अमरावती

नवनीत राणा को श्रमदान का मतलब भी पता है क्या?

प्रदेश कांग्रेस महासचिव किशोर बोरकर ने कसा तंज

अमरावती/दि.14 – शहर के पूर्वी छोर पर स्थित वडाली तालाब का गाद निकालकर तालाब का गहराईकरण करते हुए सौंदर्यीकर करने हेतु एक निजी कंपनी को 22 करोड रुपए का ठेका दिए जाने के बावजूद जिले की सांसद नवनीत राणा ने वहां जाकर श्रमदान करने का काम किया है. यदि इस तालाब से गाद निकालने का काम श्रमदान के जरिए ही होना है, तो निजी कंपनी को ठेका क्यों किया गया है और अगर एक निजी कंपनी को इस काम का ठेका दे दिया गया है, तो फिर वहां जाकर श्रमदान करने का औचित्य क्या है. इस आशय का सवाल उपस्थित करते हुए कांग्रेस के प्रदेश महासचिव किशोर बोरकर ने तंज कसा है कि, शायद सांसद नवनी त राणा को श्रमदान किसे कहते है, इसका सही अर्थ ही नहीं पता है.
यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में कांग्रेस के प्रदेश महासचिव किशोर बोरकर ने सांसद नवनीत राणा को संबोधित करते हुए लिखा है कि, इंसानों एवं प्राणी मात्र की भलाई हेतु श्रमदान बेहद प्रामाणिक भावना के साथ किया जाता है. लेकिन जो लोग हमेशा ही फोटो सेशन और प्रसिद्धि की चमक-दमक में रहने के आदि है, वे इसका महत्व नहीं समझ सकते, बल्कि ऐसे लोग श्रमदान जैसे विधायक कार्य का भी अपनी राजनीति के लिए उपयोग कर रहे है. परंतु जनता इस तरह की नौटंकी को काफी अच्छे से जानती और समझती है. इसके साथ ही किशोर बोरकर ने यह भी कहा कि, सांसद नवनीत राणा को यदि वाकई श्रमदान करना है, तो उन्होंने शहर की दलित व मुस्लिम बस्तियों में जाकर श्रमदान करना चाहिए. क्योंकि जिन लोगों ने उन्हें वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने भारी भरकम वोटों से चुनकर जीत दिलवाई. उन लोगों की बस्तियों में आज भी जगह-जगह पर कचरे व गंदगी के ढेर पडे है. लेकिन ऐसी बस्तियों की ओर सांसद नवनीत राणा का कोई ध्यान नहीं है. इसके साथ ही किशोर बोरकर ने यह भी कहा कि, कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस सहित समविचारी दलों द्बारा किए गए सहयोग की वजह से वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में नवनीत राणा को 5 लाख 10 हजार 947 वोट मिले थे. जिसमें मुस्लिमों और दलितों के गट्ठा वोटों का समावेश था. लेकिन अपने 4 वर्ष के कार्यकाल दौरान सांसद नवनीत राणा ने मुस्लिमों के लिए शिक्षा व नौकरी में आरक्षण हेतु कुछ भी नहीं किया. चूंकि उस चुनाव में कांग्रेस की विचारधारा का समर्थन करने वाले लोगों ने नवनीत राणा के पक्ष में मतदान किया था. ऐसे में सभी कांग्रेसजनों को सांसद नवनीत राणा से सवाल पूछने का अधिकार प्राप्त है और सांसद नवनीत राणा ने भी इन सभी सवालों का सार्वजनिक तौर पर जवाब देना चाहिए. इसके साथ ही किशोर बोरकर ने यह भी कहा कि, सांसद नवनीत राणा के अनुसूचित जाति के प्रमाणपत्र को फर्जी करार देते हुए उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है और उन पर दंड भी लगाया है. इस पर यद्यपि सर्वोच्च न्यायालय में स्थगनादेश दिया है. लेकिन जनता की अदालत में नवनीत राणा की हार हो चुकी है.

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