प्रकृति ने ओढी सदाबहार फूलों की शाल
तेज ध्ाूप में बहावा, काटेसावर , गुलमोहर के पेड दे रहे राहत
अमरावती/ दि. २५- अपने रोज के जीवन में प्रकृति और प्राकृतिक परिवर्तन का महत्व होता है. प्रत्येक ऋतु में स्वयं का अनूठा अनुभव है. चैत्र माह में खिलने वाले अनेक फूलों की अलग पहचान है और एक नई सुंगध है.उन फूलों की विविधता के साथ साथ गर्मी की तपन में इस फूलों के खिलने से वातावरण में मन को प्रसन्नता होकर ठंडक महसूस होती है. कडी ध्ाूप में खिले फूल बहावा, गुलमोहर, काटसावर, पलाश, सोनमोहर आदि फूलों के इस वातावरण ने प्रकृति को चैत्र माह में सदाबहार फूलों की शाल उडाई है. ऋतु निहाय प्रकृति में परिवर्तन होना क्रमानुसार होता है. ऋतु परिवर्तन के समारोह में नवचेतना की झालर होती है. सच्चे अर्थो में प्रकृति यह समयानुसार स्वयं को नये नये रूप में बहाल करती है. प्रकृति की यह पूर्व से चली आ रही परंपरा आज तक कायम है. होली से होनेवाली यह गर्मी की तपन चैत्र माह में अधिक महसूस होती है. एक ओर गर्मी की तपन से सृष्टि नहाकर निकलते समय इस समय प्रकृति को एक अलग ही स्वरूप प्राप्त हुआ हैे. गर्मी के चटके से शरीर तप रहा है और दूसरी ओर सोन मोहरे व बहावा, पीले धम्मक फुलों के गुलमोहर केसरी लाल चटक तथा गुलाबी, जामनी फूलो की बहार दिखाई दे रही है. प्रकृति की यह सृजनशीलता नया उत्साह लेकर आयी है. चैत्र की यह माया इस विविध पेडों से अपनी ओर आकर अलग ही प्रसन्नता दे रही है. चैत्र माह के रूप ेमें पहचानी जानेवाली यह विविध रंग के फूल प्रकृति में खेल रहे है.
* मन को प्रसन्नता
सीमेंट के जंगल बढने से प्राकृतिक जंगल का विनाश हो रहा है.रास्ते के दोनों ओर रहने वाले पेड आज रास्ते के चौडाईकरण के नाम पर काटे जा रहे है. परंतु जो कुछ पेड अपना अस्तित्व टिकाए हुए है. उसमें बहावा, काटेसावर, सोनमोहर, तामण, गुलमोहर इन फूलों से खिले पेड भरी ध्ाूप में मन को प्रसन्नता दे रहे है.
* औषधी गुण
यह पेड केवल छाया व मन को प्रसन्नता ही नहीं देते यह औषधीयुकत रहनेवाले पेड विविध बीमारियों के लिए भी उपयोगी होते है. बहाव के पत्ते कफनाशक है. गुलमोहर की छाल, पत्ते यह बाल झडने, मुंह में फोडे के लिए उपयोगी है तथा सोनमोहर के पत्ते कंधे के दर्द में भी आरामदायक है.