अमरावती-दि.12 नेपच्युन ग्रह आगामी 16 सितंबर को पृथ्वी के सबसे करीब आएगा. इसे खगोलीय भाषा में प्रतियुती कहते हैं. इतना ही नहीं तो यह ग्रह सूर्य के भी करीब आने वाला है. प्रतियुती दरमियान ग्रहों का अंतर पृथ्वी से हमेशा की तुलना में कम होता है. जिसके चलते खगोल शास्त्रज्ञ इस ग्रह का निरीक्षण उचित तरीके से कर सकते हैं. नेपच्युन ग्रह यह 16 तारीख को पृथ्वी के करीब आने के कारण शहर के खगोल प्रेमी व शास्त्रज्ञों में उत्सुकता बढ़ी है. इस कालावधि में विद्यार्थियों को भी इस ग्रह के दर्शन कराने का मानस कुछ खगोल प्रेमियों का है.
सूर्य को एक प्रदक्षिणा पूरी करने के लिए नेपच्युन ग्रह को 165 वर्ष लगते हैं. वहीं यह ग्रह 16 घंटे स्वयं के चारों तरफ प्रदक्षिणा पूरी करता है. इस ग्रह की खोजबीन 13 सितंबर 1846 को जर्मन खगोलशास्त्री गॅले एवं लवेरिया नामक वैज्ञानिकों ने की थी. नेपच्युन इस ग्रह को 13 चंद्र होकर यहां का वातावरण मिथेन वायु होने के कारण वह निले रंग का दिखाई देता है. इस ग्रह का व्यास 48,600 कि.मी. है.
सालभर में कोई न कोई ग्रह पृथ्वी के करीब आता है, लेकिन कुछ ग्रह काफी कालावधि के पश्चात पृथ्वी के करीब आते हैं. जिसके चलते ऐसी घटनाओं को दुर्मिल घटना माना जाता है. कभी युती-प्रतियुती भी होती है. यह घटना खगोल प्रेमियों सहित विद्यार्थियों को ज्ञानवर्धन के लिए उपयोगी साबित होती है.
* आसमान में दिखाई देगा रातभर
बदरिला मौसम नहीं रहा तो 16 सितंबर को रातभर फीके नीले रंग के नेपच्युन ग्रह को दुर्बिन के माध्यम से देखा जा सकेगा. यह ग्रह आसमान में बिंदी की तरह छोटा दिखाई देने के कारण उसे खुली आंखों से नहीं देखा जा सकेगा. लेकिन हमेशा की तुलना में पृथ्वी के करीब आने के कारण दुर्बिन से इसका निरीक्षण किया जा सकेगा. यह जानकारी मराठी विज्ञान परिषद के अध्यक्ष प्रवीण गुल्हाने व हौशी खगोल शास्त्रज्ञ विजय गिरुलकर ने दी है.