अमरावती

राष्ट्रसंत एवं राष्ट्रपिता के साहित्य और विचार अपनाने की आवश्यकता : बोके

राज्यस्तरीय विचार साहित्य सम्मेलन में रखे विचार, राष्ट्रधर्म युवा मंच का आयोजन

अमरावती /दि. ६- आज के युवाओं को राष्ट्रसंत व राष्ट्रपिता के विचारों को समझने के लिए उनका साहित्य और विचार अपनाने की आवश्यकता है. सभी धर्म में समन्वय, विश्वशांति का उपाय, जनसुधार विद्यालय यह राष्ट्रसंतों का धर्म है. जो सभी को लेकर चलते हुए सभी का सम्मान करता है. यही धर्म राष्ट्रसंतों को अभिप्रेत होने की बात संभाजी बिग्रेड के प्रवक्ता प्रेमकुमार बोके ने कही. शहर के शेगांव नाका परिसर में स्थित अभियंता भवन में राष्ट्रधर्म युवा मंच द्वारा दो दिवसीय राज्यस्तरीय राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विचार साहित्य सम्मेलन आयोजित किया गया. वंदनीय राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज के विचारों के प्रचार व प्रसार हेतु सम्मेलन आयोजित किया गया. सम्मेलन की अध्यक्षता आचार्य हरिभाऊ वेरूलकर ने की. सम्मेलन का उद्घाटन शनिवार को डॉ.सुभाष सावरकर के हाथोें किया गया. पहले दिन हरिभाऊ वेरूलकर का साक्षात्कार, भजन संगीत महफिल, कवि सम्मेलन हुआ. तथा दूसरे दिन रविवार को राष्ट्रसंत व राष्ट्रपिता के विचारों में समन्वय इस विषय पर बोलते हुए मराठा सेवा संघ प्रवक्ता प्रवीण देशमुख ने कहा कि, देश में राष्ट्रपिता की युवा वर्ग द्वारा आलोचना की जा रही है. यह देश के लिए सबसे दुख की बात है. इस पर हमें चिंतन करने की आवश्यकता है. राष्ट्रसंत व राष्ट्रपिता इन दोनों में वैचारिक समानता थी. दोनो हीं मानवता के हित में कार्य रहे थे. राष्ट्रसंत व राष्ट्रपिता के विचार मानव कल्याण के लिए थे. राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों को पूरी निष्ठा के साथ स्वीकारना चाहिए. कार्यक्रम में राज्यस्तरीय निबंध, चित्रकला व रंगोली स्पर्धा भी आयोजित की गई. पश्चात विविध विषयों पर परिसंवाद का आयोजन किया गया. आचार्य हरिभाऊ वेरूलकर के अमृत महोत्सवी वर्ष निमित्त विनायक सवाई को ग्रामगीता जीवन गौरव पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया तथा युवराज अढाव को विशेष कार्यकर्ता का पुरस्कार दिया गया. सप्त खंजेरी वादक प्रबोधन कार्यक्रम से साहित्य सम्मेलन का समापन किया गया.

Related Articles

Back to top button