अमरावती/दि.1 – एमआईडीसी के निकासी के पानी के कारण बाधित नारायणपुर के जमीन की समस्या महिला व बालविकास मंत्री तथा जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर के प्रयासों से हल हो गई है. जिससे यहा के किसानों को न्याय मिला है. अब इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया गया है.
नारायणपुर स्थित 47.89 हेक्टेअर क्षेत्र संपादित करने को लेकर राज्य सरकार के उच्चधिकारी समिति ने इससे पहले ही मंजूरी प्रदान कर दी थी. संबंधित विषय को लेकर राजपत्र भी प्रकाशित हो गया है. शहर से 17 कि.मी. दूरी पर बसे अतिरिक्त अमरावती औद्योगिक क्षेत्र के टेक्स्टाईल झोन से निकलने वाले निकासी के पानी के चलते नारायणपुर के किसानों की जमीनें खराब होकर कुएं भी प्रदूषित हो गये. यह जमीनें महामंडल द्बारा संपादित करने की मांग किसानों द्बारा की जा रही थी. जिसकी दखल लेते हुए जिला पालकमंत्री ने संबंधित समस्यां शासनस्तर पर पहुंचाकर व राज्य के उद्योगमंत्री सुभाष देसाई की उपस्थिति में एमआईडीसी महामंडल के अधिकारियों के साथ बैठके कर फॉलोअप लिया. जिसके बाद राज्य सरकार के उच्चधिकार समिति ने नारायणपुर के 47.89 हेक्टेअर क्षेत्र को संपादित करने की मंजूरी प्रदान कर दी. अब मौजे नारायणपुर यह जगह औद्योगिक क्षेत्र के रुप में घोषित की गई है. वैसी अधिसूचना भी उर्जा व कामगार तथा उद्योग विभाग द्बारा जारी की गई है. राजपत्र में भी यह अधिसूचना प्रसिद्ध करायी गई है.
नारायणपुर की जमीन समतल तथा औद्योगिक नियोजन की दृष्टी से योग्य रहने की बात भूचयन समिति के परिक्षण में सामने आयी. एमआईडीसी क्षेत्र में उपलब्ध बिजली उपकेंद्र से इस जगह पर बिजली की आपूर्ति की जा सकती है. उसी प्रकार जल वितरण योजना के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जा सकती है. इस क्षेत्र के पास ही महामंडल ने 2 हजार 809.78 हेक्टेअर जमीन पर अमरावती औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया है. कई उद्योग इस क्षेत्र में शुरु हो गये है. प्रस्तावित जगहों का भी संपादन हो रहा है जिससे उद्योग वृद्धि को बढावा मिलेगा. जिससे स्थानियों को बडी संख्या में रोजगार प्राप्त होगा. जिले मेें विभिन्न नये उद्योग लाने के प्रयास किये जा रहे है, ऐसा जिला पालकमंत्री एड. ठाकुर ने बताया.
* जिला नियोजन का निधि समय पर खर्च
जिला नियोजन समिति से जिले को सर्वसाधारण योजना के तहत 300 करोड, आदिवासी उपाय योजना के तहत 84 करोड व सामाजिक न्याय की योजनाओं के लिए 101 करोड इतना निधि नियोजित किया गया था. इस निधि का सदुपयोग तय समय पर करने में जिला प्रशासन कामियाब हुआ है. जिला नियोजन समिति से मिले निधि का समय पर खर्च होना जरुरी था. उसी हिसाब से निधि के खर्च का नियोजन पालकमंत्री तथा जिलाधीश ने किया. फलस्वरुप जिले को प्राप्त निधि खर्च करने में प्रशासन कामियाब हुआ है. एक भी काम लंबित नहीं रहते हुए निधि वापिस न जाये तथा मार्च एंडिंग से पहले समूचे निधि का विनियोग हो, इसके लिए प्रशासन द्बारा प्रत्येक काम को मिशन मोड पर पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया था. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, जिले के ग्रामीण रास्तों का विकास, पर्यटन की सुविधाएं, कृषि संबंधित सेवा, महिला व बालकों का सशक्तिकरण, महिला व बालविकास भवन का निर्माण, बचत गुटों को सक्षम करना आदि कार्यों पर यह निधि खर्च हुआ है.