अमरावतीविदर्भ

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सक दे रहे अपनी सेवाएं

डॉ. प्रवीण औगड ने की मांग

प्रतिनिधि/३०

अमरावती-कोरोना काल में राज्य के स्कूल व आंगणवाडी में पढऩेवाली लड़कियों की सेहत व उपचार करानेवाले आरबीएसके हजारों चिकित्सकों व कर्मचारियों की राज्य सरकार को मदद मिली है. बावजूद इसके आयुष वैद्यकीय अधिकारियों के साथ अन्याय किया जा रहा है. यह अन्याय दूर कर आरबीएसके के चिकित्सकों को एमबीबीएस चिकित्सकों के बराबर वेतन देने की मांग डॉ. प्रवीण औगड ने की है. इस संबंध में बता दें कि राज्य के स्कूल व आंगणवाडी की लडकियों की जांच व उपचार करनेवाले आरबीएसके के हजारों चिकित्सकों और कर्मचारियों की कोरोना काल में राज्य सरकार की मदद मिली है. लेकिन एमबीबीएस चिकित्सकों के बराबर काम करने पर भी उनको पर्याप्त वेतन नहीं मिल रहा है. जिससे आरबीएसके चिकित्सकों में रोष बढ़ रहा है. शून्य से ५ वर्ष आयूसमूह के आंगनवाडी बच्चों की जांच सालभर में दो बार की जाती है. वहीं ५ से १८ आयू समूह के शालेय छात्रों की जांच सालभर में एकबार कर निशुल्क स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने यह कार्यक्रम तैयार किया है. राज्य में आरबीएसके की संपूर्ण जिले में वर्ष २०१३ से ११९५ टीमें कार्यरत है. इन टीमों में पुरुष व महिला वैद्यकीय अधिकारी, एक फार्मासिस्ट व एक एएनएम का समावेश है. यह टीमें ग्रामीण व शहरी इलाकों में कोरोना से निपटने के लिए प्रयास कर रही है. कोरोना का प्रभाव बढने से इसी दौर में राज्य को आरबीएसके के चिकित्सकों की मदद भी मिली है. स्वास्थ्य विभाग, वैद्यकीय शिक्षा व मनपा चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आरबीएसके के वैद्यकीय अधिकारी अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे है. संपूर्ण राज्य में आरबीएसके के लगभग २२०० चिकित्सक बगैर किसी शर्त के लढ़ाई में शामिल हुए है. कोरोना की शुरूआती दौर में पीपीई किट की कमी, सुरक्षा सामग्री की कमी होने पर भी अपनी जान व परिवार की चिंता ना करते हुए डॉक्टरों ने सरकार को मदद की. अमरावती जिले में ३२ आरबीएसके व दो आश्रमशालाएं कुल ३४ टीमें कार्यरत है. इनमें ६८ वैद्यकीय अधिकारी कार्यरत है. जिनमें २९ फार्मासिस्ट व ३२ एएनएम है. इनमें से सभी चिकित्सकों की ७ दिन ड्युटी लगायी गयी है व ७ दिन कारेंटाईन किया गया है. इस विपदा की घडी में आयुष वैद्यकीय अधिकारी अपनी सेवाएं दे रहे है. बावजूद इसके उनके साथ सरकार की ओर से भेदभाव किया जा रहा है. राज्य सरकार की इस भेदभाव नीति से परेशान होकर सामूहिक रूप से इस्तीफा देने की तैयारियां आयुष वैद्यकीय अधिकारियों ने की है.

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