महाविकास आघाडी में भी काफी हद तक हलचल
अमरावती/दि.3 – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक और मुखिया शरद पवार ने गत रोज अचानक ही पार्टी के अध्यक्ष पद से निवृत्त होने और अब भविष्य से कोई भी चुनाव नहीं लडने के अपने फैसले का ऐलान किया. यानि एक तरह से शरद पवार ने 6 दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहने के बाद अब अपने राजनीतिक संन्यास की घोषणा कर दी है. लेकिन उनके इस फैसले की वजह से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं व पदाधिकारियों सहित महाविकास आघाडी में शामिल घटक दलों के नेताओं व पदाधिकारियों मेें भी आश्चर्य का माहौल है तथा हर कोई पवार के इस फैसले को लेकर भौचक है. ऐसे में कई नेताओं व पदाधिकारियों ने बकायदा पत्र लिखकर अपने पार्टी सुप्रीमो शरद पवार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का निवेदन किया है. जिसके तहत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की महिला जिलाध्यक्ष संगीता ठाकरे ने तो पवार के फैसले से आहात होकर अपने पास से इस्तीफा देते हुए पवार से निवेदन किया है कि, वे ही पार्टी के अध्यक्ष बने रहे. वहीं दूसरी ओर महाविकास आघाडी के नेताओं द्बारा भी इस विषय को लेकर अपनी काफी स्वयंमी व संतुलित प्रतिक्रिया दी जा रही है. साथ ही शरद पवार को मौजूदा दौर की राजनीति के लिहाज से बेहद प्रासंगीक व जरुरी बताया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि, करीब 10 दिन पूर्व ही विगत 23 अप्रैल को राकांपा सुप्रीमो शरद पवार का पहले कृषि पदवीधर राज्यस्तरीय अधिवेशन के लिए अमरावती आगमन हुआ था और इस अधिवेशन में शामिल होते हुए शरद पवार ने एक तरह से अपने पार्टीजनों में नहीं जाना फुकते हुए उन्हें नवसंजीवनी देने का काम किया था. लेकिन ठीक 10 दिन बाद शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के साथ भविष्य में कोई चुनाव नहीं लडने की घोषणा करते हुए एक तरह से सक्रिय राजनीति को छोड देने का निर्णय घोषित किया है. ऐेसे में 10 दिन पहले ही अपने पार्टी सुप्रीमो से मिलकर उत्साहित जिले के राकांपा नेता पदाधिकारी व कार्यकर्ता काफी हद तक संभ्रम में दिखाई दे रहे है और भौचक है.
* हर्षवर्धन देशमुख का मौन
राकांपा नेता शरद पवार के कट्टर समर्थक रहने वाले श्री शिवाजी शिक्षा संस्था के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री हर्षवर्धन देशमुख ने पवार के इस्तीफे को लेकर मौन साध रखा है और इस विषय में किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया है. प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किए जाने पर हर्षवर्धन देशमुख ने ‘आई एम नॉट रिएक्ट’ कहते हुए बात करना टाल दिया. उल्लेखनीय हैै कि, विगत 23 अप्रैल को राज्यस्तरीय कृषि पदवीधर सम्मेलन में हर्षवर्धन देशमुख ने स्वागताध्यक्ष के तौर पर राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के समक्ष भाषण दिया था. परंतु अब शरद पवार ने राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. ऐसे में निश्चित तौर पर यह घटना हर्षवर्धन देशमुख के लिए भी काफी हद तक ‘शॉकिंग’ कही जा सकती है.
* साहेब ही रहेंगे हमारे सुप्रीमो
पवार साहब कोई भी फैसला आनन-फानन में नहीं लेते. उन्होंने हमेशा की तरह अपना यह फैसला भी बेहद सोच-विचार करते हुए और भविष्य का आकलन करते हुए लिया होगा. जिसके काफी दुरगामी परिणाम हो सकते है. यद्यपि शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है. लेकिन वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जनक व संस्थापक है. ऐसे में वे ही हमेशा पार्टी के सुप्रीमो बने रहेंगे और पार्टी में उनका फैसला भी अंतिम रहेगा.
– संजय खोडके,
प्रदेश उपाध्यक्ष, राकांपा
* फैसले पर दुबारा हो विचार
शरद पवार द्बारा पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए जाने संबंधी लिया गया फैसला पार्टी के सभी पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के लिए काफी धक्कादायक है. पार्टी के पदाधिकारी व सभी कार्यकर्ता उन्हें अपना श्रद्धास्थान और प्रेरणास्थान माना जाता है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, पार्टीजनों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए पवार साहब अपने फैसले पर दुबारा विचार करें.
– वसुधा देशमुख,
पूर्व मंत्री व राकांपा नेत्री
* सेनापति के बिना कैसे लडेंगे सैनिक
मैं वर्ष 1970 से पवार साहब के साथ काम कर रहा हुं, वे सही मायनों में जननेता है. यहीं वजह है कि, उन्हें हमेशा ही महाराष्ट्र की जनता का व्यापक समर्थन मिलता रहा और उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को पूरे राज्य में स्थापित किया. पवार साहब के फैसले से राकांपा का प्रत्येक कार्यकर्ता आहत है. ऐसे में पवार साहब को चाहिए कि, वे अपने कार्यकर्ताओं की इच्छा का मान रखते हुए अपना इस्तीफा पीछे ले. यदि सरसेनापति ही नहीं रहेगा, तो सैनिक अपनी लडाई कैसे लडेंगे.
– शरद तसरे,
पूर्व मंत्री व राकांपा नेता
* देश को साहेब के नेतृत्व की जरुरत
इस समय केवल महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश को शरद पवार के नेतृत्व की जरुरत है. साथ ही उनके बिना राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की कल्पना भी नहीं की जा सकती. यह सही है कि, ढलती उम्र में पवार साहब अब पहले की तरह दौड-भाग नहीं कर सकते, ऐेसे में उन्हें चाहिए कि, वे अपने उपर रहने वाले काम के बोझ को थोडा कम करें, लेकिन पार्टी अध्यक्ष पद पर बने रहे. सबसे खास बात यह भी है कि, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में खुद पवार साहब ही सर्वोच्च नेता है. ऐसे में उनका इस्तीफा कोई अन्य नेता स्वीकार नहीं कर सकता. ऐसे में पवार साहब ही अपनी ताउम्र हमारे अध्यक्ष व नेता बने रहेंगे.
– सुरेखा ठाकरे,
पूर्व जिप अध्यक्षा व राकांपा नेत्री
* हम हर फैसले में साहेब के साथ
पवार साहब द्बारा अपना हर फैसला काफी सोच समझकर ही लिया जाता है और हम हमेशा साहब के फैसले के साथ रहते है. निश्चित तौर पर इस बार भी साहब ने कुछ सोच समझकर ही अध्यक्ष पद छोडने का फैसला लिया होगा. ऐसे में पार्टी के सभी नेताओं, पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने उनके फैसलेे का सम्मान करना चाहिए. अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद भी शरद पवार हमेशा पार्टी के आधारस्तंभ बने रहेंगे और पार्टी में उनका महत्व यथावत रहेगा.