बाघ के शावक की हुई प्राकृतिक रूप से मौत
सहायक वन संरक्षक अधिकारी पाटिल ने दी जानकारी
प्रतिनिधि/दि. २०
अमरावती-मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत आनेवाले सिपना वन्यजीव विभाग क्षेत्र में बाघों का विचरण रहता है. इस क्षेत्र के चौराकुंड परिक्षेत्र में शनिवार को वनकर्मचारियों को गश्ती के दौरान मादा बाघ के शावक का शव दिखाई दिया. मादा बाघ के शावक की मृत्यु प्राकृतिक रुप से होने की जानकारी सहायक वन संरक्षक अधिकारी पाटिल ने दी है. इस सबंध में पता चला है कि चौराकुंड परिक्षेत्र में जब वनकर्मचारियों का दस्ता गश्त लगा रहा था, तभी एक घने जंगल क्षेत्र में मादा बाघ के शावक के आँख और पैर ही दिखाई दे रहे थे. जबकि बाकी का शरीर वन्यप्राणियों द्वारा खाया हुआ दिखाई दे रहा था. कुछ ही दूरी पर नर बाघ के पदचिन्ह भी दिखाई दिए. उस बाघ के मादा शावक की मौत का कारण दूसरे बाघ के हमले से हुई ऐसी जानकारी सहायक वन संरक्षक अधिकारी कमलेश पाटिल द्वारा दी गई.
सिपना वन्यजीव विभाग के सहायक वन संरक्षक अधिकारी कमलेश पाटिल ने बताया कि इस प्रकार के बाघों के व अन्य प्राणियों के बीच अक्सर हमले होते रहते है. शनिवार को कर्मचारियों द्वारा गश्त के दौरान बाघ के शावक का शव मिला. जिसकी उम्र एक से डेढ़ साल है. उस शावक के पीछे के पंजे टूटे हुए थे और कुछ ही दूरी पर एक जंगली सुअर का भी शव दिखाई दिया. जिसका शिकार बाघ द्वारा किया गया, ऐसा वन कर्मियों के निदर्शन में आया. तुरंत अकोट से प्रशिक्षित श्वान बुलाए गये. जांच के दौरान १०० मीटर के अंतर्गत मादा शावक का धड़ से अलग शरीर दिखाई दिया तथा उसी जगह पर बड़े बाघ के पदचिन्ह भी दिखाई दिए. सिपना विभाग के सहायक वन संरक्षक कमलेश पाटिल ने बताया कि मादा बाघ जब शिकार कर रही थी तभी वहां दूसरा बाघ भी पहुंच गया. शिकार को लेकर दोनों की आपस में झड़प हुई. जिसमें बाघ के शावक की मौत हो गई. इस प्रकार से शिकार को लेकर अक्सर जंगल में संघर्ष होते रहते है. उस शावक की मौत प्राकृतिक रूप से हुई है, ऐसी जानकारी सहायक वन संरक्षक कमलेश पाटिल द्वारा दी गई. इस संबंध में डिएफओ कमलेश पाटिल ने बताया कि, यहां पर जब से पदभार संभाला है तब से लेकर अब तक की यह पहली घटना है. इससे पहले एक तेंदुए की मृत्यु हई थी.