिया है. इस जरिए बच्चों में रहने वाले विभिन्न तरह के कला व क्रीडा सहित अलग-अलग सुप्त गुण निखरकर सामने आते है, जो आगे चलकर बच्चों के व्यक्तित्व विकास में सहायक साबित होते है.

* नई पीढी को पुरानी पीढी के साथ जोडने का भी जतन
अमूमन किसी भी शैक्षणिक संस्थान में वार्षिक स्नेह सम्मेलन के तहत धमाल वाले जल्लोषपूर्ण कार्यक्रम आयोजित होते है. परंतु नारायणा विद्यालयम में ऐसे कार्यक्रमों के साथ-साथ नई पीढी को पुरानी पीढी के साथ जोडे रखने हेतु कुछ अलग और लीक से हटकर कार्यक्रम आयोजित किये जाते है. जिसके तहत पैरेंट्स मिटींग की तर्ज पर ग्रैंड पैरेंट्स मिटींग का आयोजन किया जाता है. जिसमें बच्चों के दादा-दादी व नाना-नानी जैसे बुजुर्ग अभिभावकों को शाला में आमंत्रित किया जाता है. इसके साथ ही शहर में स्थित वृद्धाश्रमों में एकाकी जीवन जी रहे बुजुर्गों को नई पीढी का साथ दिलाने हेतु नारायणा विद्यालयम द्वारा अपने बच्चों की शैक्षणिक सहल वृद्धाश्रमों में ले जायी जाती है. जहां पर शाला के नौनिहालों की ओर से वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों को भेंट वस्तुएं प्रदान की जाती है.

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