अमरावती

संत गाडगे बाबा विद्यापीठ में राष्ट्रीय परिसंवाद

आजीवन अध्ययन व विस्तार विभाग का उपक्रम

अमरावती/दि.27 – संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में आजीवन अध्ययन व विस्तार विभाग में विद्यापीठ के कुलगुरु डॉ. दिलीप मालखेडे के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय शैक्षणिक नियम 2020 प्रौढ शिक्षा व आजीवन अध्ययन विस्तार इस विषय पर हाल ही में राष्ट्रीय परिसंवाद कार्यक्रम का ऑनलाइन तौर पर आयोजन किया गया था. कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यापीठ के प्रभारी कुलगुरु डॉ. विलास भाले ने की तथा परिसंवाद के दिशा दर्शक के रुप में कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख, विशेषज्ञ के रुप में प्रोफेसर डॉ. एम. जयकुमार, पूर्व शिक्षण आधिष्ठता भारथीअर विद्यापीठ कोइंबतुर के डॉ. दिलीप एस. पाटिल, अध्ययन व विस्तार विभाग मुंबई विद्यापीठ के डॉ. जयप्रकाश दुबे आदि उपस्थित थे.
परिसंवाद के पहले सत्र में अ‍ॅडॉप्शन ऑफ टेक्नालॉजी इन द डिलेवरी ऑफ एक्सटेन्शन सडीवस एंड एज्युकेशन इस विषय पर प्रोफेसर एम. कुमार ने कहा कि, विद्यार्थियों और सामाजिक विकास के लिए विस्तार शिक्षण प्रणाली का अवलंबन करना महत्व का है. विस्तार शिक्षण के माध्यम से विविध तंत्रज्ञान पद्धती की व सेवा की भूमिका आजीवन अध्ययन ही समाज उपयोगी है. ई लर्निंग, डिजीटल एज्युकेशन इस विषय पर भी जागृत रहना आवश्यक है. जिसके व्दारा व्यवसायीक कौशल्य विकास के महत्वपूर्ण तंत्र व पद्धती विकसित होकर रोजगार निर्माण को बढावा देगा ऐसा मत व्यक्त किया. दूसरे सत्र में इपोटेंस ऑफ लाइफलांग, लर्निंग इन एज्युकेशन विषय पर बोलते हुए डॉ. पाटिल ने कहा कि आजीवन अध्ययन व प्रौढ शिक्षा के माध्यम से मूलभुत साक्षरता प्राप्त कर लेने की आवश्यकता है.
तीसरे सत्र में प्रोफेशनलाएझेशन लाइफलांग लर्निंग एंड एक्सटेशन इस विषय पर मार्गदर्शन करते हुए जयकुमार दुबे ने कहा कि प्रौढ शिक्षा के माध्यम से बेरोजगार लोगों को रोजगरात्मक प्रशिक्षण व्दारा सक्षम व आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. परिसंवाद का सूत्र संचालन प्रा. काशीब अहमद ने किया. अतिथियों का परिचय प्रा. आसरा पठान ने करवाया तथा आभार विभाग संचालक डॉ. श्रीकांत पाटिल ने माना.
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए डॉ. प्रशांत भगत, प्रा. सुरेश पवार, प्रा. वैभव जिसकार, प्रा. शुभांगी रवाले, प्रा. मंजुषा बारबुद्धे, डॉ. अश्विनी राउत, प्रा. असरा पठान, डॉ. रोहिणी देशमुख, प्रा. मनीषा लकडे, प्रा. पूजा काले, प्रा. स्वप्नील मोरे, प्रा. स्वप्नील ईखार, प्रा. जुबेर खान, प्रा. आदित्य पुंड, प्रा. शिवाणी अग्रवाल व शिक्षकेत्तर कर्मियों ने अथक प्रयास किए.

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