नव संशोधकों को पांच माह करनी होगी पीएचडी पेट परीक्षा की प्रतीक्षा
विद्यापीठ का महा ऑनलाईन के साथ करार हुआ खत्म
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जारी वर्ष में परीक्षा को लेकर अनिश्चितता का माहौल
अमरावती/दि.13 – संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ का पीएचडी की पेट परीक्षा के लिए महा ऑनलाईन के साथ रहनेवाला करार विगत दिसंबर माह में खत्म हो चुका है. ऐसे में जारी वर्ष में पीएचडी की पेट परीक्षा कब होगी, यह फिलहाल अनिश्चित है. ऐसे में करीब 4 हजार नव संशोधकों को पीएचडी पेट परीक्षा के लिए अगले पांच माह तक प्रतीक्षा करनी होगी.
जानकारी के मुताबिक विद्यापीठ के पीएचडी विभाग द्वारा नव संशोधकोें से ऑनलाईन आरआरसी ली जा रही है. किंतु यह प्रक्रिया बेहद धीमी गति से चल रही है, ऐसी शिकायत कई विद्यार्थियों द्वारा की जा रही है. ऐसे में पीएचडी की आरआरसी कब खत्म होगी, और पंजीयन की प्रक्रिया कब पूर्ण होगी यह अपने आप में एक बडा सवाल है. वहीं दूसरी ओर पीएचडी पेट ऑनलाईन परीक्षा को लेकर किस एजेन्सी के साथ करार किया जाये, इसे लेकर विद्यापीठ प्रशासन भी काफी दुविधा में देखा जा रहा है. ऐसे में यदि पीएचडी पेट परीक्षा समय पर नहीं हुई, तो विद्यार्थियों के शैक्षणिक नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार होगा, यह भी अपने आप में एक बडा सवाल है.
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2015 से विद्यापीठ में विविधांगी रिसर्च रूके पडे है. वहीं आगामी कुछ माह में विद्यापीठ का ‘नैक’ की टीम द्वारा मूल्यांकन किया जाना है. ऐसे में यदि विद्यापीठ रिसर्च के मामले में पिछड जाता है, तो इसका गुणांकन पर सीधा परिणाम पड सकता है. वहीं इस दौरान पीएचडी पेट की ऑनलाईन परीक्षा के लिए नये सिरे से एजेन्सी तय करने के संदर्भ में व्यवस्थापन परिषद में निर्णय करवाने हेतु विद्यापीठ प्रशासन द्वारा हलचलें तेज हो गयी है. साथ ही नव संशोधकों द्वारा मांग की जा रही है कि, औरंगाबाद विद्यापीठ की तर्ज पर अमरावती विद्यापीठ में पीएचडी सेल का प्री और पोस्ट ऐसे दो अलग-अलग विभागों में विभाजन कर दिया जाये.
संगणक विभाग बना ‘सफेद हाथी’
संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में स्वतंत्र तौर पर संगणक विभाग का निर्माण किया गया है. किंतु विद्यापीठ के तमाम ऑनलाईन काम किसी बाहरी एजेन्सी को सौंपे जाते है. ऐसे में संगणक विभाग में कौन से काम चलते है, यह अपने आप में संशोधन का विषय है. संगणक विभाग पूरी तरह वातानुकूलित है और यहां पर अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए बेहद प्रशस्त वातावरण है. किंतु इस कक्ष में विद्यापीठ द्वारा किस तरह के काम किये जाते है, इसकी ओर वरिष्ठों द्वारा तुरंत ध्यान दिये जाने की जरूरत है.