अमरावती

सामाजिक न्याय के दायरे को व्यावहारिक स्तर पर बढ़ाने की जरूरत

कुलसचिव डॉ.तुषार देशमुख का कथन

अमरावती /दि. २६-समाजात महिलाओं और पुरुषों के अलावा ‘एलजीबीटीक्यूआयए’ जैसे विविध जेंडर आयडेंटीटी रहने वाले बड़ा समुदाय है. लेकिन अब तक समाज में उन्हें मनुष्य के रूप में स्वीकारा नहीं जाता. हमें इस स्थिति को बदलने और समाज में लैंगिक समानता को एक वास्तविकता बनाने के लिए काम करने की आवश्यकता है. आज सामाजिक न्याय के दायरे को व्यावहारिक स्तर पर बढ़ाने की जरूरत है और इसके लिए यह कार्यशाला उस द़ृष्टि से महत्वपूर्ण है, ऐसा विद्यापीठ के कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख ने कहा. विद्यापीठ के फोरम, वुमेन्स स्टडीज सेंटर और समर्पण ट्रस्ट, अमरावती के संयुक्त तत्वावधान में ‘एलजीबीटीक्यूआयए और सामाजिक न्याय’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर वे बोल रहे थे. इस अवसर पर प्रमुख अतिथि के रूप में सामाजिक न्याय व विशेष सहाय विभाग की सहायक आयुक्त माया केदार, वुमेन्स स्टडीज सेंटर संचालक डॉ. वैशाली गुडधे, समर्पण ट्रस्ट के संचालक हेमंतकुमार टोकशा उपस्थित थे.कार्यक्रम दौरान माया केदार ने कहा कि, एलजीबीटीक्यू समुदाय भी प्रतिष्ठापूर्ण जीवन जीएं इसके लिए उनके संघर्ष में एक नागरिक के रूप में हमें भी सहभागी होना चाहिए. कार्यशाला के दूसरे सत्र में हेमंतकुमार टोकशा ने ‘एलजीबीटीक्यूआयए समुदाय की देश में वर्तमान स्थिति’ इस विषय पर अपने विचार रखे. तीसरे सत्र में ‘प्रतिष्ठापूर्ण जीवन की प्राप्ति के लिए उपाय’ इस विषय पर चर्चा की गई. समापन सत्र में बतौर अध्यक्ष रजिया सुलताना उपस्थित थी. प्रस्तावना डॉ. डॉ. वैशाली गुडधे ने रखी. संचालन व आभार प्रदर्शन प्रा. भगवान फालके, डॉ. मनिषा इंगलकर, वैभव अर्मल ने किया. कार्यक्रम को सफल बनाने वुमेन्स स्टडीज सेंटर के कर्मचारी तथा समर्पण संस्था के प्रतिनिधियों ने प्रयास किए.

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