अमरावती जिला प्रशासन की लापरवाही!
छिपाये जा रहे हैं कोरोना संक्रमितों के आंकडे, कल एक मृत्यु भी हुई
* सुपर कोविड अस्पताल में रोजाना चल रहा संक्रमितों पर इलाज
* प्रशासन कर रहा कोविड अस्पताल के पूरी तरह खाली रहने का दावा
* मीडिया को नहीं दी जा रही सही जानकारी, कोविड अस्पताल भी बंद करने पर विचार
अमरावती/दि.9– विगत एक माह से स्थानीय जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड संक्रमितों की संख्या को लेकर दी जा रही जानकारी को देखते हुए माना जा रहा है कि, अब कोविड संक्रमण की तीसरी लहर लगभग खत्म हो गई है. साथ ही जिला प्रशासन ने कोविड प्रतिबंधात्मक नियमों को भी पूरी तरह से शिथिल कर दिया है. जिसके चलते लोगबाग अब इस संक्रामक महामारी को लेकर काफी हद तक बेफ्रिक व लापरवाह भी हो गये है. लेकिन बेहद विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन व स्वास्थ्य महकमे द्वारा दिये जानेवाले आंकडे एवं इस संदर्भ में किये जानेवाले दावे काफी हद तक झूठ है. क्योंकि विगत एक माह के दौरान ऐसा एक भी दिन नहीं रहा, जब कोविड अस्पताल में कम से कम दो से तीन कोविड संक्रमित मरीज भरती न रहे हो. साथ ही ताजा जानकारी यह भी है कि, गत रोज अमरावती शहर से वास्ता रखनेवाले 50 से 52 वर्षीय पुरूष की सरकारी कोविड अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई है. वहीं इस समय एक संक्रमित मरीज की स्थिति गंभीर रहने के चलते उसे वेंटिलेटर पर भी रखा गया है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, आखिर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य महकमे द्वारा कोविड संक्रमण को लेकर झूठे आंकडे और गलत जानकारियां क्योें पेश किये जा रहे है.
बता दें कि, विगत एक माह से जिला प्रशासन व स्वास्थ्य महकमे द्वारा कोविड संक्रमितों की संख्या को लेकर रोजाना दिये जानेवाले आंकडों को ‘नील’ बताते हुए यह भी कहा जा रहा है कि, इन दिनों कभी-कभार के इक्का-दुक्का संक्रमित मिल रहे है. उनमें संक्रमण के लक्षण सौम्य रहने के चलते उन्हें होम आयसोलेशन में रखा जा रहा है, तथा विगत करीब 15-20 दिन से सुपर स्पेशालीटी अस्पताल के फेज-2 में बनाये गये सरकारी कोविड हॉस्पिटल पूरी तरह से खाली पडा है. साथ ही चूंकि अब कोविड अस्पताल में कोई मरीज ही भरती नहीं है और संक्रमण केे लक्षण भी काफी सौम्य हो चले है, तो संक्रमण की वजह से किसी भी मरीज की मौत होने का सवाल ही नहीं उठता. सबसे खास बात यह भी है कि, पिछले तीन-चार दिनों के दौरान जिला प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराये गये आंकडों पर यदि यकीन किया जाये, तो 7 व 8 अप्रैल को कुल 3 संक्रमित मरीज अमरावती जिले में पाये गये. वहीं 7 अप्रैल तक जिला प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक कोविड अस्पताल में कोई संक्रमित भरती नहीं था और 8 अप्रैल को संक्रमित पाये गये दो मरीजों को कोविड अस्पताल में भरती दिखाया गया है. यानी इस समय कोविड अस्पताल में केवल दो मरीज ही भरती होने चाहिए, लेकिन हकीकत यह है कि, इस समय यहां करीब 3 से 4 संक्रमित मरीज भरती है. वहीं जिला प्रशासन व स्वास्थ्य महकमे द्वारा संक्रमितों में संक्रमण के लक्षण काफी सौम्य रहने के दावे भी किये जा रहे है, लेकिन हमें मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक इस समय कोविड अस्पताल में 1 मरीज की स्थिति काफी हद तक गंभीर है. जिसे वेंटिलेटर पर रखा गया है.
* मौत की जानकारी भी छिपाई प्रशासन ने
पता चला है कि, अमरावती शहर में रहनेवाले एक कोविड संक्रमित मरीज को स्थानीय पीडीएमसी अस्पताल में भरती कराया गया था. जहां पर उसमें कोविड सदृष्य लक्षण दिखाई देने पर उसे कोविड अस्पताल में रेफर किया गया था, लेकिन 7 अप्रैल को इस संक्रमित की मौत हो गई. जिसके पार्थिव पर कल शुक्रवार 8 अप्रैल को स्थानीय हिंदू मोक्षधाम में अंतिम संस्कार किये गये. किंतु 7 व 8 अप्रैल को जिला प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी और आंकडों में इस मौत का कोई उल्लेख ही नहीं है. ऐसे में यह सवाल इतना बेहद लाजमी है कि, क्या अब जिला प्रशासन व स्वास्थ्य महकमे द्वारा कोविड संक्रमितों की संख्या और मौतों को छिपाने का काम किया जा रहा है, ताकि प्रतिबंधों को जल्द से जल्द शिथिल किया जा सके.
* कोविड अस्पताल को बंद करने पर चल रहा विचार
स्वास्थ्य महकमे से जुडे एक बेहद विश्वसनीय सूत्र ने बताया कि, जब से डॉ. श्यामसुंदर निकम जिला शल्यचिकित्सक पद से सेवानिवृत्त हुए है और इस पद का अतिरिक्त प्रभार मेडिकल ऑफिसर के तौर पर कार्यरत रहनेवाले डॉ. प्रमोद नरवने के पास आया है, तब से सुपर स्पेशालीटी के फेज-2 में चल रहे कोविड अस्पताल को बंद करते हुए यहां पर काम करनेवाले चिकित्सा अधिकारियों को फेज-1 तथा इर्विन अस्पताल में भेजने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि कोविड अस्पताल की आस्थापना पर होनेवाले खर्च को कम व खत्म किया जा सके. सवाल उठता है कि, क्या महज केवल इसी एक वजह के चलते कोविड संक्रमितों के गलत आंकडे दिखाये जा रहे है और गत रोज कोविड से हुई मौत के मामले को छिपाया गया है.
* खतरा टला नहीं है, नागपुर में बढने लगी है संक्रमितों की संख्या
उल्लेखनीय है कि, कोविड संक्रमण की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर काफी अधिक घातक थी और इसके बाद कोरोना के नये ओमिक्रॉन वेरियंट को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि, तीसरी लहर और भी अधिक भयावह हो सकती है. किंतु विगत एक वर्ष से चल रहे टीकाकरण के चलते दावा किया गया कि, तीसरी लहर का कोई असर नहीं हुआ और संक्रमण के लक्षण बेहद कम रहे. साथ ही अब संक्रमण की तीसरी लहर खत्म होने का दावा करते हुए यह आशंका भी जताई जा रही है कि, संभवत: जून माह में संक्रमण की चौथी लहर आ सकती है. यानी खतरा अब भी टला नहीं है और इलाज के लिए चाक-चौबंद चिकित्सा संबंधी व्यवस्थाओं का प्रबंध रहना जरूरी है. यहां इस तथ्य की अनदेखी भी नहीं की जा सकती कि, विगत कुछ दिनों से नागपुर में एक बार फिर संक्रमितों की संख्या धीरे-धीरे बढने लगी है. वहीं इस बात को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि, अमरावती में अब पहले की तुलना में कोविड टेस्टिंग का प्रमाण काफी अधिक घट गया है. जिसकी वजह से अनुपातिक तौर पर संक्रमितों की संख्या कम दिखाई दे रही है. वहीं दूसरी ओर अब यह तथ्य भी सामने आया है कि, जिला प्रशासन व स्वास्थ्य महकमे द्वारा अमरावती जिले में सबकुछ ‘ऑल वेल’ दिखाने के लिए संक्रमितों की संख्या व स्थिति को लेकर गलत जानकारी दी जा रही है. जिसके तहत विगत करीब 15 दिनों से कोविड अस्पताल को पूरी तरह खाली बताते हुए सौम्य लक्षणवाले संक्रमितों को होम आयसोलेशन में रखे जाने की बात कही जा रही है, लेकिन हकीकत यह है कि, विगत एक माह के दौरान कोविड अस्पताल कभी भी पूरी तरह से खाली नहीं रहा और यहां पर रोजाना कम से कम 3 से 4 मरीज भरती रहे. वहीं इस समय एक मरीज की स्थिति गंभीर रहने के चलते उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है. साथ ही दो दिन पूर्व 7 अप्रैल को कोविड अस्पताल में एक संक्रमित की मौत हुई. जिसके बारे में जिला प्रशासन द्वारा अब तक कोई जानकारी नहीं दी गई है.
* जिलाधीश पवनीत कौर ने बना रखी है मीडिया से दूरी
– प्रभारी सीएस डॉ. नरवणे भी ‘नॉट रिचेबल’
विशेष उल्लेखनीय है कि, जहां कोविड संक्रमण की पहली व दूसरी लहर के दौरान प्रशासनिक स्तर पर काफी गहमागहमीवाला माहौल था और प्रशासन को कई तरह की चुनौतियों से निपटना पड रहा था, उस आपाधापीवाले दौर में भी तत्कालीन जिलाधीश शैलेश नवाल मीडिया के साथ नियमित तौर पर संवाद साधा करते थे और किसी भी मीडिया कर्मी द्वारा फोन करने पर उसका जवाब जरूर देते थे. किंतु मौजूदा जिलाधीश पवनीत कौर ने मानो मीडिया से एक तरह की दूरी बना रखी है और जिलाधीश पवनीत कौर द्वारा मीडिया कर्मियों का फोन तक रिसिव नहीं किया जाता. यहां तक की उनके वॉटसऍप नंबर पर संदेश भेजने के बाद जिलाधीश पवनीत कौर उस नंबर को ब्लॉक भी कर देती है. यानी प्रशासन द्वारा किये जा रहे कामों को लेकर जानकारी एवं प्रतिक्रिया प्राप्त करने का फिलहाल कोई रास्ता उपलब्ध नहीं है. इसी तरह जिला शल्य चिकित्सक का अतिरिक्त प्रभार रखनेवाले डॉ. प्रमोद नरवणे का फोन भी अधिकांश समय ‘आउट ऑफ कवरेज’ या ‘नॉट रिचेबल’ रहता है. जिसके चलते सरकारी अस्पतालों में चल रहे कामों के संदर्भ में जानकारी व प्रतिक्रिया प्राप्त करने हेतु उनसे भी कोई संपर्क करने का जरिया उपलब्ध नहीं है. यानी कुल मिलाकर मामला ‘भगवान भरोसे’ वाला कहा जा सकता है.