अमरावती

न सॉकेट न पिन, फिर भी जेल में मोबाइल होता है चार्ज

ट्यूब लाईट की तार से जोडा जाता है मोबाइल चार्जर के तार को

अमरावती/दि.22 – जेल में मोबाइल के प्रयोग पर प्रतिबंध रहने के बावजूद कई बार कैदियों की बैरक में मोबाइल बरामद होते है. सबसे आश्चर्यजनक बात यह होती है बैरक में मोबाइल की चार्जिंग के लिए न तो सॉकेट होता है और न ही चार्जिंग की पिन, लेकिन इसके बावजूद कैदियों द्बारा अपने मोबाइल की बैटरी को बैरक में होते हुए ही चार्ज किया जाता है. जिसके लिए कैदियों ने बेहद अफलातुन तरीका खोज निकाला है. जिसके तहत बैरक में लगी ट्यूब लाईट की वायर को कट मारकर उससे दूसरे वायर को जोडते हुए उसके साथ मोबाइल चार्जर के तार को जोडा जाता है. हालांकि कट मारे गए वायर के संपर्क में आने पर किसी को भी बिजली का झटका लगने का खतरा रहता है. इस तरह का मामला हाल ही में पुणे की येरवडा जेल से उजागर हुआ है. जिसके बाद राज्य की सभी जेलों में इसे लेकर जांच-पडताल करनी शुुरु कर दी गई है.
जानकारी के मुताबिक पुणे की येरवडा जेल मेें बंद रहने वाले अश्विन आनंदराव चव्हाण नामक कैदी की बैरक से शुक्रवार की सुबह गश्त लगाते समय जेल वार्डन को एक मोबाइल फोन बरामद हुआ. जिसके बाद वार्डन ने इसकी जानकारी जेल अधीक्षक राणी भोसले का ेदी. पश्चात मामले की जांच पडताल करने पर पता चला कि, उक्त कैदी द्बारा अपने पास चोर-छीपे मोबाइल फोन रखने के साथ ही मोबाइल फोन की चार्जिंग के लिए बिना सॉकेट व बिना पिन का इस्तेमाल किए एक बेहद ही अनूठा तरीका उपयोग में लाया जा रहा था.
उल्लेखनीय है कि, येरवडा जेल में इससे पहले मोबाइल जैमर लगाया गया था. लेकिन इससे बडे पैमाने पर रेडिएशन होता है और इसकी वजह से कैदियों को तकलीफ हो सकती है. ऐसी शिकायत मानवाधिकार आयोग के पास पहुंची थी. इसके बाद जैमर की फ्रिक्वेन्सी को कम करने हेतु कहा गया था. वहीं येरवडा जेल परिसर में कई बडे पेड व झाडियां भी है. इनकी वजह से दिक्कत पैदा होकर मोबाइल जैमर बंद पड जाता है. इस बात का फायदा उठाते हुए जेल में बंद रहने वाले कई कैदी चोरी-छीपे तरीके से मोबाइल का प्रयोग करते है और मोबाइल की बैटरी चार्ज करने के लिए ट्यूब लाईट की तार के साथ मोबाइल चार्जर की तार को जोडा जाता है.

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