श्रद्धा और भक्तिमय वातावरण में श्री क्षेत्र गणोजा देवी में नवरात्रि उत्सव प्रारंभ
देवी की स्वयंभू मूर्ति के दर्शन हेतु उमड रही भीड
भातकुली/दि.18– कोल्हापुर की महालक्ष्मी का प्रति रूप रहने वाले अमरावती जिले के भातकुली तहसील के श्रीक्षेत्र गणोजा देवी मंदिर में नवरात्रि उत्सव श्रद्धा और भक्तिमय वातावरण में मनाया जा रहा है. यहां की महालक्ष्मी को श्रद्धालू करवीर निवासिनी के रूप में पूजते है. मंदिर में दर्शन के लिए अमरावती ही नहीं तो संपूर्ण महाराष्ट्र के भक्तगण दर्शन के लिए आते है. लाखों भक्तों की कुलस्वामिनी रहने वाली माता के दर्शन के लिए विदेश में बसे भक्त भी समय निकालकर दर्शन के लिए आते है. कोल्हापुर की महालक्ष्मी कुलस्वामिनी रहने वाले भक्तों को कोल्हापुर जाना संभव नहीं होने से वे गणोजा में आकर नतमस्तक होते है. भातकुली तहसील के श्री क्षेत्र गणोजा देवी के करवीर निवासिनी के रूप में प्रसिद्ध श्री क्षेत्र गणोजा देवी के महालक्ष्मी मंदिर में नवरात्रि उत्सव घटस्थापना से प्रारंभ हुआ है. इस उपलक्ष्य में देवी श्रीमद् भागवत सहित अन्य विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. तथा परिसर के गांव के भक्तगणों की ओर से अष्टमी के दिन रविवार को सुबह 6 बजे महाआरती का आयोजन किया है.
* भक्तनिवास का काम 80 प्रतिशत पूर्ण
भक्तों द्वारा दी गई दानराशि से तथा सरकार की ओर से कोई मदद न लेकर महालक्ष्मी संस्थान की ओर से 4 एकड परिसर में अशोक वाटिका भक्तनिवास इमारत का काम लगभग 80 प्रतिशत पूर्ण होकर प्रगतिपथ पर है. जलद ही भक्तों की सेवा के लिए यह भक्तनिवास तैयार होगा. यहां पर प्रशस्त डायनिंग हॉल, किचन हॉल, एकही समय 400 से 500 भक्तों के भोजन की व्यवस्था रहेगी. इसके अलावा यहां पर टू विलर, फोर विलर पार्किंग व्यवस्था तथा सुंदर गार्डन तैयार करने का मानस विश्वस्त मंडल का है. जल्द ही अशोक वाटिका भक्तनिवास का लाभ भक्तों को मिलेगा, यह जानकारी विश्वस्त मंडल के अध्यक्ष प्रभाकर केवले ने दी.
* यह है ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
कई साल पूर्व गणोजा देवी परिसर में गणू नाम का महालक्ष्मी का भक्त हर साल कोल्हापुर में महालक्ष्मी देवी के दर्शन के लिए जाते थे. वृद्ध अवस्था आने पर अब मैं इतने दूर कोल्हापुर में दर्शन के लिए नहीं आ पाउंगा, ऐसा उन्होंने महालक्ष्मी से कहा था. अपने परमभक्त की बात सुनकर महालक्ष्मी माता ने कहा कि, मैं ही तुम्हारे गांव आती हूं. लेकिन तुम्हारा गांव आने तक पीछे मुडकर नहीं देखना, यह शर्त माता ने रखी थी. गणोजा गांव के पास आने पर गणू महाराज यह जानने इच्छुक थे कि अपने पीछे महालक्ष्मी देवी सहीं में आ रही है या नहीं? उन्होंने पीछे मुडकर देखा तो साक्षात महालक्ष्मी उनके पीछे स्तब्ध हो गई और तब से यह माता महालक्ष्मी देवी इसी स्थान पर विराजमान हो गई.