अस्थि लाने के श्रेय को लेकर गरमाया नया अकोला
खोब्रागडे परिवार ने पत्रवार्ता में लगाए सनसनीखेज आरोप
* कांग्रेस पार्टी व रामजी छापानी से माफी मांगने की उठाई मांग
* गत रोज ही नया अकोला में हुई थी अभिवादन सभा
* कांग्रेस ने निकाली थी 19 किमी की विशाल पदयात्रा
* ‘श्रद्धाभूमि’ का मामला विवादों में फंसता दिख रहा
अमरावती/दि.7 – गत रोज ही वलगांव के पास स्थित नया अकोला गांव में महामानव डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की कुछ अस्थियां रहने की जानकारी सामने आई थी. जब कांग्रेस पार्टी ने इर्विन चौराहे से नया अकोला तक महापरिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में भव्य पदयात्रा निकालने के साथ ही नया अकोला गांव में अभिवादन सभा का आयोजन किया था. जिस में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के वर्ष 1956 में हुए महापरिनिर्वाण के पश्चात उनकी कुछ अस्थियों को मुंबई से नया अकोला लाने वाले रामजी छापानी तथा स्व. पीरखाजी खोब्रागडे के परिजनों का सत्कार किया गया था. इस समय रामजी छापानी ने डॉ. आंबेडकर के महापरिनिर्वाण पश्चात पीरखाजी खोब्रागडे के साथ मुंबई जाने और वहां से बाबासाहब की अस्थियों का कुछ अंश लेकर वापिस लौटने का किस्सा सुनाया था. जिसे लेकर आज पीरखाजी खोब्रागडे के परिजनों ने तीव्र आक्षेप उठाते हुए रामजी छापानी पर झूठ बोलने का आरोप लगाने के साथ ही कहा कि, बाबासाहब की अस्थियां सिर्फ और सिर्फ पीरखाजी खोब्रागडे द्बारा ही लाई गई थी और अब इस मामले का गांव के कुछ राजनीतिज्ञ द्बारा अपने फायदें के लिए राजनीतिकरण करना चाह रहे है. खोब्रागडे परिवार द्बारा लगाए गए इस आरोप के चलते नया अकोला गांव सहित पूरे जिले में राजनीति वातावरण गरमा गया है.
गत रोज नया अकोला गांव में हुई अभिवादन सभा तक सबकुछ ठिकठाक चल रहा था. लेकिन भव्य-दिव्य पैमाने पर हुई अभिवादन सभा के बाद इस मामले को लेकर एक तरह से श्रेय की लडाई गांवस्तर पर शुरु हो गई. बता दें कि, गत रोज नया अकोला में आयोजित अभिवादन सभा में राज्य के पूर्व राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात, पूर्व मंत्री व क्षेत्र की विधायक यशोमति ठाकुर तथा पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख के साथ ही कांग्रेस के ग्रामीण जिलाध्यक्ष व जिप के पूर्व अध्यक्ष बबलू देशमुख, कांग्रेस के शहराध्यक्ष व मनपा के पूर्व सभागृह नेता बबलू शेखावत तथा पूर्व महापौर विलास इंगोले, अशोक डोंगरे व वंदना कंगाले सहित कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने हाजिरी लगाई थी. वहीं कांग्रेस की अनुसूचित जाती सेल के जिलाध्यक्ष प्रवीण मनोहरे द्बारा विगत कई दिनों से इस आयोजन को लेकर तैयारियां की जा रही थी और बाकायदा पत्रकार परिषद लेकर इस आयोजन के साथ ही नया अकोला परिसर स्थित अस्थिस्थल और उसके इतिहास के बारे में जानकारी दी गई थी. लेकिन इस समय तक पूरे आयोजन और इससे जुडी जानकारी को लेकर कहीं से कोई आपत्ति नहीं उठी. परंतु कल जैसे ही रामजी छापानी नामक बुजुर्ग ने अपने मित्र पीरखाजी खोब्रागडे के साथ वर्ष 1956 में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के महापरिनिर्वाण के पश्चात अमरावती से मुंबई जाने और फिर वहां से बाबासाहब की कुछ अस्थियां लेकर अमरावती लौटने से संबंधित किस्सा सुनाया, तो पीरखाजी खोब्रागडे के परिवार द्बारा आयोजन के उपरान्त इसे लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई जाने लगी. जिसके चलते कल आयोजन के पश्चात शाम ढलते ही गांव में इस विषय को लेकर खुसुर-फूसूर होनी शुरु हो गई थी.
इस बारे में जानकारी मिलते ही आज जब प्रस्तुत प्रतिनिधि द्बारा नया अकोला गांव का प्रत्यक्ष दौरा किया गया, तो गांव में स्थित अस्थिस्थल के पास उपस्थित लोगों ने गत रोज हुए कार्यक्रम को लेकर अपनी तीव्र नाराजगी जताई और कहा कि, हकीकत में बाबासाहब की अस्थियों को पीरखाजी खोब्रागडे ही मुंबई से नया अकोला लेकर आए थे और रामजी छापानी का इस पूरे मामले से कोई लेना-देना नहीं है. भले ही रामजी छापानी उस समय मुंबई गए थे. लेकिन वे पीरखाजी खोब्रागडे से बिछड गए थे और अस्थियां लेकर पीरखाजी खोब्रागडे ही वापस आए थे. साथ ही इन ग्रामीणों ने यह दावा भी किया कि, नया अकोला गांव से वास्ता रखने के बावजूद भी रामजी छापानी का आगे चल कर गांव में कभी आना-जाना नहीं था और उन्होंने कभी भी रामजी छापानी को अस्थि कलश का दर्शन व अभिवादन करने हेतु गांव में आते हुए नहीं देखा. इस समय तक खोब्रागडे परिवार के कुछ सदस्य भी अस्थिस्थल पर पहुंचे. जहां पर उन्होंने बताया कि, उन्होंने आज इसी विषय को लेकर अमरावती में एक पत्रवार्ता बुलाई है. जिसमें बाबासाहब की अस्थियों को मुंबई से नया अकोला लाने की सही कहानी बताई जाएगी. क्योंकि कल आयोजित अभिवादन सभा में इसे लेकर काफी झूठ बोला गया है.
* गांव के राजनीतिक ‘कीडे’ कर रहे कारस्थानी
– गौतम खोब्रागडे का पत्रवार्ता में कथन
वहीं खोब्रागडे परिवार सहित उनके समर्थन में रहने वाले नया अकोला गांववासियों द्बारा आज अमरावती में बुलाई गई पत्रवार्ता को संबंधित करते हुए पीरखाजी खोब्रागडे के बेटे गौतम खोब्रागडे ने बताया कि, गत रोज कांग्रेस पार्टी द्बारा आयोजित अभिवादन सभा के जरिए नया अकोला में स्थित डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की अस्थियों को लेकर पूरी दुनिया के सामने काफी झूठ बोला गया. जिसके लिए कांगे्रस पार्टी के नेता व पदाधिकारियों सहित अस्थि लाने का झूठा दावा करने वाले रामजी छापानी ने खोब्रागडे परिवार से माफी मांगनी चाहिए. इसके साथ ही गौतम खोब्रागडे ने स्पष्ट तौर पर यह भी कहा कि, गांव के कुछ राजनीति ‘कीडे’ अपने फायदे के लिए कारस्थानी करते हुए बाबासाहब के अस्थिस्थल का राजनीतिकरण करना चाह रहे है और विगत 66 वर्षों से अस्थिस्थल की देखभाल व सेवा करने वाले खोब्रागडे परिवार को हाशिए पर डालने का प्रयास किया जा रहा है. इस पत्रवार्ता में अपनी मां श्रीमती शांताबाई पीरखाजी खोब्रागडे के साथ उपस्थित गौतम खोब्रागडे ने बताया कि, यद्यपि उनके पिता पीरखाजी खोब्रागडे और रामजी छापानी शालेय जीवन के दौरान अमरावती में एक साथ रहा करते थे और बाबासाहब के महापरिनिर्वाण की खबर मिलने के बाद मुंबई भी एक साथ गए थे. किंतु मुंबई जाने के बाद दोनों एक-दूसरे के बिछड गए थे और बाद में पीरखाजी खोब्रागडे ही बाबासाहब की अस्थियों को लेकर नया अकोला वापिस पहुंचे थे. ऐसे मेें बाबासाहब की अस्थियों को मुंबई से अमरावती या नया अकोला लाने के संदर्भ में रामजी छापानी द्बारा किए जाने वाला दावा पूरी तरह से झूठा है. साथ ही कांग्रेस पार्टी के जो लोग इस अस्थिस्थल के साथ रामजी छापानी का नाम जोड रहे है, वह भी पूरी तरह से गलत है.
इस समय खोब्रागडे परिवार से यह पूछा गया कि, उन्होंने इस विषय को लेकर कल अभिवादन सभा के समय ही अपनी आपत्ति क्यों दर्ज नहीं कराई, तो गौतम खोब्रागडे ने बताया कि, उनकी माताजी श्रीमती शांताबाई खोब्रागडे को मंच पर केवल सत्कार हेतु बुलाया गया था और उन्हें बोलने का कोई मौका नहीं दिया. वहीं आयोजन की धामधूम के बीच उनका इस बात की ओर ध्यान ही नहीं गया कि, रामजी छापानी ने अपने संबोधन में क्या कहा. लेकिन जब कार्यक्रम के बाद उन्होंने इससे जुडे वीडियो फूटेज देखे, तब उन्हें छापानी द्बारा कहें गए झूठ का पता चला. ऐसे में गलत फहमी को दूर करने के लिए उन्होंने आज यह पत्रकार परिषद बुलाई है. इस समय जब गौतम खोब्रागडे से यह पूछा गया कि, उन्होंने इस संदर्भ में सबसे पहले कार्यक्रम के आयोजकों से मिलकर स्थिति साफ क्यों नहीं थी, तो गौतम खोब्रागडे का कहना रहा कि, अब इस मामले को लेकर बडे पैमाने पर राजनीति होनी शुरु हो गई है. ऐसे में किसी से कुछ कहने की बजाय उन्होंने खुद ही आम जनता के सामने पूरी स्थिति स्पष्ट करने का निर्णय लिया.
पूरी पत्रवार्ता के दौरान इस बात को लेकर कई बार सवाल पूछा गया कि, आखिर इस मामले को लेकर गांव में कौन व्यक्ति राजनीतिक कर रहा है, तो गौतम खोब्रागडे ने साफ तौर पर किसी का भी नाम लेने से इंकार कर दिया और कहा कि, वे इस बारे में कुछ भी नहीं कहना चाहते और उनका केवल इतना ही उद्देश्य है कि, उनके पिता द्बारा किए गए काम का श्रेय किसी और व्यक्ति को न दिया जाए. इस पत्रवार्ता में गौतम खोब्रागडे व शांताबाई खोब्रागडे के साथ किसनराव वासनिक, अजाबराव मोहोड, शांता सहारे, विद्या खोब्रागडे, भार्गवा राउत, सुशिला राउत, मोहनदास मेश्राम सहित आदि उपस्थित थे.
* हमारा उद्देश्य तो गांव को वैश्विक पहचान दिलाना
– पूर्व जिप सदस्य प्रकाश साबले का कथन
इस पूरे मामले को लेकर क्षेत्र के पूर्व जिप सदस्य प्रकाश साबले से जानकारी व प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किए जाने पर उन्होंने इस हंगामें के संदर्भ में आश्चर्य जताया. साथ की कहा कि, नया अकोला में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की अस्थियां मौजूद है. यह बात उन्हें काफी पहले से पता थी और उन्होंने जिप सदस्य रहते हुए अस्थिस्थल को संरक्षित करने हेतु बौद्ध विहार बनाने के लिए निधि भी उपलब्ध कराई थी. साथ ही अस्थिस्थल को ‘क’ वर्ग तीर्थक्षेत्र का दर्जा भी दिलाया था. साथ ही अभिवादन पदयात्रा व अभिवादन सभा का आयोजन करते हुए यह प्रयास किया गया कि, इस अस्थिस्थल को वैश्विक स्तर पर पहचान मिले और डॉ. आंबेडकर के प्रति आस्था रखने वाले लोगबाग पूरी दुनिया से यहां पर पहुंचे. ऐसे में अभिवादन सभा के दूसरे ही दिन जिस तरह की बाते सामने आ रही है. वह दुर्भाग्यजनक है. खोब्रागडे परिवार के सदस्यों द्बारा लगाए गए आरोपों को लेकर प्रकाश साबले का कहना रहा कि, अब तक उनके पास यहीं जानकारी थी कि, रामजी छापानी और पीरखाजी खोब्रागडे सहित एक अन्य व्यक्ति वर्ष 1956 में महापरिनिर्वाण के पश्चात महामानव के अंतिम संस्कार में शामिल होने हेतु मुंबई गए थे और वहां से बाबासाहब की कुछ अस्थियां लेकर वापिस लौटे थे. इससे ज्यादा विस्तुत जानकारी उनके पास नहीं है.
* जो कुछ भी हो रहा है, दुर्भाग्यजनक है
– अभिवादन सभा के संयोजक प्रवीण मनोहरे का कथन
वहीं नया अकोला परिसर स्थित अस्थिस्थल की जानकारी को पूरी दुनिया के सामने रखने हेतु विगत लंबे समय से प्रयास कर रहे है. कांग्रेस अनुसूचित जाती सेल के जिलाध्यक्ष व गत रोज ही अभिवादन सभा के संयोजक प्रवीण मनोहरे ने अब इस विषय को लेकर हो रहे आरोप-प्रत्यारोप को बेहद दुखद व दुर्भाग्यजनक बताया है. साथ ही प्रवीण मनोहरे ने कहा कि, वे वर्ष 2005 के आसपास से इस अस्थिस्थल को पहचान दिलाने का काम कर रहे है. जिसके चलते उन्होंने अनेकों बार महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर इस अस्थिस्थल की जानकारी को लेकर अखबारों में लेख व समाचार प्रकाशित करवाए. साथ ही इस वर्ष अमरावती के इर्विन चौराहे पर स्थित डॉ. आंबेडकर स्मारण स्थल से नया अकोला स्थित अस्थिस्थल तक अभिवादन पदयात्रा का आयोजन किया. यह बात विगत कई वर्षों से सबके सामने थी कि, वर्ष 1956 में रामजी छापानी और पीरखाजी खोब्रागडे एक साथ मुंबई गए थे और वहां से बाबासाहब की कुछ अस्थियां लेकर साथ लौटे थे. इसे लेकर आज तक कहीं से कोई आपत्ति नहीं उठी. लेकिन कल अस्थिस्थल पर हुए भव्य-दिव्य कार्यक्रम के बाद ही अचानक आपत्ति क्यों उठाई जा रही है और यह आपत्ति उठाने के पीछे किसका क्या उद्देश्य है, यह समज से परे है.
* वह शायद उनका व्यक्तिगत विवाद, हमारे लिए अस्थिस्थल महत्वपूर्ण
वहीं इस पूरे मामले को लेकर बेहद संतुलित व संयमित प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता एड. दिलीप एतडकर एवं प्रदेश के सचिव किशोर बोरकर ने कहा कि, संभवत: इस विषय को लेकर खोब्रागडे परिवार व रामजी छापानी के बीच कोई व्यक्तिगत स्वरुप का विवाद है, जिसकी वजह से यह तमाम बातें हो रही है. लेकिन इस विवाद का अभिवादन सभा के आयोजकों व कांग्रेस पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. बल्कि हमारे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि, अमरावती जिले के नया अकोला परिसर में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की अस्थियां मौजूद है. ऐसे मेें यह मुद्दा कुछ हद तक गौण हो जाता है कि, वर्ष 1956 में इन अस्थियों को मुंबई से कौन लेकर आया था. ज्यादा बेहतर रहेगा कि, ऐसे विवादों को तुल देने की बजाय हम सभी इस बात को लेकर गर्व महसूस करें कि, हमारे पास महामानव की अस्थियों का अंश मौजूद है. जहां पर हम प्रतिवर्ष 14 अप्रैल व 6 दिसंबर को जाकर अस्थियों का दर्शन करते हुए अभिवादन कर सकते है. साथ ही हमने इस अस्थिस्थल के विकास पर ध्यान देना चाहिए.