अमरावती /दि. 13– आज समाज का जो विकास दिखाई देता है, उसमें नाविण्यपूर्ण सामाजिक संशोधन का मौलिक योगदान है. अध्यापन व संशोधन ये उच्च शिक्षा के महत्वपूर्ण घटक है तथा नई शैक्षणिक व्यवस्था में संशोधन को अग्रक्रम दिया गया है. संशोधन में पुन: खोज करना अपेक्षित है तथा उसमें नाविण्यपूर्ण व प्रयोगशीलता का अत्याधिक महत्व होता है, ऐसा प्रतिपादन कुलगुरु डॉ. मिलिंद बारहाते ने किया.
संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में स्नातकोतर अर्थशास्त्र विभाग की ओर से ज्ञानस्त्रोत केंद्र में आयोजित इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल सायन्स रिसर्च द्वारा अनुदान प्राप्त टू विक कैपेसिटी बिल्डिंग कार्यक्रम के उद्घाटन प्रसंग पर वें कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे. कार्यक्रम का उद्घाटन नागपुर के बियाणी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुजीत मेत्रे के हाथो किया गया. मंच पर अतिथियों में कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख, कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. रवींद्र सरोदे उपस्थित थे. उद्घाटक प्राचार्य डॉ. सुजीत मेत्रे ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में संशोधन की सच्चाई गंभीर है. इसकी दुरावस्था के विविध कारण है. इसी तरह कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख ने भी अपने विचार व्यक्त किए. प्रास्ताविक डॉ. रवींद्र सरोदे ने किया. संचालन डॉ. भगवान फालके ने तथा आभार प्रदर्शन डॉ. ज्योति ढोमने ने किया. इस अवसर पर व्यवस्थापन परिषद सदस्य व आंतर विद्या शाखा की अधिष्ठाता डॉ. वैशाली गुडधे, आयोजन समिति सदस्य डॉ. नितिन कोली, उपकुलसचिव डॉ. सु. भा. पाटिल, आजीवन अध्ययन व विस्तार विभाग के संचालक डॉ. श्रीकांत पाटिल, समाजशास्त्र विभाग के डॉ. किशोर राऊत, राज्यशास्त्र विभाग के समन्वयक डॉ. प्रणव कोलते, आयक्यूएसी विभाग के संचालक डॉ. संदीप वाघुले, विद्यार्थी बडी संख्या में उपस्थित थे.