अमरावती

दफ्तर का भार कम करने फिर नया फंडा

पुस्तक के साथ बही के पन्ने जोडने का प्रस्ताव

10 वर्षों में चौथे शिक्षा मंत्री का प्रयास
मुंबई -/दि.30 शालेय विद्यार्थियों के बस्ते का वजन कम करने की लफ्फाजी अनेक वर्षों से जारी है. कई बार घोषाणाएं हो चुकी है. नित नये फंडे अपनाने की बातें बीते 10 वर्षों में प्रदेश के तीन शिक्षा मंत्री कर चुके हैं. इसी कडी में शिंदे-फडणवीस सरकार के शालेय शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर एक नया सुझाव लेकर आये है. केसरकर ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि, बस्तें का बोझ कम करने पुस्तक के साथ ही बही के पन्ने जोड दिये जाएंगे. बच्चों को विषय की पुस्तक के जो नोट्स लिखने होगे, वह बही के पन्नों पर लिख लेंगे, इससे बस्तें में कापी का भार कम होने का सुझाव आया है. हालांकि मंत्री महोदय ने अभी केवल प्रस्ताव होने की बात स्पष्ट कर दी. तथापि अगले शिक्षा सत्र से कक्षा पहली से द्बिभाषा की पाठ्य पुस्तक देने का निर्णय होने की जानकारी है. एकात्मिक पुस्तक संकल्पना पर भी विचार करने की बात केसरकर ने कहीं.
चौथे शिक्षा मंत्री
नन्हे बच्चों के कंधे पर बस्तें का बोझ अनेक वर्षों से चर्चा में है. प्रदेश के ही पिछले 10 वर्षों में चार शिक्षा मंत्री इस दिशा में प्रयत्न कर चुके है. हाल ही में 7 विविध विषयों की पुस्तके एक पुस्तक में करने का सोचा गया था. पिछली सरकार की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड ने उक्त विचार रखा था और उसे क्रियान्वित करने की सोची थी. अचानक सरकार चली गई.
समितियों की कछूआ चाल
पृथ्वीराज चव्हाण सरकार में राजेंद्र दर्डा, फडणवीस सरकार में विनोद तावडे, ठाकरे सरकार में वर्षा गायकवाड ने शिक्षा मंत्री के रुप में दफ्तर का भार कम करने का निर्णय किया था. किंतु अध्ययन समितियां बनाने से अधिक कुछ नहीं हो पाया. बच्चों का बस्तें का बोझ कायम है.
अन्य बोर्ड का बस्ता भारी
राज्य बोर्ड की तुलना में अन्य बोर्ड की कापी किताबें भरपूर होने से विद्यार्थियों का दफ्तर का वजन अधिक है. जानकारों की मानें तो दफ्तर का वजन जितना होना चाहिए, उससे वह 30 प्रतिशत ज्यादा है. जबकि नियमानुसार विद्यार्थी के वजन से केवल 10 प्रतिशत वजन बस्तें का होना चाहिए. बस्तें को हल्का करने के लिए अनेक लोगों, विशेषज्ञ पैनल ने समय-समय पर सरकार को सुझाव दिये है.
एकात्मिक पाठ्य पुस्तक इसी वर्ष से
महाराष्ट्र शासन के शिक्षा विभाग ने एकात्मिक पाठ्य पुस्तक योजना तैयार की है. उसका क्रियान्वयन इसी वर्ष 2022-23 में शुरु हो जाएगा. कुछ विषयों को मिलाकर एक पुस्तक बनाई जा रही है. पाठ्य पुस्तक अभ्यास व संशोधन मंडल पुणे इस दिशा में कार्य कर रहा है.
जनहित याचिका पर आदेश
राज्य सरकार ने जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद गत 21 जुलाई 2015 को परिपत्रक जारी किया था. जिसमें बस्ता हल्का करने कहा गया था. आदेश का क्रियान्वयन न होने की स्थिति में शिक्षा संस्था संचालक और मुख्याध्यापकों को जिम्मेदार मानने का आदेश शिक्षा संचालक को दिया गया था. मगर आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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