नवनीत ताई, अपनी उर्जा व शक्ति जिले के विकास में लगाओ
पूर्व पार्षद प्रदीप बाजड ने सांसद राणा के नाम लिखा ‘मार्मिक’ पत्र
* कई पूर्व जनप्रतिनिधियों के कामों और अमरावती की परंपरा का दिया हवाला
अमरावती/दि.26- शिवसेना के पूर्व सहसंपर्क प्रमुख तथा मनपा के पूर्व पार्षद प्रदीप बाजड ने जिले की सांसद नवनीत राणा के नाम एक बेहद ही ‘मार्मिक’ पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने सांसद नवनीत राणा की कार्यशैली और गतिविधियों को लेकर अपनी कडी आपत्ति दर्ज कराने के साथ ही उन्हें अमरावती जिले के पूर्व जनप्रतिनिधियों द्वारा किये गये कामों और यहां की संस्कृति व परंपरा का हवाला देते हुए अपने बचे हुए कार्यकाल में अपनी उर्जा व शक्ति को अमरावती जिले के विकास हेतु खर्च करने की सलाह दी है.
अपने इस पत्र में पूर्व पार्षद प्रदीप बाजड ने लिखा है कि, ‘नवनीतताई राणा, आप अमरावती लोकसभा संघ से राष्ट्रवादी कांग्रेस व कांग्रेस पार्टी का समर्थन लेकर शिवसेना व भाजपा के गठबंधन को पराजीत कर विजयी हुई. जिसके बाद आपकी यह जिम्मेदारी बन गई है कि, आप अमरावती जिले के विभिन्न समस्याओें और विकास से संबंधीत योजनाओं को लेकर शहर सहित जिले के सभी विधायकों एवं जेष्ठ नेताओं के साथ व सहयोग से सरकारी स्तर पर जनप्रतिनिधि के तौर पर काम व प्रयास करें. इससे पहले भी जिले के विकास के मुद्दे पर तत्कालीन सांसद प्रतीभाताई पाटील, स्व. दादासाहब गवई, स्व. सुदामकाका देशमुख, पूर्व मंत्री स्व. राम मेघे, जगदीश गुप्ता, सुनील देशमुख, सुरेंद्र भूयार, यशवंतराव शेरेकर, तथा पूर्व शिक्षक विधायक बी. टी. देशमुख सहित प्रा. प्रभाकरराव वैद्य व पत्रमहर्षि स्व. बालासाहब मराठे जैसे विभिन्न दलों व विचारधाराओंवाले नेताओं एवं सामाजिक क्षेत्र के गणमान्यों ने एकसाथ आकर काम किया है. अमरावती-मुंबई अंबा एक्सप्रेस तथा रेल्वे वैगन कारखाना ऐसे ही सर्वदलिय संघर्ष के परिणाम कहे जा सकते है. किसी समय अमरावती मनपा क्षेत्र में पेयजल को लेकर काफी दिक्कत पैदा हो गई थी, तब विभिन्न दलों के नेताओं ने एकसाथ आकर 50 किमी दूर से जलापूर्ति योजना को अमल में लाते हुए अमरावती शहर की पानी संबंधी दिक्कत को दूर किया. इसके अलावा शहर के बाहर रिंगरोड के निर्माण और संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन की स्थापना को भी सर्वदलिय संघर्ष का उदाहरण कहा जा सकता है, लेकिन आप ने इस संस्कृति व परंपरा की अनदेखी करने के साथ ही जिले के विकास और अधूरे पडे प्रकल्पों को छोडकर जिले के सभी नेताओं पर बार-बार निशाना साधने का काम शुरू किया है. जिसके तहत जिला पालकमंत्री पद पर रहनेवाले विधायक प्रवीण पोटे के लिए आपकी ओर से बालक मंत्री जैसे शब्द का प्रयोग किया गया. साथ ही खुद एक महिला होने के बावजूद आप ने पूर्व पालकमंत्री यशोमति ठाकुर के प्रति बेहद अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया. आपकी यह अजीबोगरीब परंपरा अब और भी आगे बढ गई है. जिसके चलते आपने आपका और शिवसेना के पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे का दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं रहने के बावजूद उध्दव ठाकरे पर कई बार निशाना साधा. जिससे शिवसेना के प्रति आस्था रखनेवाले राज्य के हजारोें लोेगोें की भावनाएं आहत हुई. आपने भाजपा नेत्री व कोई साध्वी नहीं रहने के बावजूद हनुमान चालीसा मामले को लेकर मुंंबई में सात से आठ दिन तक अपनी ताकत व उर्जा खर्च की. किंतु यदि इसी ताकत व उर्जा को विगत लंबे समय से बंद पडी शकुंतला रेल्वे, एमआयडीसी में मंजुर मिसाईल कारखाने, चिखलदरा के प्रलंबीत स्कायवॉक, बेलोरा के विमानतल तथा मेलघाट की जल, स्वास्थ्य व शिक्षा समस्या के लिए खर्च किया जाता, तो शायद आपका कर्तृत्व व अस्तित्व कुछ अलग दिखाई देता.’
इस पत्र में पूर्व पार्षद प्रदीप बाजड ने यह भी कहा कि, ‘नवनीत ताई यदि आप जेष्ठ-श्रेष्ठ, कर्तृत्ववान व सुसंस्कृत तथा बेहद धार्मिक, विचारवंत रही होती, तो निश्चित तौर पर ऐसा करने का अधिकार भी आपको प्राप्त हुआ होता और आपकी गणना अमरावती जिले के सक्षम नेताओं में हुई होती. अब भी वक्त बचा हुआ है. ऐसे में आप ने अपने जिद्दी कर्तृत्व से अमरावती जिले के अपूर्ण प्रकल्पों को पूर्ण करने के लिए अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा को दांव पर लगाकर नवनीत कर्तृत्व करना चाहिए. ताकि जिले में विकास की अमिट छाप दिखाई दे. अब आम जनता आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से उब चुकी है. वैसे भी अभिनय यह मंच पर और फिल्मों में ही ठीक दिखाई देता है. अत: चुनाव के समय चाहे जीतना अभिनय कर लिया जाये, उसे बर्दाश्त किया जा सकता है, लेकिन जन प्रतिनिधि के तौर अपने कार्यकाल के दरम्यान अभिनय को छोडकर जिले के विकास हेतु अपने सभी राजनीतिक संबंधों का प्रयोग कर काम करना होता है. ऐसे में उम्मीद है कि, एक आदर्श जनप्रतिनिधि के तौर पर आप अमरावती जिले के सभी पूर्व जनप्रतिनिधियों की परंपरा को कायम रखेंगे और अपने साथ अपने जिले का नावालौकिक करेंगी, ऐसी अमरावती के आम नागरिकों द्वारा अपेक्षा की जा रही है.’
सांसद नवनीत राणा के नाम पूर्व पार्षद प्रदीप बाजड द्वारा लिखा गया यह पत्र इस समय अच्छा-खासा चर्चा में चल रहा है. उल्लेखनीय है कि, पूर्व पार्षद प्रदीप बाजड की गणना बेहद धीर-गंभीर नेताओं में होती है. ऐसे में सांसद नवनीत राणा के नाम उनके द्वारा लिखे गये पत्र को लोगबाग बेहद गंभीरता से ले रहे है और जिस मार्मिक तरीके से पूर्व पार्षद प्रदीप बाजड ने इस समय अमरावती जिले में चल रही राजनीति पर उंगली रखी है, उसे खासा पसंद किया जा रहा है.