नवनीत राणा के हाथ में भाजपा की बागडोर आने से प्रवीण पोटे की राजनीति खतरे में

पोटे के राजनीतिक भविष्य पर भी उठ रहे सवालिया निशान, एमएलसी की टिकट भी मुश्कील में

* शहर व जिला भाजपा पदाधिकारियों का पूरा जमावडा अब ‘लक्ष्मण स्मृति भवन’ की बजाए ‘गंगा-सावित्री’ पर
अमरावती /दि.29- हाल ही में भारतीय जनता पार्टी द्वारा नए शहराध्यक्ष व दो ग्रामीण जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की गई और तीनों पदों पर भाजपा नेत्री व पूर्व सांसद नवनीत राणा के कट्टर समर्थकों की नियुक्ति हुई है. जिसके चलते इस समय शहर व जिला भाजपा की पूरी कमान व बागडोर पूर्व सांसद नवनीत राणा के हाथों में चली गई है. जिसकी वजह से विगत करीब 10 वर्षों से अमरावती शहर सहित जिले में भाजपा का नेतृत्व करने के साथ ही 12 वर्ष तक विधान परिषद सदस्य रहनेवाले और जिले के पालकमंत्री रह चुके भाजपा नेता प्रवीण पोटे पाटिल के राजनीतिक अस्तित्व और राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान लगते नजर आ रहे है. क्योंकि भाजपा में संगठनात्मक स्तर पर फेरबदल होते ही पूर्व मंत्री प्रवीण पोटे पाटिल एकतरह से राजनीतिक हाशिए पर नजर आ रहे है.
उल्लेखनीय है कि, इस समय भले ही शहर व जिला भाजपा का कामकाज अधिकारिक तौर पर राजापेठ परिसर स्थित पार्टी कार्यालय ‘लक्ष्मण स्मृति भवन’ से चल रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि, शहर व जिला भाजपा का कार्यालय अप्रत्यक्ष तौर पर यहां से स्थलांतरित होकर शंकर मार्ग स्थित पूर्व सांसद नवनीत राणा के निवासस्थान ‘गंगा-सावित्री’ पर स्थलांतरित हो चुका है. क्योंकि अब पार्टी कार्यालय की बजाए भाजपा पदाधिकारियों का पूरा जमावडा गंगा-सावित्री बंगले पर ही लगा दिखाई देता है.
ज्ञात रहे कि, वर्ष 2012 में भाजपा के टिकट पर पहली बार विधान परिषद का चुनाव लडकर जीत हासिल करनेवाले पूर्व मंत्री प्रवीण पोटे पाटिल ने भाजपा में पडी तेजी के साथ अपनी जगह बनाई. जिसके चलते उन्होंने वर्ष 2017 के विधान परिषद चुनाव में क्लिनचीट करते हुए एकतरफा जीत हासिल की थी. साथ ही इसके उपरांत वे भाजपा के शहराध्यक्ष भी नियुक्त हुए थे और इसी दौरान वे राज्यमंत्री व जिला पालकमंत्री भी थे. जिसके चलते प्रवीण पोटे पाटिल को शहर सहित जिले में भाजपा का सबसे कद्दावर नेता माना जाने लगा था. परंतु वर्ष 2023 में प्रवीण पोटे पाटिल के विधायक पद का कार्यकाल समाप्त हो गया और स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव प्रलंबित रहने की वजह से वे निकाय निर्वाचन क्षेत्र से अपना तीसरा चुनाव नहीं लड पाए. वहीं इस दौरान पार्टी में हुए संगठनात्मक फेरबदल के चलते प्रवीण पोटे पाटिल का भाजपा शहराध्यक्ष पद भी जाता रहा और उनके स्थान पर डॉ. नितिन धांडे को भाजपा द्वारा नया शहराध्यक्ष नियुक्त किया गया. जो पूर्व सांसद नवनीत राणा के समर्थक बताए जाते है. इसके साथ ही भाजपा द्वारा पहली बार जिले में दो ग्रामीण जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की गई है. जिसके तहत पूर्व विधायक प्रभुदास भिलावेकर तथा रविराज देशमुख को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. यह दोनों नवनियुक्त जिलाध्यक्ष भी पूर्व सांसद नवनीत राणा के प्रबल समर्थक बताए जाते है और इन तीनों की नियुक्ति के लिए पूर्व सांसद नवनीत राणा ने जमकर लॉबिंग व फिल्डींग की थी, यह बात भी किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में अब एकतरह से शहर व जिला भाजपा की पूरी बागडोर पूर्व सांसद नवनीत राणा के हाथों आ गई है और वे इस समय शहर सहित जिले में भाजपा की सबसे बडी नेता बन गई है. जिसके चलते अब तक अमरावती शहर में भाजपा की बागडोर संभाल रहे पूर्व मंत्री प्रवीण पोटे पाटिल एक झटके के साथ अपनी ही पार्टी में हाशिए पर चले गए है.
यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, पूर्व मंत्री प्रवीण पोटे पाटिल एवं राणा दंपति के बीच लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक अदावत भी किसी से छिपी हुई नहीं है. ऐसे में अब पूर्व सांसद नवनीत राणा के नेतृत्व वाली शहर व जिला भाजपा में पोटे एवं उनके समर्थकों के लिए जाहीर तौर पर कोई जगह भी नहीं बची है. ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि, यदि आगामी समय में अमरावती मनपा व जिला परिषद सहित जिले के सभी स्थानीय निकायों के चुनाव हो भी जाते है, तो इसके बाद स्थानीय स्वायत्त निकाय निर्वाचन क्षेत्र में होनेवाले विधान परिषद के चुनाव में पूर्व विधायक प्रवीण पोटे पाटिल को तीसरी बार मौका मिलना अभी से ही मुश्कील दिखाई दे रहा है.

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