अमरावती

कुए में कभी तैरा नहीं लेकिन मासूम को बचाने नहीं था कोई पर्याय

मनीष मानकर ने कथन की आपबीती

अमरावती/दि.15 – शाम पौने सात बजे थे. केवल ऑफिस से घर पहुंचा था और पानी पी रहा था, उसी समय बडा बेटा आर्यन (10) दौडते हुए घर में आया और कहने लगा कि मनस्व खेलते समय बॉल के पीछे कुए के पास गया था. किंतु अब वह बाहर नहीं दिख रहा. यह सुनते ही दौडते हुए जिने से नीचे उतरा और कुए के पास पहुंचा. पानी कितना गहरा है यह देखा तो अंधेरे के अलावा कुछ भी नहीं था. किंतु विचार करने के लिए समय नहीं था. क्योंकि बचे के जान का प्रश्न था. कभी कुए में तैरा नहीं, कुआ कितना गहरा है उसकी गहराई की कभी कल्पना भी नहीं थी और कुए में छलांग लगा दी. उसके बाद बेटे को बाहर निकाला, यह आपबीती मनीष मानकर ने बताई. उनके व्दारा कथन किया गया यह प्रसंग सुनते हुए घटना के तकरीबन 20 घंटे बाद भी शरीर पर रौंगटे खडे होते है.
मनस्व मनीष मानकर यह केवल 4 वर्ष का मासूम अपार्टमेंट के नीचे बडे भाई आर्यन के साथ खेल रहा था. खेलते खेलते बॉल अपार्टमेंट के भितर ही रहने वाले कुएं में गया. इस बॉल के पीछे मनस्व दौड रहा था. यह कुआ पूरी तरह से जमीन लेवल था, वैसे कुए पर ढक्कन है, लेकिन शनिवार को वह खुला था. दौडते दौडते मनस्व बॉल के पीछे सीधे कुए में जा गिरा. इस समय मनस्व के बडे भाई आर्यन को यह बात निदर्शन में आयी. उसने एक क्षण की भी देरी न करते हुए सीधे घर पहुंचा. उसके पिता मनीष केवल ऑफिस से घर पहुंचे थे. उसने बताया कि मनस्व बॉल के पीछे गया और कुए में गिर पडा. यह सुनते ही मनीष मानकर व उनके पीछे मनस्व की मां दौडते ही नीचे उतरी. कुआ काफी छोटा, उसकी चौडाई लगभग 2 फीट और 3 फीट लंबा इतना ही मुह खुला था. मनीष ने उपर से कुए में झाककर देखा, लेकिन मनस्वी की आवाज नहीं आ रही थी, पानी पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था. 15 से 20 वर्ष पहले तैरा था, उसके बाद कुए में कभी तैरने का मौका नहीं मिला. कुए में तैरने का अनुभव ही नहीं था. किंतु अब दूसरा पर्याय नहीं था. जिससे कुए में पानी कितना गहरा है, उसमें एंगल है या नहीं, यह न देखते हुए सीधे कुए में छलांग लगाई. तकरीबन 30 फीट गहराई पर पानी था. पानी पर गया, लेकिन वहा मनस्व नहीं दिखा. कुए में उसे तलाशा और लगभग बच्चे को लेकर 20 मीनट पानी पर पैर स्ट्रेचिंग करते रहा.

मानकर की कमर को लगा मार

मनस्व गिरने के बाद कुए में एंगल है या और कुछ यह पता भी नहीं था. उन्होेंने तत्काल छलांग लगाई. छलांग मारते ही कुए में तकरीबन 20 फीट गहराई पर आडा रहने वाला एंगल उनकी कमर को जोरदार लगा. किंतु उन्होंने हिम्मत नहीं छोडी. जहां लगा उस ओर दुर्लक्ष कर मनस्व को पानी से बाहर निकाला किंतु मनीष को इस एंगल से ओर शरीर के अन्य भी हिस्से में लगी चोट से काफी दर्द हो रहा था.

मनस्व को बचाने आर्यन का बडा हिस्सा

मनस्व कुए में गिरने के बाद स्वयं की जान जोखिम में डालकर मनीष ने उसे पुनर्जन्म दिया. इसमें कोई आशंका नहीं, किंतु मनस्व कुए में गिरने की बात ध्यान में आते ही 10 वर्ष का आर्यन सीधे घर में भागते गया और पिता को इसकी जानकारी दी. जिससे मनस्व गिरने के बाद मात्र 3 मीनट के भितर मनीष मानकर ने कुएं में छलांग लगाई, जिससे मनीष मानकर, अग्नीशमन दल के जवान के साथ ही मनस्व का इसमें सबसे बडा हिस्सा है, ऐसा परिसर के नागरिक कह रहे है.

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