* भारतीय महाविद्यालय में आयोजन
अमरावती / दि.३– अल्पसंख्यक महिलाओं के संदर्भ में समाज का नजरिया आज भी अलग है. अब समाज को जागरुक होकर महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका देना होगा, और उनके प्रति नजरिया बदलने की जरूरत है, इस आशय का कथन पुणे की स्तंभलेखक एवं पत्रकार डॉ. हिना कौसर खान ने किया. स्थानीय राजापेठ स्थित संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय संलग्नित भारतीय विद्या मंदिर द्वारा संचालित भारतीय महाविद्यालय में राज्यशास्त्र विभाग तथा डॉ. वी.एम. पेशवे सामाजिक शोध संस्था यवतमाल के संयुक्त तत्वावधान में अंतरविद्याशाखीय राष्ट्रीय परिषद ‘अल्पसंख्यक महिला एवं मानव अधिकार’ विषय पर राष्ट्रीय परिषद का आयोजन किया गया. इस अवसर पर वे उद्घाटक बीजभाषण में अपने विचार व्यक्त कर रही थीं. राष्ट्रीय परिषद में भारतीय महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. आराधना वैद्य की अध्यक्षता में संत गाडगेे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय मानव विद्याशाखा अधिष्ठाता मोना चिमोटे, सत्कारमूर्ति उत्तराखंड महिला आयोग उपाध्यक्ष शायरा बानो, राज्यशास्त्र प्राध्यापक परिषद, नागपुर अध्यक्ष डॉ. अल्का देशमुख, उपाध्यक्ष प्रो. छाया जाधव, सामाजिक शोध संस्था यवतमाल के डॉ. वी.एम.पेशवे आदि प्रमुखता से उपस्थित थे. डॉ. मोना चिमोटे ने कहा कि, समाज की संवेदनशीलता खत्म होती जा रही है. बिल्कीस बानो, कठुआ जैसी घटनाओं के चलते अल्पसंख्यक महिला अब अधिक असुरक्षित महसूस करने लगी है, ऐसी व्यवस्था का समूह के माध्यम से विरोध होना चाहिए. प्राचार्य डॉ. आराधना वैद्य ने कहा कि, महिलाएं चाहे कोई भी रहें, उन्हें भारतीय समाज व्यवस्था में पुरुष प्रधान संस्कृति का सामना करना पडता है. अल्पसंख्यक महिलाओं को अब भारतीय संविधान में लिखित अधिकारियों को जानने की आवश्यकता है. उन अधिकारों का आम जिंदगी में किस प्रकार इस्तेमाल कर सकते हैं, इस ओर उन्हें ध्यान देना होगा.कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रा. छाया जाधव ने रखी. राष्ट्रीय परिषद में राज्यशास्त्र विषय के अध्ययनकर्ता, शोधार्थी, प्राध्यापक, छात्र ,पत्रकारों का सहभाग रहा. परिषद को सफल बनाने मयूर गिरी, आदित्य गनथले, अभिजीत भेंडे, डॉ. राम बुटले, संदीप तुंडूरवार, डॉ. शरद सांबारे, डॉ. वकील शेख, डॉ. नागेश्वर कन्नाके समेत अन्य ने अथक प्रयास किए. संचालन डॉ. नीता कांबले व आभार डॉ. स्नेहा जोशी ने माना.
मान्यवरों के हाथों किताब का विमोचन
डॉ. संदीप तुंडूरवार, डॉ. प्रशांत विघे, डॉ. शरद सांबारे द्वारा संपादित ‘अल्पसंख्यक महिला एवं मानव अधिकार’ किताब का मान्यवरों के हाथों विमोचन किया गया. शायरा बानो को संस्था की ओर से राष्ट्रीय मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पुरस्कार स्वरुप उन्हें २५ हजार रुपए नकद, सम्मानचिह्न, शाल, श्रीफल, पौधा देकर उनका सम्मान किया गया. इस राष्ट्रीय परिषद में मुस्लिम, क्रिश्चन, जैन, सिख जैसे विविध अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं के संदर्भ में अल्पसंख्यक महिलाओं के अधिकार, देश में अल्पसंख्यक महिलाओं का मार्गक्रमण व चुनौतियां, जैसे विषयों पर विचार- मंथन किया गया.