
मुंबई/दि.11– राज्य सरकार ने विधि व न्याय विभाग के तहत कार्यालयीन इमारतों का निर्माण करने और अदालतों को आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए संशोधित योजना को लागू करने का फैसला लिया है. राज्य के विधि व न्याय विभाग ने इस बारे में शासनादेश जारी किया है. इस योजना के तहत राज्य में अब हाईकोर्ट व खंडपीठ, जिला व तहसील अदालतों की नई इमारतोें का निर्माण हो सकेगा. साथ हाईकोर्ट के न्यायाधीश, जिला व तहसील न्यायालय के न्यायाधीश और कर्मचारियों के निवास के लिए नई इमारतें बनाई जा सकेगी.
विधि व न्याय विभाग के अंतर्गत नये कार्यालयों की इमारतों का निर्माण भी हो सकेगा. प्रत्येक वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए प्राप्त होनेवाली निधि और योजना विभाग से मिलनेवाले निधि से इमारतों का निर्माण किया जायेगा. न्यायालयीन इमारतों और न्यायधीशों के आवास बनाने के लिए आवश्यक जमीन सरकार से मांगी जायेगी. इन इमारतों का निर्माण देखभाल और मरम्मत का कार्य सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग के माध्यम से किया जायेगा.
* केन्द्र की योजना में थी कमियां
राज्य सरकार का कहना है कि राज्य में न्यायालयों को आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार की योजना थी. इसके तहत केन्द्र सरकार न्यायालयीन इमारतों और न्यायाधीशों के आवास बनाने के लिए 60 प्रतिशत निधि उपलब्ध कराती थी. जबकि राज्य को 40 प्रतिशत राशि खर्च करनी पडती थी. लेकिन केन्द्र की योजना में निधि को लेकर संतुलन नहीं बन पा रहा था. साथ ही राज्य में हाईकोर्ट की इमारतों और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के लिए अलग से कोई योजना नहीं है. इसके मद्देनजर सरकार ने न्यायालयीन इमारतों और न्यायाधीश के आवास के लिए अलग से योजना लागू की है.