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और तीन दिनों के लिए लटका नवनीत राणा का मामला

सोमवार तक सुप्रीम कोर्ट में रहेगा अवकाश

* मंगलवार के बाद ही आ सकता है कोई फैसला
* गुरुवार से शुरु होने जा रही नामांकन की प्रक्रिया
* टिकट व दावेदारी को लेकर जबर्दस्त ‘सस्पेंस’
अमरावती/दि.22 – जिले की सांसद नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र मामले की सुनवाई यद्यपि सुप्रीम कोर्ट में पिछले महिने ही पूरी हो गई थी और विगत 28 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में यह मामला ‘क्लोज फॉर ऑर्डर’ कर दिया था. जिसके बाद उम्मीद जतायी जा रही थी कि, दो सप्ताह के भीतर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आ जाएगा. लेकिन दो सप्ताह की अवधि कब की बीत चुकी है. साथ ही विगत 16 मार्च को केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव की घोषणा करने के साथ ही चुनावी आचार संहिता भी लागू कर दी है. लेकिन इसके बावजूद अब तक सांसद नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई फैसला नहीं आया है. ऐसे में सांसद नवनीत राणा की आगामी चुनाव में दावेदारी को लेकर जबर्दस्त सस्पेंस बना हुआ है. साथ ही राणा समर्थकों व उनके विरोधकों सहित पूरे जिले की निगाहे सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ओर लगी हुई है.
बता दें कि, आज शुक्रवार 22 मार्च तक सुप्रीम कोर्ट का सांसद नवनीत राणा के मामले में कोई फैसला नहीं आया है. वहीं अब शनिवार 23 मार्च व रविवार 24 मार्च को सप्ताहांत व साप्ताहिक अवकाश के बाद सोमवार 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में होली के पर्व का अवकाश रहेगा. यानि इन तीन दिनों के दौरान इस मामले में कोई फैसला आने की कोई उम्मीद या गुंजाइश नहीं है. इसके उपरान्त मंगलवार 26 मार्च से सुप्रीम कोर्ट में कामकाज शुरु होगा. जिसके चलते 26 मार्च के बाद ही सुप्रीम कोर्ट इस मामले मेें अपना कोई फैसला सुना सकता है. ध्यान देने वाली बात है कि, आगामी गुरुवार 28 मार्च से ही अमरावती संसदीय सीट हेतू लोकसभा चुनाव का नोटीफिकेशन जारी होने के साथ-साथ नामांकन की प्रक्रिया भी शुरु होगी. जिसके तहत 4 अप्रैल तक नामांकन दाखिल किये जा सकेंगे. ऐसे में सांसद नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से मार्च माह के अंत तक अंतिम फैसला आना बेहद जरुरी है. क्योंकि इसी फैसले के आधार पर सांसद नवनीत राणा की दावेदारी का पूरा दारोमदार टिका हुआ है.
बता दें कि, विगत 5 वर्षों के दौरान कट्टर हिंदुत्ववादी नेत्री के तौर पर पहचान बनाने में सफल रही सांसद नवनीत राणा ने संसद में पीएम मोदी के नेतृत्ववाली सरकार का जमकर समर्थन किया. इसके चलते उन्हें इस बार अमरावती संसदीय सीट से भाजपा अथवा एनडीए गठबंधन की ओर से टिकट का प्रबल दावेदार भी माना जा रहा है. परंतु अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित रहने वाली अमरावती संसदीय सीट से नवनीत राणा को प्रत्याशी बनाया जाये अथवा नहीं, इसका फैसला अब तक भाजपा तथा एनडीए द्वारा नहीं लिया गया है. जिसकी सीधी वजह एक ही है कि, सांसद नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र की वैधता का मामला अब तक निपटा नहीं है और सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद उसे क्लोज फॉर ऑर्डर करते हुए अब तक अपना अंतिम फैसला नहीं सुनाया है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, गत रोज ही महाराष्ट्र को लेकर दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की एक बैठक हुई है. जिसमें भाजपा के हिस्से में रहने वाले संसदीय सीटों को लेकर लगभग सबकुछ तय हो गया है और आज देर शाम तक भाजपा की ओर से प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी कर दी जाएगी. ऐसे में भाजपा द्वारा अमरावती संसदीय सीट को लेकर क्या रुख अपनाया जाता है, इस ओर सभी की निगाहे लगी हुई है. दबे स्वर में चल रही चर्चाओं के मुताबिक यदि तीन दिन के अवकाश के तुरंत बाद अगले एक-दो दिन में सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई फैसला आता है और यदि वह फैसला सांसद नवनीत राणा के पक्ष में भी होता है, तो भी इस सूरत में अब से अगले 5-6 दिनों तक अमरावती संसदीय सीट से प्रत्याशी घोषित करने हेतु रुके रहना भाजपा के लिए थोडा मुश्किल वाला काम हो सकता है. क्योंकि उस समय तक नामांकन की प्रक्रिया श्ाुरु हो जाएगी और यदि उस समय ऐन नामांकन प्रक्रिया के मुहाने पर सांसद नवनीत राणा के खिलाफ फैसला आता है, तो ऐन समय पर किसी नये प्रत्याशी का नाम तय करने के लिए भाजपा को काफी मुश्किलें पेश आएगी. ऐसे में बहुत हद तक संभव है कि, भाजपा द्वारा आज कल में ही कोई ‘अलग रास्ता’ अख्तियार कर लिया जाये.

* नवनीत राणा की दावेदारी को लेकर फडणवीस फंसे पेंच में
उल्लेखनीय है कि, दो दिन पहले अकोला के दौरे पर आये भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सांसद नवनीत राणा को अमरावती संसदीय सीट से भजपा का प्रत्याशी बनाये जाने का स्पष्ट संकेत दिया था, लेकिन जहां एक ओर नवनीत राणा के जाती प्रमाणपत्र के वैध या अवैध होने का मामला अब तक सुप्रीम कोर्ट के जरिए स्पष्ट नहीं हुआ है. वहीं दूसरी ओर भाजपा के स्थानीय पदाधिकारी भी विगत लंबे समय से राणा दम्पति के साथ चल रहे अपने संघर्ष को इतनी आसानी के साथ भुलने के लिए तैयार नहीं है. यदि सुप्रीम कोर्ट से सांसद नवनीत राणा के पक्ष में फैसला आ भी जाता है और भाजपा द्वारा उन्हें अमरावती संसदीय सीट से अपना प्रत्याशी बनाकर कमल चुनाव चिन्ह पर खडा भी कर दिया जाता है, तो उस स्थिति में अमरावती के भाजपा पदाधिकारियों का नवनीत राणा को कितना साथ व सहयोग मिलेगा, यह देखने वाली बात होगी. ऐसे में राजनीतिक जानकारों द्वारा माना जा रहा है कि, केंद्र एवं राज्यस्तर पर अपने निकट सहयोगी रहने वाले सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा को अपने पाले मेें रखने की बात कहकर डेप्यूटी सीएम फडणवीस एक तरह से राजनीतिक पेंच में फंस गये है. क्योंकि उनके शब्द को पत्थर की लकीर मानने वाले भाजपा के स्थानीय पदाधिकारी इस बार उनकी बात को मानने के मुड में दिखाई नहीं दे रहे.

* क्या ऐन समय पर अडसूल पिता-पुत्र में से मिलेगा किसी को मौका
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक भाजपा पदाधिकारियों की स्थानीय स्तर पर चल रही गुप्त बैठकों में भी राणा दम्पति के खिलाफ आवाज उठ रही है. जिसे देखते हुए यदि ऐन समय पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नवनीत राणा को रुक जाने हेतु कहा जाता है, तो भाजपा प्रत्याशी ेके तौर पर अडसूल पिता-पुत्र में से किसी एक को मौका मिलने की प्रबल संभावना बनती दिखाई दे रही है. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि, आगामी 4-5 दिनों के दौरान नामांकन प्रक्रिया शुरु होने से ठीक पहले तक राजनीतिक उंट किस करवट बैठता है.

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