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सुप्रीम कोर्ट में जीती, मगर जनता की अदालत में हारी नवनीत

भाजपा की टिकट तथा मोदी-शाह का साथ भी नहीं आया काम

अमरावती/दि.4 – जिले की निवर्तमान सांसद तथा इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रही नवनीत राणा ने यद्यपि जाति वैधता प्रमाणपत्र मामले में लंबी सुनवाई के बाद देश की सर्वोच्च अदालत से जीत हासिल की थी. जिसके चलते उन्हें भाजपा द्वारा अपना प्रत्याशी बनाया गया था और उनके प्रचार के लिए पीएम मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी अमरावती आये थे. लेकिन इसके बावजूद भी जनता की अदालत में नवनीत राणा को हार का सामना करना पडा और वे इस बार के संसदीय चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बलवंत वानखडे के हाथों पराजीत हुई.
बता दें कि, नवनीत राणा ने वर्ष 2014 में पहली बार अमरावती संसदीय सीट से लोकसभा का चुनाव लडा था. उस समय उन्हें कांग्रेस-राकांपा आघाडी की ओर से राकांपा ने अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया था. परंतु अपने पहले चुनाव में नवनीत राणा को हार का सामना करना पडा था. वहीं उन्होंने वर्ष 2019 में कांग्रेस व राकांपा के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा और उन्होंने शिवसेना प्रत्याशी एवं तत्कालीन सांसद आनंदराव अडसूल को पराजीत करते हुए चुनाव जीता था. लेकिन चुनाव जीतकर आने के बाद नवनीत राणा ने केंद्र की सत्ताधारी पीएम मोदी की नेतृत्ववाली भाजपा सरकार का समर्थन करना शुरु कर दिया था. जिसकी वजह से कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं मिल पाया था. अपने पूरे कार्यकाल के दौरान सांसद के तौर पर नवनीत राणा मोदी सरकार के साथ बनी रही. वहीं उनके पति व विधायक रवि राणा भी राज्य में भाजपा नेताओं के साथ नजदीकी साधते रहे. जिसके चलते भाजपा ने इस बार के चुनाव में नवनीत राणा को अपने स्टार प्रचार का दर्जा भी दिया था.
वहीं दूसरी ओर अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित अमरावती संसदीय क्षेत्र से दो बार लोकसभा चुनाव लडने वाली नवनीत राणा का जाति प्रमाणपत्र फर्जी रहने को लेकर तत्कालीन सांसद आनंदराव अडसूल ने नागपुर व मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और मुंबई हाईकोर्ट में नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र को खारिज कर दिया था. जिसके खिलाफ नवनीत राणा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. जहां पर करीब एक साल तक चली सुनवाई के बाद ऐन लोकसभा चुनाव के मुहाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नवनीत राणा के पक्ष में फैसला सुनाया था और इसी दौरान उन्हें भाजपा द्वारा अपना प्रत्याशी घोषित किया गया था. हालांकि उन्हें भाजपा प्रत्याशी बनाये जाने का स्थानीय भाजपा नेताओं ने काफी विरोध भी किया था. परंतु नवनीत राणा को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का वरदहस्त भी प्राप्त था. जिसके चलते भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों का विरोध बेअसर साबित हुआ. परंतु तमाम जद्दोजहद के बावजूद नवनीत राणा को जनता की अदालत मेें हार का सामना करना पडा और इस बार के चुनाव में कांंग्रेस प्रत्याशी बलवंत वानखडे ने जीत हासिल करते हुए सांसद निर्वाचित होने में सफलता प्राप्त की.

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