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जीवन में कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा, लेकिन ईशकृपा से सभी ग्रंथ कंठस्थ

अपने आप में ही एक बडा चमत्कार है स्वामी रामराजेश्वराचार्य महाराज

अमरावती/ दि.14 – इन दिनों कौंडण्यपुर स्थित श्री रूक्मिणी विदर्भपीठ के पीठाधीश्वर अनंतश्री विभूषित जगतगुरू रामानंदाचार्य स्वामी रामराजेश्वराचार्य महाराज काफी चर्चा में है और उन्हें लेकर जिले के आम धर्मशील नागरिकों में काफी जिज्ञासा भी है. यूं तो माउली सरकार के रूप में विख्यात रामराजेश्वराचार्य महाराज के संपर्क में आनेवाले सभी लोग यह मानते है कि, उनके पास अलौकिक व चमत्कारिक शक्ति है. ऐसा मानने की सबसे बडी वजह यह भी है कि, स्वामीजी बचपन से आज तक कभी स्कूल नहीं गए और उन्हें किसी शिक्षक से घर बैठे शिक्षा ग्रहण करने का भी अवसर नहीं मिला. उनका किताबों व पाठ्य पुस्तकों से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं रहा. लेकिन फिर भी उनके पास हर क्षेत्र का गहन अध्ययन व गुढ ज्ञान है. साथ ही उन्हेें लगभग सभी धर्मग्रंथ कंठस्थ है. इसे अपने आप में एक बडा चमत्कार माना जा सकता है.
बता दें कि, हाल ही में जगतगुरू रामराजेश्वराचार्य महाराज का जन्मोत्सव श्री क्षेत्र कौंडण्यपुर में बडे भक्तिभाव के साथ मनाया गया. इस अवसर पर कौंडण्यपुर में तरोडा मार्ग पर स्थित रुक्मिणी विदर्भ पीठ के विशाल भक्तिमय प्रांगण में 12 दिसंबर तक आयोजन रुक्मिणी महोत्सव व श्रीमद भागवत कथा सप्ताह दौरान स्वामी रामराजेश्वराचार्य माउली के प्रवचन सुनने के लिए इन दिनों विदर्भ के दूर-दराजों से भक्त उमडे. साथ ही 12 दिसंबर की शाम तक अमरावती जिले के कौंडण्यपुर में ही रहनेवाले माउली सरकार 13 दिसंबर को वाराणसी में आयोजीत काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजीत समारोह में सबसे अग्रीम पंक्ति में बैठे दिखाई दिये. जिससे उनके कद का सहज अनुमान लगाया जा सकता है.

विचारशक्ति से युवाशक्ति की प्रगती होना संभव

विगत 12 दिसंबर तक कौंडण्यपुर में आयोजीत जन्मोत्सव महोत्सव के दौरान दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए आडंबर से दूर रहने वाले माउली सरकार ने कहा कि, संस्कृति शब्द का यह अर्थ सुविचार की कृति अलंकारिता होती है और अलंकार से परिपूर्ण व्यक्तित्व में यह कृति सौजन्यता व अमल में आती है, तो इसे सुसभ्य व्यक्ति कहा जाता है. आज के युवाओं के जीवन में प्रवचन की नितांत आवश्यकता है. प्र यानी प्रकाश, व यानी वारं-वारं, च यानी चालना-प्रेरणा व न यानी नूतनता. अच्छे विचार का व्यायाम-आयाम किया, तो निश्चित ही सदविचार से युवा शक्ति की प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा. प्रपोगंडा आज की बात नहीं है. 21वीं सदी में भी यही प्रपोगंडा चल रहा है. विचार-अविचार का आदान-प्रदान, धर्मवृत्ति, महावृत्ति, सभ्यता वृत्ति पर प्रहार करने एक वर्ग का यह काम है. यह वर्ग किसी व्यक्ति विशेष अथवा समाजिक घटक का नहीं होता. यह एक वृत्ति होती है. जो चिंतन-मंथन पर प्रहार करती रहती है. पूर्व कालीन हमारी शिक्षा व्यवस्था की आज नितांत आवश्यकता हो गई है. मेरे दृष्टिकोण से आज लोग शिक्षित तो है, लेकिन सुशिक्षित नहीं.
इस विशेष बातचीत में माउली सरकार ने कहा कि आज समाज में अर्थ, धर्म, कर्म प्रत्येक युवाओं अथवा व्यक्ति की शिक्षा प्राप्त करने की भूमिका केवल मात्र है. वित्त कमाने कर्म कर रहे है. ऐसे कर्म को कोई अर्थ नहीं है. जब तक समाज व राष्ट्र के लिए शिक्षा का उपयोग नहीं होगा, तब तक सही मायने में हम सुशिक्षित नहीं कहलाएंगे. सरकार को शिक्षा नीति में बदलाव करना चाहिए. आज एक बच्चे को बस्ते का जितना बोझ उठाना पड रहा है, उससे कहीं अधिक भार शिक्षा का हो गया है. शिक्षा को अर्थार्जन करने के लिए प्रमोट किया जा रहा है. शिक्षा यह व्यवहार नहीं है. जिस तरह मानव शरीर में प्राणों की आवश्यकता है, उसी तरह सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा-दीक्षा की जरुरत होती है. जिस शिक्षा में आर्थिक मापदंड लगता है, वहां उपेक्षा होती है. ऐसी शिक्षा समाज को सुसभ्यता व संस्कृति के लिए आधार नहीं हो सकती, इसलिए आज की शिक्षा व्यवस्था उपेक्षित है. ऐसा भी माउली सरकार द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया.

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