महिला व बालको के बारे में दर्ज अपराध जांच के नये नियम
अदालत ने व्यक्त की थी नाराजी, पुलिस के लिए जारी किया पत्र
अमरावती दि. 6 – नाबालिग पीडित लडकी को 24 घंटे के अंदर महिला व बालकल्याण समिति में पेश न करते हुए उसे 45 दिन के बाद समिति के सामने उपस्थित किया गया. जिसके चलते वह 30 सप्ताह की गर्भवती हो गई. उसका गर्भपात नहीं करा पायी. इस बारे में मुंबई उच्च न्यायालय ने नाराजी व्यक्त की. इसे देखते हुए महिला व बालको के विषय में अपराध की तहकीकात को लेकर पुलिस सख्त सूचना दी गई. जांच के लिए नियमावली तय करके दी गई है.
गृहविभाग ने इसके लिए 31 दिसंबर को पत्र जारी किया है. जिसके अनुसार पीडित नाबालिग हो तो उसकी अपनी भाषा में शिकायत और उसके रिश्तेदार की उपस्थिति में इसी तरह कम से कम महिला पुलिस उपनिरीक्षक दर्जे के अधिकारियों द्बारा ली जाए. पीडित नाबालिग बालिका की मेडिकल जांच, फौजदारी प्रक्रिया संहिता की धारा 164 अ, पोस्को की धारा 27 के तहत की जाए. पीडित महिला व बाल कल्याण समिति के समक्ष 24 घंटे के अंदर प्रस्तुत करने का ध्यान रखा जाए. पीडित महिला कौन है उसकी पहचान उजागर न होने पाए इसके लिए भादंवि की धारा 228 क के नियमों का पालन करे. बाल न्याय अधिनियम के अनुसार हर पुलिस थाने में स्वतंत्र बाल कल्याण अधिकारी रखा जाए. मनोज धैर्य योजना अंतर्गत अर्थसहायता प्राप्त होने के लिए पात्र पीडित का प्रस्ताव संबंधित कार्यालय में निर्धारित समय के अंदर प्रस्तुत किया जाए. ऐसी सूचना दी गई.