* आज विश्व स्क्रिजोफेनिया दिवस
अमरावती/दि.24- विचारों में सुसुत्रता नहीं रहने, भ्रम होने, दिमाग में संदेहों व शंकाओं का गुबार उठने तथा मन हमेशा अस्थिर रहने जैसे लक्षणों की ओर अनदेखी न करते हुए सीधे किसी तज्ञ मानसोपचार विशेषज्ञ के पास पहुंचना बेहद जरूरी होता है. अन्यथा आगे चलकर ये तमाम लक्षण गंभीर बीमारी का रूप धारण कर सकते है. यद्यपि आज मन से संबंधित रहनेवाली स्क्रिजोफेनिया नामक बीमारी पर इलाज की सुविधा उपलब्ध हो गई है, लेकिन इलाज में सातत्य बनाये रखना बेहद जरूरी रहता है.
बता दें कि, विगत दो वर्षों के दौरान कोविड संक्रमण एवं लॉकडाउन काल में स्क्रिजोफेनिया नामक मानसिक बीमारी के मरीजों की संख्या काफी अधिक बढ गई है. कोविड के लगातार बढते मरीज, लंबे समय तक चले लॉकडाउन व प्रतिबंधात्मक नियम और इस दौरान होनेवाली आर्थिक दिक्कतों के चलते पहले की तुलना में स्क्रिजोफेनिया से त्रस्त रहनेवाले मरीजों की संख्या काफी हद तक बढी है.
यद्यपि इस बीमारी की निश्चित वजहों को लेकर साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन लगातार दुखी रहने और हमेशा ही निराश रहने की वजह से इस बीमारी शुरूआत होती है और यदि इस ओर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो आगे चलकर यह बीमारी स्क्रिजोफेनिया के रूप में सामने आती है. ऐसे में इस बीमारी के लक्षण ध्यान में आते ही तुरंत किसी मानसोपचार तज्ञ से संपर्क करते हुए इसका सातत्यपूर्ण इलाज करवाया जाना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि, कोविड संक्रमण काल के दौरान समाज व्यवस्था पर काफी आर्थिक बोझ पडा. जिसकी वजह से कई मरीज अपने इलाज में सातत्य नहीं रख पाये. वहीं जो मरीज थोड बहुत प्रमाण में संभले भी, उन्हें एक बार फिर इस बीमारी का सामना करना पडा. हालांकि इन दिनों अमरावती शहर सहित जिले में मनोविकार विशेषज्ञों की संख्या पहले की तुलना में काफी हद तक बढी है, लेकिन स्क्रिजोफेनिया के मरीजों को मिलनेवाली इलाज की सुविधाएं बेहद सीमित स्वरूप में है. शहर में केवल एक या दो स्थानों पर ही मानसिक बीमारियों से पीडित मरीजोें को भरती करने की सुविधा है. इस बीमारी में दवाईयों के साथ-साथ समुपदेशन जैसे समांतर इलाज की भी जरूरत होती है और त्वरित निदान हो जाने पर करीब एक से डेढ वर्ष की कालावधि में नियमित औषधोपचार से स्क्रिजोफेनिया के मरीज को ठीक किया जा सकता है.
* स्क्रिजोफेनिया के लक्षण
खुद अपने आप से बात करना, घर अथवा घर से बाहर अलग-अलग आकृतियां दिखाई देना, असंबध्द और बेसिरपैर की बातें करना, निष्क्रियता, विचारों में सुसुत्रता का अभाव, कोई भावनात्मक प्रतिसाद नहीं देना, आदि को स्क्रिजोफेनिया के प्रमुख लक्षण कहा जा सकता है.
* स्क्रिजोफेनिया यह बेहद गंभीर स्वरूप की मानसिक बीमारी है. जिसके इलाज में काफी लंबा समय लगता है. इस बीमारी का सामना करनेवाले मरीज को दवाईयों के साथ ही समानांतर उपचार भी देना पडता है. साथ ही परिवार के समुपदेशन का काफी महत्व होता है. यदि अगले दो वर्षों के दौरान प्राथमिक स्तर पर ही इस बीमारी का डिटेक्ट करने के प्रयास किये जाते है, तो आगे चलकर होनेवाली कई दिक्कतोें को रोकने में सहायता मिल सकती है.
– डॉ. पंकज वसाडकर
मानसोपचार विशेषज्ञ