अमरावती

जिले में न्युमोनिया, अतिसार से 44 बालकों की मृत्यु

कम वजन से मेलघाट में सर्वाधिक मौतें

*1 जनवरी से मिशन 28 मेलघाट में चलाया जा रहा
अमरावती/दि.25-जिले में जनवरी से दिसंबर 2021 दरमियान न्युमोनिया व अतिसार के 44 बालकों की मृत्यु हुई है, वहीं कम वजन के कारण मेलघाट में 106 बालकों की मृत्यु हुई. इनमें 64 पुरुष व 42 स्त्री जाति के नवजातों का समावेश है.
0 से 28 दिनों की कालावधि नवजात शिशुओं के लिए अत्यंत जोखिमभरी होती है. शिशु को अति सुरक्षित रखना आवश्यक होता है. लेकिन आदिवासी बहुल भागों में अनेक समस्याओं का सामना करने वाली आदिवासी माताओं को अपने शिशु की विशेष रुप से दखल लेना आवश्यक हो गया है. न्युमोनिया से वर्षभर में 23 लड़के व 19 लड़कियों की एवं अतिसार से 2 लड़कियों की मृत्यु हई है. वहीं कम वजन के कारण 64 लड़के व 42 लड़कियां, जंतु संसर्ग से 42 लड़के व 21 लड़कियां, जन्मतः श्वसनरोध से 38 लड़के व 19 लड़कियां, जन्मजात तकलीफ से 31 लड़के, 24 लड़कियां, जख्म, दुर्घटना से 5 लड़के व 3 लड़कियां, पानी में डूबने से तीन लड़कियां, कुछ काटने से या विषबाधा स 7 लड़के व 8 लड़कियां, आकस्मिक मृत्यु 3 लड़के व 3 लड़कियां, मेंदू ज्वर से 2 लड़के व 2 लड़कियां वहीं अन्य बीमारी से 89 लड़के व 76 लड़कियों की मृत्यु की आकड़ेवारी जिला स्वास्थ्य कार्यालय से प्राप्त हुई है. इनमें 340 लड़के व 247 ऐसे 587 नवजात बालकों की मृत्यु होने की जानकारी जिला स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त हुई है.

क्या है कारण?
कम वजन होना, प्रसूति दरमियान महिला का ब्लडप्रेशर बढ़ने पर, कम दिनों का शिशु होने पर उसकी उचित वृद्धि न होने से बालक की मृत्यु होने की संभावना अधिक होती है. आदिवासी भागों में दायी व आशा मार्फत प्रसूत माता की तबियत के बारे में जानकारी ली जाती है.

तुलना में लड़कों की मृत्यु अधिक
जनवरी से दिसंबर 2021 दरमियान नवजात बालकों की हुई मृत्यु संख्या में 340 लड़के व 247 लड़कियों का समावेश है. इस पर से लड़कियों की तुलना में लड़कों की मृत्यु संख्या 93 से अधिक है.

गर्भवती की ओर दे ध्यान
गर्भवती महिला को गर्भावस्था में उचित आहार देना अत्यंत महत्वपूर्ण है. वहीं केल्शियम एवं लोहयुक्त गोलियां नियमित देना आवश्यक है. रिश्तेदारों को गर्भवती का ध्यान रखना ही चाहिए.यह जानकारी जिला स्त्री अस्पताल की अधीक्षिका विद्या वाठोडकर ने दी.

मेलघाट में कम वजन वाले बालकों के जन्म का प्रमाण अधिक है.इसलिए व दुर्लक्ष किए जाने से शिशु पर मृत्यु का संकट आने की संभावना रहती है. इसे टालने के लिए 1 जनवरी से मिशन 28 मेलघाट में चलाया जा रहा है.
– डॉ. दिलीप रणमले, जिला स्वास्थ्य अधिकारी

टीका समय पर दिया क्या?
प्रेगनन्सी के दिनों में तीन महीने तक गर्भवती माता को किसी भी प्रकार की दवा नहीं दी जाती. लेकिन इसके बाद कोरोना प्रतिबंधात्मक टीका दिया जा सकता है. इसलिए प्रत्येक प्रसूता को सम पर टीका लेने के लिए गांव में आशा व अंगणवाड़ी सेविकाओं मार्फत सुझाव दिया जाता है.

लड़के 340
लड़कियां 247
कुल 587

लड़कियों की तुलना में लड़कों की मृत्यु अधिक                                                                                                                जनवरी 19 14
फरवरी 12 8
मार्च 22 15
अप्रैल 31 19
मई 18 19
जून 28 12
जुलाई 24 27
अगस्त 40 30
सितंबर 46 38
अक्तूबर 35 27
नवंबर 30 16
दिसंबर 35 22

Related Articles

Back to top button