अभी उपेक्षा, कल दुलारेंगे महिलाओं को टिकट देने में प्रमुख दल अनुत्सुक
आधी आबादी के वोट चाहिए, उम्मीदवारी नहीं देते
* नारी शक्ति के नेतृत्व की अनदेखी
अमरावती/ दि. 28 – 20 नवंबर को होने जा रहे राज्य विधानसभा के चुनाव अत्यंत रोचक होने की जानकारी इस क्षेत्र के विशेषज्ञ कर रहे हैं. किंतु लाडली बहना प्रमुख राजनीतिक पार्टियों से नाराज दिखाई पड रही है. उम्मीदवारी दाखिल करने का कल 29 अक्तूबर को आखरी दिन रहने और अधिकांश सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा हो जाने के बाद आधी आबादी को विशेष प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से उनमें नाराजगी का स्वर हैं. उनका अमरावती मंडल से चर्चा में कहना रहा कि आज उपेक्षा करनेवाले राजनीतिक पार्टियां कल आरक्षण व्यवस्था लागू होने पर मातृशक्ति के सामने उम्मीदवारी लेेने चिरौरी करते नजर आयेंगे. उल्लेखलनीय है कि संसद ने राज्य विधानसभाओं और लोकसभा ममें महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने का विधेयक पारित कर दिया है. 2025 के बाद होनेवाले चुनाव में यह आरक्षण व्यवस्था लागू होगी.
* दो महिलाओं को दलों की उम्मीदवारी
जिले में अब तक केवल कांग्रेस और राकांपा अजीत पवार ने महिला नेतृत्व को अवसर दिया है. तिवसा से यशोेमती ठाकुर चौथी बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं. वहीं सुलभा खोडके घडी निशानी लेकर अमरावती से रण में हैं. जिले में विधानसभा के 8 आसन हैं. किंतु भाजपा सहित प्रमुख दलों को अन्य स्थानों पर महिला नेताओं को अवसर नहीं देते आया. महायुति में भाजपा के पास चार-पांच स्थान रहे. उसके पास टिकटार्थियों में महिलाओं का समावेश था. किंतु बीजेपी में लाडली बहना को अवसर नहीं दिया. संभाग में एकमात्र श्वेता महाले को बुलढाणा जिले में उम्मीदवारी दी गई है.
* आरक्षण लागू हुआ तो
आरक्षण व्यवस्था 2026 से लागू होने की संभावना बताई जा रही है. जिससे 33 प्रतिशत अर्थात जिले में 2 से 3 सीटे केवल महिलाएं लड सकेंगी. वहीं संभाग की 30 सीटों में से 10 स्थान ऐसे होंगे. जहां पुरूष वर्ग मैदान से दूर होंगे. तब राजनीतिक पार्टीयां सक्षम महिला नेतृत्व को चुनाव लडने के लिए राजी करेगी. इस प्रकार का सीन होने का दावा जानकारों ने किया है.
* मनपा में लागू है आरक्षण
उल्लेखनीय है कि महिला वोटर्स की संख्या लगभग आधी है. ऐसे में आधी आबादी को स्थानीय निकायों में आरक्षण दिया गया है. 50 प्रतिशत स्थान पालिका, महापालिका और जिला परिषद में महिलाओं के लिए आरक्षित हैं. निकायों के चुनाव के समय प्रभावी छवि वाली महिलाओं के पीछे राजनीतिक दलों द्बारा टिकट के लिए गुहार लगाने का दृश्य देखा जा चुका है. ऐसे में लाडली बहना सवाल कर रही है कि सियासी पार्टिया आरक्षण का कानून बनने तक क्या बहनों की उपेक्षा जारी रखेगी ? यही दल जब आरक्षण व्यवस्था लागू होगी तो महिलाओं को विधानसभा की उम्मीदवारी के लिए उनके पीछे पडेगी. आज तो स्थिति महिलाओं की घोर उपेक्षा की नजर आ रही है. पिछली बार भी 288 की राज्य विधानसभा में मुश्किल से 24 महिलाएं पहुंची थी. इस बार भी काफी कुछ वैसा ही चित्र रहने की संभावना बताई जा रही. अमरावती की बात करें तो गिनती की महिलाएं विधानसभा के रण में इस बार उतर रही है. जबकि सभी प्रमुख दलों में महिला आघाडी और महिला सेल अलग से गठित हैं. उनके पदाधिकारी भी अलग से घोषित हो रखे हैं. टिकट अर्थात उम्मीदवारी की बात आती है तो विनिंग मेरिट और न जाने क्या- क्या नाम से महिला नेतृत्व दरकिनार कर दिया जाता है.