अमरावतीमुख्य समाचार

जिले में 1 लाख किसानों को जोडेंगे प्राकृतिक खेती से

मोटा अनाज उगाने और उसका मार्केट भी उपलब्ध होगा

* सांसद अनिल बोंडे व्दारा जानकारी
* सायंसकोर मैदान पर कल से कृषि महोत्सव
अमरावती/दि.28 – जिले के सांसद और प्रदेश के भूतपूर्व कृषि मंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने बताया कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना से सभी को विषमुक्त और पौष्टिक अनाज उपलब्ध करवाने के लिए मोटा अनाज की प्राकृतिक खेती को बढावा दिया जा रहा है. इससे अमरावती जिले के 1 लाख किसानों को जोडने का प्रयास है. किसान प्राकृतिक खेती से अपनी लागत कम करने के साथ आमदनी भी बढेगी, ऐसी यह योजना है. डॉ. बोंडे आज दोपहर अपने कार्यालय में अमरावती मंडल से विशेष बातचीत कर रहे थे. उन्होंने सायंसकोर मैदान पर प्राकृतिक खेती, मिलेट्स व जिला कृषि महोत्सव के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने महोत्सव को किसानों के अत्यंत उपयोगी, लाभप्रद बताते हुए उसमें अवश्य सहभागी होने की अपील भी की.
* अमृतकाल में नैसर्गिक खेती को प्रोत्साहन
डॉ. बोंडे ने बताया कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरीत खेती के लिए अमृतकाल में बजट में भी प्राधान्य दिया है. गौ आधारित प्राकृतिक खेती से किसानों की लागत कम होगी और आय बढेगी. वैसे ही प्राकृतिक खेती के कारण लोगों को विषमुक्त, रसायनमुक्त पौष्टिक अनाज उपलब्ध होगा जो उन्हें नाना प्रकार की आधुनिक काल की बीमारियों से भी दूर रखेगा.
* जमीन की क्षमता भी बढेगी
महाराष्ट्र के कृषि मंत्री रह चुके डॉ. बोंडे ने बताया कि, प्राकृतिक खेती से न केवल रसानमुक्त अनाज उपलब्ध होगा , अपितु जमीन की उत्पादन क्षमता भी बढेगी. भारतभर में पहले दौर में 1 करोड किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की जानकारी भी उन्होंने दी. पेशे से हृदयरोग चिकित्सक रहे डॉ. बोंडे ने बताया कि, गेहूं में ग्लूटन पदार्थ होता है, जिससे रक्तचाप, मधुमेह, हृदयरोग और स्ट्रोक जैसी बीमारी की आशंका बढ जाती है. इस पर ग्लूटनमुक्त मोटा अनाज को बढावा देने का सरकार का प्रयत्न है. उन्होंने ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, कोदु, कुटकी आदि नाम भी गिनाए. डॉ. बोंडे ने बताया कि, मोटा अनाज के अनेक फायदे है. प्रधानमंत्री की पहल से यूनिसेफ ने वर्ष 2023 को मोटा अनाज प्रोत्साहन वर्ष घोषित किया है.
* परिसंवाद में विशेषज्ञ बताएंगे लाभ
उद्घाटन सत्र के बाद कृषि महोत्सव के परिसंवाद में विशेषज्ञ डॉ. एम.के. साजू, डॉ. मुकुंद देशमुख, डॉ.ऋतुजा देशमुख, डॉ. प्रणिता कडू आदि मोटा अनाज की खूबियां बताएंगे. ऐसे ही मोटा अनाज उगा रहे प्रयोगशील किसान भी अपने अनुभव बतलाएंगे. किसानों के लिए यह सभी बेहद उपयोगी रहने की जानकारी डॉ. बोंडे ने दी. उन्होंने किसानों से पांच दिवसीय आयोजन में अवश्यक सहभागी होने का आग्रह करते हुए बतलाया कि, शाम को 7 से 10 दौरान चार दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम और कृषि कीर्तन भी रखा गया है. ऐसे ही उत्सवस्थल पर मोटा अनाज के विविध व्यंजन बनाने की विधि भी और व्यंजन भी उपलब्ध रहेंगे.
* 50 हजार प्रति हेक्टेयर
किसानों को मोटा अनाज की प्राकृतिक खेती का लाभ दिलाने सरकार की योजना है, जो आत्मा, चरितार्थ और अन्य कृषि संगठनों के माध्यम से किसानों को योजना में सहभागी करेगी. प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपए का सर्वप्रथम लाभ किसानों को होगा. इसके अलावा उनके व्दारा उगाए गए मोटा अनाज के मार्केेट के लिए भी प्रयास होंगे. कृषि महोत्सव में खाद्य महोत्सव भी है. ऐसे ही ड्रोन का प्रात्याशिक बतलाया जाएगा. महाडीबीटी के अलावा उक्त कार्यस्थल पर भी किसान प्राकृतिक खेती के लिए पंजीयन करवा सकेंगे.

* मोटा अनाज खाने के फायदे बताएंगे विशेषज्ञ
राज्य के कृषि विभाग, आत्मा के प्रकल्प संचालक तथा नई दिल्ली स्थित कारितास इंडिया के संयुक्त सहयोग से आगामी 1 से 5 मार्च के दौरान स्थानीय सायंस्कोर मैदान पर प्राकृतिक कृषि, मिलेट्स व जिला कृषि महोत्सव-2023 का आयोजन किया जा रहा है. इस महोत्सव का 1 मार्च को सुबह 11 बजे सांसद डॉ. अनिल बोंंडे के हस्ते जिलाधीश श्रीमती पवनीत कौर की अध्यक्षता में समारोहपूर्वक उद्घाटन किया जाएगा. यह जिले के किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण आयोजन है. जिसमें प्राकृतिक खेती के साथ-साथ मोटा अनाज पर विशेष मार्गदर्शन और कार्यक्रम तथा खान-पान, व्यंजन के स्टॉल होंगे.
इस कृषि महोत्सव में कुल 200 स्टॉल सहभागी होंगे. जिनमें 40 सरकारी महकमों, 30 कृषि विज्ञान व सिंचाई, 30 कृषि निविष्ठा, 20 धान्य, 40 गृहपयोगी वस्तू व 40 खाद्य पदार्थ संबंधि स्टॉल का समावेश रहेगा. जिसके तहत विभिन्न सरकारी महकमों, किसान उत्पादक गुटों, किसान उत्पादक कंपनियों तथा महिला बचत गुटों द्बारा स्टॉल लगाए जाएंगे. साथ ही इस आयोजन के तहत कृषि संबंधी अत्याधुनिक तकनीकों की जानकारी उपलब्ध कराने हेतु कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों के व्याख्यान भी आयोजित किए गए है. इस महोत्सव के जरिए पारंपारिक खेती किसानी प्राकृतिक यानि नैसर्गिक खेती को प्रोत्साहन देने का भी प्रयास किया जाएगा. ताकि किसानों की आय को दो गुना बढाया जा सके.

Related Articles

Back to top button