अमरावती

राष्ट्रीय हरित लवाद का दंड 47 करोड से घटकर 2.40 करोड

मनपा को मिली ‘सुप्रीम’राहत, दंड की रकम मिलेगी वापिस

अमरावती/दि.16 – सुकली कंपोस्ट डिपो में घनकचरा व्यवस्थापन का काम लंबे समय से प्रलंबित रहने के चलते महानगरपालिका पर राष्ट्रीय हरित लवाद (एनजीटी) ने 47 करोड रुपए का दंड लगाया था. जिसे घटाते हुए अब 2.40 करोड रुपए कर दिया गया है. इसमें भी विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले भरे गए 1.50 करोड रुपए और अब भरे जाने वाले 90 लाख रुपए ऐसे पूरी रकम महानगरपालिका को वापिस मिल जाएगी. जिसे मनपा को आगामी 6 माह के भीतर बायोमायनिंग व घनकचरा व्यवस्थापन पर खर्च करना होगा. इस आशय के आदेश एनजीटी द्बारा महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल को दिए गए है.
एनजीटी के पुणे स्थित पश्चिम झोन खंडपीठ ने 9 फरवरी को हुई सुनवाई पश्चात दिए गए आदेश में महानगरपालिका को काफी बडी राहत देते हुए कहा कि, मनपा को 9 मार्च तक 90 लाख रुपए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के पास भरने होंगे और इस रकम को आगामी 6 माह के भीतर अमरावती मनपा के घनकचरा व्यवस्थापन व कंपोस्ट डिपो में जमा कचरे पर प्रक्रिया करने हेतु खर्च करना होगा. यानि मनपा पर लगाया गया दंड मनपा के ही कामों पर खर्च होगा. ऐसे मेें अब मनपा को एनजीटी में दंड की कोई रकम नहीं भरनी पडेगी. यानि एक तरह से एनजीटी ने मनपा पर एक रुपए का भी दंड नहीं लगाया है. बल्कि घनकचरा व्यवस्थापन को चूस्त दुरुस्त करने का अवसर ही प्रदान किया है.
बता दें कि, गणेश अनासाने नामक सामाजिक कार्यकर्ता ने सन 2019 में सुकली कंपोस्ट डिपो में घनकचरा अव्यवस्थापन को लेकर एनजीटी में गुहार लगाई थी. शहर का पूरा कचरा सुकली कंपोस्ट डिपो में जमा किया जाता है. जहां पर कचरे के पहाड बन गए है. जिससे बडे पैमाने पर प्रदूषण फैल रहा है. यहां पर जमा कचरे पर किसी भी तरह की कोई प्रक्रिया नहीं की जाती. ऐसा आरोप अनासाने द्बारा लगाया गया था. जिसके पश्चात इस मामले को लेकर कई बार सुनवाई हुई और एनजीटी ने मनपा पर करीब 47 करोड रुपए का दंड लगाया था. दंड की रकम की पहली किश्त के तौर पर मनपा ने 1.50 करोड रुपए एनजीटी के आदेश पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल यानि सीपीसीबी के पास जमा कराए थे. साथ ही इस दौरान एनजीटी के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में भी गुहार लगाई थी.

* 9 फरवरी को द्बिसदस्यीय खंडपीठ में हुई सुनवाई
एनजीटी के जुडिशियल सदस्य व न्यायाधीश दिनेशकुमार सिंह तथा विशेषज्ञ सदस्य डॉ. विजय कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने विगत 9 फरवरी को अंतिम सुनवाई हुई. जिसमें एमपीसीबी, सीबीसीबी, राज्य के नगर विकास विभाग तथा महानगरपालिका की ओर से प्रभावी युक्तिवाद किया गया. पश्चात याचिकाकर्ता को सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने 11 पन्ने का आदेश पारित किया. जिसके चलते मनपा प्रशासन को काफी बडी राहत मिल गई है.

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