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अमरावती में बनेंगे नए समीकरण

गुप्ता के फिर राजनीति में सक्रिय होने के संकेत

* क्या नए गट स्वीकारेंगे भाऊ को!
अमरावती/दि.19-भारतीय जनता पार्टी को अमरावती में ऐतिहासिक सफलता दिलाने वाले और दो दशको तक विधानमंडल में यहां का प्रतिनिधित्व करनेवाले जगदीश गुप्ता के पुन: भाजपा और राजनीति में सक्रिय होने के संकेत मिल रहे हैं. जिससे अमरावती की राजनीति में बडा बदलाव आने तथा नए समीकरण बनने की संभावना जानकार देख रहे हैं. साथ ही यह प्रश्न भी अभी से पूछा जा रहा है कि, भाजपा के अन्य गट भाऊ की भूमिका को कैसे लेते हैं, यह भी महत्वपूर्ण रहेगा. गत रविवार को भाऊ की सिपना कॉलेज के सभागार में हुए बडे अभिष्टचिंतन समारोह के आयोजन के साथ ही चर्चा आरंभ हो गई थी. कार्यक्रम के भव्य स्वरुप के बाद चर्चा बढ गई तथा कयास भी.
जगदीश गुप्ता के आध्यात्मिक गुरु रामानंदचार्य राजेश्वर माउली सरकार की उपस्थिति में यह जन्मदिवस समारोह हुआ. प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले भी पधारे. बावनकुले ने भाऊ को पुन: उर्जा के साथ पार्टी में सक्रिय होने का खुला ऑफर दिया. सांसद नवनीत राणा ने भी भाऊ को आगे राजकीय सक्रियता के लिए शुभकामनाएं दी.
भाजपा के लिए जगदीश गुप्ता पुराने सर्वपरिचित नेता माने जाते है. उन्होंने 1990 में कांग्रेस के दुर्ग को ढहाया था. पहले भाजपा विधायक वह चुने गए थे. 1995 में युती की लहर में रिकॉर्ड तोड जीत हासिल करने के बाद गुप्ता को राज्य मंत्री और पालकमंत्री बनाया गया. हालांकि अगले चुनाव में डॉ. सुनील देशमुख ने गुप्ता को परास्त कर दिया. फिर 12 वर्षो तक वे स्थानीय निकाय से विधान परिषद पर चुने गए.
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मतभेद हो गए. जिससे जगदीश गुप्ता पार्टी से दूर चले गए. अनुशासन तोडने का ठपका लगाकर उन्हें बीजेपी से निलंबित भी किया गया. जिससे गुप्ता दरकिनार हो गए. 2012 के मनपा चुनाव में उन्होंने अपने धुरविरोधी डॉ. सुनील देशमुख से हाथ मिलाया. दोनों ने आघाडी बनाकर चुनाव लडा. इसमें उन्हें विशेष सफलता नहीं मिली. फलस्वरुप गुप्ता सक्रिय राजनीति से अलिप्त हो गए.
मोदी सरकार आने क बाद गुप्ता भाजपा के कतिपय कार्यक्रमों में नजर आने लगे. उनका गट भाजपा में बना हुआ है. नवंबर 2021 में हुए दंगे के समय जगदीश गुप्ता के साथ भाजपा, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के अनेक कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए. गुप्ता का नाम चर्चा में आ गया.
जन्मिदन पर सम्मेलन आयोजित कर जगदीश गुप्ता के गट ने शक्ति प्रदर्शन किया. उन्हें लगता है कि पार्टी ने गुप्ता को महत्वपूर्ण पद मिलना चाहिए. इस बीच डॉ. सुनील देशमुख ने भाजपा में प्रवेश किया. वे विधायक भी बने. किंतु गुप्ता को भाजपा में रहने पर भी अवसर नहीं मिल रहा, इस बात का मलाल गुप्ता समर्थकों को है. पिछले विधानसभा चुनाव में पराजीत डॉ. देशमुख कांग्रेस में लौट गए हैं. जिससे गुप्ता के समर्थक भाजपा की अमरावती सीट की उम्मीदवारी की आशा कर रहे हैं. उनकी इच्छा जोर मार रही है. विधानसभा से पहले लोकसभा का चुनाव है. भाजपा पर अच्छे प्रदर्शन की चुनौती है. जगदीश गुप्ता ने अपने समर्थकों को यह कहते हुए रोके रखा है कि पहले यह लडाई लडनी है. आगे का राजकारण संयम से करना है.
12 वर्ष यानी एक तप का समय बीता है. राज्यसभा सदस्य डॉ. अनिल बोंडे, विधान परिषद के प्रवीण पोटे, श्रीकांत भारतीय के साथ अनेक नेता भाजपा में अपनी पोजिशन मजबूत करने में लगे है. अमरावती से विधानसभा लडने के भी कई इच्छूक है. जिससे कहा जा रहा है कि, भाजपा के अन्य गट जगदीश गुप्ता का स्वागत करेंगे क्या? बावनकुले ने गुप्ता को उर्जावान बनने की शुभकामनाएं दी है. भाजपा के अन्य गट क्या रुख अपनाते हैं, यह देखने वाली बात होगी.

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