अमरावती/दि.4- प्राकृतिक आपदा, कभी गीला तो कभी सूखा स्थिति, कर्ज का बोझ, फसल नाउपज, कृषि माल को उचित दाम नहीं मिलना, सरकार की उदासीन नीति के कारण किसान आत्मघाती कदम उठा रहे है. जनवरी से अगस्त माह तक 201 किसानों ने मौत को गले लगाया. फसल नहीं होने से जिले के 38 युवाओं ने अपनी जीवनयात्रा समाप्त कर दी. एक के बाद संकट किसानों पर आने से जीवन कैसे जीएं, परिवार का भरण पोषण कैसे करें? इसकी चिंता सताने से युवा किसान आत्महत्या कर रहे है. 40 से 60 आयुगट के किसान आत्महत्या की संख्या अधिक है. युवा किसानों की आत्महत्या का प्रमाण भी बढ रहा है. 1 जनवरी से 31 अगस्त तक कुल 201 किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें से 113 किसानों की आत्महत्या को सरकार ने पात्र ठहरया तथा 38 अपात्र ठहराए गए. वहीं 50 प्रकरण जांच के लिए लंबित है. केवल 36 आत्महत्याग्रस्त कृषक परिवारों को ही मदद मिली है.
* खरीफ सत्र में 69 आत्महत्या
जून से 29 अगस्त तक की आंकडेवारी नुसार इस खरीफ सत्र में 69 किसानों ने अपनी जीवनयात्रा समाप्त की. इनमें से 18 किसान आत्महत्या पात्र तथा 6 अपात्र ठहराई गई. इसके साथ ही 45 प्रकरण जांच के लिए लंबित है. 2022 में खरीफ सत्र में 71 किसानों ने आत्महत्या की थी. इनमें से 63 पात्र, तथा 5 अपात्र ठहराए गए है.
सरकारी की उदासीन नीति
किसान आत्महत्या का सिलसिला रोकने के लिए सरकार के पास कोई परिणामकारक योजना दिखाई नहीं दे रही. जुलाई माह में अतिवृष्टी का सर्वेक्षण किया गया. इसके बाद जिलाधिकारी ने विभागीय आयुक्त के माध्यम से सरकार को रिपोर्ट पेश की, किंतु अब तक सहायता नहीं दी गई. आत्महत्या करने के लिए प्रवृत्त हुए किसानों को धैर्य देने सरकारी यंत्रणा विफल रही है.
-तुकाराम भस्मे, किसान नेता.